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Supertech Twin Tower Demolition: क़ुतुब मीनार से भी ऊँचा है ट्विन टॉवर, जानें डेमोलिशन की प्रक्रिया, प्रभाव और चिंताएं
Supertech Twin Tower Demolition: नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टॉवर के डेमोलिशन (Demolition) की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। भारत के इतिहास में इसे सबसे बड़ी डेमोलिशन की कार्रवाई बताई जा रही है।
Supertech Twin Tower Demolition: नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टॉवर (Supertech Twin Tower) के डेमोलिशन (Demolition) की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। भारत के इतिहास में इसे सबसे बड़ी डेमोलिशन की कार्रवाई बताई जा रही है। क्योंकि सुपरटेक ट्विन टॉवर की ऊंचाई कुतुब मीनार की ऊंचाई (Height of Qutub Minar) से भी अधिक है। दिल्ली स्थित कुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर है जबकि सुपरटेक ट्विन टावर्स के एपेक्स टावर की ऊंचाई 102 मीटर और सियान टावर की ऊंचाई 95 मीटर है। सेक्टर 93ए में स्थित इन दो टॉवरों को कल यानी रविवार 28 अगस्त के दोपहर ढ़ाई बजे जमींदोज कर दिया जाएगा।
ट्विन टॉवर को मिट्टी में मिलाने के लिए 3700 किलो विस्फोटक (explosives) का उपयोग किया जा रहा है। टॉवर्स को गिराने का ठेका लेने वाली कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग के ब्लास्टर चेतन दत्ता (Blaster Chetan Dutta) ट्विन टॉवर में धमाका करने के लिए फाइनल बटन दबाएंगे। डिमोलिशिन को लेकर ट्विन टॉवर के आसपास रह रहे लोग चिंतित भी नजर आ रहे हैं। इतने विशाल इमारत के धराशायी होने के बाद अगर यहां के वातावरण में किसी तरह का नकारात्मक बदलाव आया तो इन्हें ही सबसे पहले इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
डेमोलिशन की प्रक्रिया
ट्विन टॉवर्स को गिराने का ठेका लेने वाली एडिफिस इंजीनियरिंग के ब्लास्टर चेतन दत्ता की मानें तो पूरी प्रक्रिया बेहद सिंपल है। पूरी प्रक्रिया को आसान भाषा में उन्होंने समझाते हुए कहा हम डायनमो से करंट उत्पन्न करते हैं और फिर बटन दबाते हैं, जो सभी शॉक ट्यूबों में डेटोनेटर को एक्टिवेट करेगा। 9 सेकेंड में सभी डेटोनेटर एक्टिव हो जायेंगे और इमारत धराशायी हो जाएगी। चेतन दत्ता का दावा है कि इस धमाके से आसपास के इमारत को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचेगा और साथ ही इमारत का मलबा भी नहीं उड़ेगा। हालांकि, उनका मानना है कि धूल उड़ सकती है क्योंकि उसे कंट्रोल करना मुश्किल है।
डेमोलिशन को लेकर चिंताएं और प्रभाव (Effect of Demolition of Supertech Twin Towers)
नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावरों के विध्वंस को लेकर कई चिंताएं हैं। पहला विध्वंस से उत्पन्न होने वाली धूल की मात्रा है। दूसरा मलबा साफ करना है, हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि तीन महीने के भीतर मलबे को साफ कर दिया जाएगा। विशेषज्ञों ने विस्फोट में उत्पन्न हवा से उड़ने वाली धूल पर चिंता जताई है, जो हफ्तों तक हवा में रह सकती है और क्षेत्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकती है। नोएडा प्राधिकरण ने कहा है कि वे धूल के खतरे को नियंत्रित करने के लिए पानी के टैंकर, मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन और स्वच्छता कर्मचारी उपलब्ध कराएंगे। अधिकारियों ने वायु गुणवत्ता निगरानी का भी वादा किया है।
डेमोलिशन का प्रभाव
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर डेमोलिशन के समय मौसम और हवा का रूख सामान्य नहीं रहा तो धूल के हल्के और बारीक कण काफी दूर तक फैल सकते हैं। इससे सांस संबंधित बीमारियां हो सकती हैं या फिर इस तरह की बीमारियों से ग्रस्ति लोगों की तकलीफें बढ़ जाएंगी। इसी तरह आंखों से लेकर कान संबंधी समस्या भी हो सकती है।