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Noida twin towers: एक नहीं कई टि्वन टावर हैं इस क्षेत्र में, आज तक एक भी इमारत ध्वस्त नहीं
Noida twin towers: नोएडा के ट्विन टावर की तरह ग्रेटर नोएडा में भी कई ट्विन टावर बिल्डरों ने खड़े कर दिए हैं। इनमें सबसे ज्यादा ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बने खड़े हैं।
Noida twin towers: नोएडा के ट्विन टावर की तरह ग्रेटर नोएडा में भी कई ट्विन टावर बिल्डरों ने खड़े कर दिए हैं। इनमें सबसे ज्यादा ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बने खड़े हैं। ज्यादातर बिल्डरों ने तय मानक से अधिक फ्लैट बना लिए हैं। फ्लैट बनाने के लिए एक्स्ट्रा एफएआर खरीदी है। जिससे बिल्डरों ने पार्क और पार्किंग की जमीन को भी नहीं छोड़ा है।
इसी तरह के अवैध टावर ग्रेटर नोएडा वेस्ट में शाहबेरी समेत कई गांवों में खड़े हैं। इनमें प्राइवेट बिल्डरों ने अवैध कॉलोनी के साथ-साथ 20-20 मंजिला टावर खड़े कर दिए हैं। इन टावरों को बनाने के लिए ना तो प्राधिकरण से किसी तरह की परमिशन ली है और ना ही नक्शा पास कराया है। इनमें सबसे ज्यादा टावर ग्रामीण आबादी की 6 प्रतिशत जमीन पर बने हैं। किसानों से बिल्डरों ने आबादी की 6 प्रतिशत जमीन खरीद ली है, और उस पर बगैर रुके धड़ल्ले से टावर पर टावर खड़े कर रहे हैं।
जिन गावों में अवैध टावर खड़े किए जा रहे हैं, उनमें शाहबेरी, इटेड़ा, हैबतपुर, बिसरख, पतवाड़ी, खैरपुर गुर्जर, बदलापुर, वैदपुरा, मिलक लच्छी समेत कई गांव शामिल हैं। शाहबेरी में तो 4 साल पहले अवैध बिल्डिंग धराशाई हो गई थी, जिसमें 9 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन फिर भी शाहबेरी समेत कई गांवों में अवैध बिल्डिंगों का निर्माण जारी है।
1757 इमारतों को चिन्हित किया गया था
प्राधिकरण ने चार साल पहले चार श्रेणियों में इमारतों का सर्वे कराया था। इसमे कुल 1757 इमारतों को चिन्हित किया गया था। इसमे 114 इमारतें ऐसी थी जिनको ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए था। लेकिन अब तक किसी भी इमारत को ध्वस्त नहीं किया गया।
तीन बिंदुओं को बनाया गया था आधार
इसमें पहला असुरक्षित व जर्जर,
दूसरा अधिसूचित व अर्जित भवन पर अवैध कब्जा
तीसरा अधिसूचित व अनार्जित पर बनी इमारत
चौथा ग्राम की मूल आबादी में बनी बहुमंजिला इमारत
ये आए थे परिणाम
पहली श्रेणी में कुल 56 जर्जर व असुरक्षित इमारत थी। कुल मिलाकर 1757 इमारतों की एक सूची बनाई गई। ध्वस्तीकरण अब तक नहीं किया जा सका। कई गांवों में चस्पा किए गए थे नोटिस। शहर के गांवों के अलावा कई स्थानों पर सैकड़ों इमारतों को अवैध जर्जर करार देकर नोटिस जारी किए थे। इसमे सर्वाधिक इमारतें हिंडन विहार व गढ़ी चौखंडी गांव की थी। यहां धड़ल्ले से अवैध निर्माण किया जा रहा था। यहां बनाई गई इमारतें सात-आठ मंजिला तक है। इनका निर्माण कार्य रुकवाया गया साथ ही नोटिस जारी कर ध्वस्तीकरण के निर्देश दिए गए। लेकिन अब तक इमारतों को गिराया नहीं जा सका। इसी तरह निठारी , हरौला में दर्जनों अवैध इमारतों को नोटिस जारी कर गिराने का निर्देश दिया था।
गांवों का सर्वे अब तक नहीं हो सका पूरा
शाहबेरी घटना के बाद प्राधिकरण ने ग्राम की मूल आबादी में तीन मंजिला से अधिक 1326 इमारतों को चिन्हित किया था। इन सभी इमारतों का सत्यापन कराया जा रहा था। कागजी तौर पर यह देखा जा रहा था कि जिस जमीन पर इनका निर्माण किया गया है वह प्राधिकरण अधिसूचित जमीन है या नहीं। अब तक इन इमारतों का सत्यापन का कार्य पूर्ण नहीं किया जा सका है। साथ ही अधिसूचित व अर्जित क्षेत्र में बहुंमजिला इमारतों की संख्या भी 114 थी जिनको जल्द से जल्द गिराने के निर्देश थे। इनको भी नहीं गिराया जा सका है।