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Indian Railway: 'कवच' से लैस होगा 438 किलोमीटर का यूपी से बिहार जाने वाला ट्रेन रुट, पूर्वोत्तर रेलवे ने बनाया खास प्लान

Indian Railway: कवच की इस प्रक्रिया में सबसे पहले इस रुट पर सीतापुर-बुढ़वल मार्ग को स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली यानी कवच से पूरा किया जाएगा। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि इसके लग जाने से लगातार सामने आ रहे ट्रेन हादसों से जुड़े मामलों में काफी हद तक कमी आएगी।

Hemendra Tripathi
Published on: 5 Jan 2025 3:36 PM IST
Indian Railway: कवच से लैस होगा 438 किलोमीटर का यूपी से बिहार जाने वाला ट्रेन रुट, पूर्वोत्तर रेलवे ने बनाया खास प्लान
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 'कवच' से लैस होगा 438 किलोमीटर का यूपी से बिहार जाने वाला ट्रेन रुट (social media)

Indian Railway News: बीते लंबे समय से अनेकों व्यवस्थाओं के बावजूद रेल हादसों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। हादसों की बढ़ती इसी संख्या को रोकने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे की ओर से यूपी से बिहार जाने वाले 438 किलोमीटर के ट्रेन रुट को कवच यानी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली से लैस किया जाएगा। 438 किलोमीटर लंबे इस ट्रैक को मंजूरी मिलने के बाद पूर्वोत्तर रेलवे की ओर से टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

बाराबंकी से लेकर छपरा तक के ट्रेन रुट को दिया जाएगा 'कवच'

बताया जाता है कि पूर्वोत्तर रेलवे की ओर से यूपी के बाराबंकी से गोरखपुर होकर बिहार के छपरा तक जाने वाले रूट को स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली "कवच" से लैस किया जाएगा। कवच की इस प्रक्रिया में सबसे पहले इस रुट पर सीतापुर-बुढ़वल मार्ग को स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली यानी कवच से पूरा किया जाएगा। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि इसके लग जाने से लगातार सामने आ रहे ट्रेन हादसों से जुड़े मामलों में काफी हद तक कमी आएगी। आपको बताते चलें कि रेलवे दुर्घटनाओं को देखा जाए तो आमतौर पर दो ट्रेनों के बीच होने वाली टक्कर को रोकने में इस प्रणाली को सबसे अहम माना जाता है।

दो ट्रेनों की टक्कर रोकने के लिए 'कवच' के जरिये होगा GPS और रेडियो फ्रीक्वेंसी का प्रयोग

कवच नाम की इस खास तकनीक से एक ही रेलवे ट्रैक पर एक दूसरे के पीछे चलने वाली ट्रेनों में टक्कर नहीं होगी। दो ट्रेनों के आपस में टकराने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए जीपीएस और रेडियो फ्रीक्वेंसी का प्रयोग होगा। आपको बता दें कि इस तकनीक के सहारे ट्रेनों के आपस में टकराने की स्थिति आने से पहले ही दोनों ट्रेनों में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा के साथ ही पांच किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी ट्रेनों का संचालन भी बंद हो जाएगा। बताते चलें कि ट्रेनों के हादसों में कमी लाने के लिए दो वर्ष पूर्व पहले रेलवे ने आरडीएसओ के साथ मिलकर इसपर काम शुरू किया था। इसकी मदद से स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (कवच) को विकसित किया गया है। कवच प्रणाली ब्रेक, हार्न, थ्रोटल हैंडल आदि की मॉनिटरिंग करती है।



Ragini Sinha

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