×

यूपी के इस जिले में अब भी नहीं पहुंच रहा दिल्ली से चला एक रुपया, जानें क्यों!

दो माह पहले जिले की मेजा-कोरांव तहसील के चार- पांच गावों से शुरू हुआ यह सिलसिला तेजी से एक से दूसरे गांव में फैल रहा है। वह भी बिना किसी राजनीतिक या परोक्ष नेतृत्व के। यही वजह है कि वंचित ग्रामीण परिवार इसे अपनी मुहिम मान इसमें स्वत: जुड़ते जा रहे हैं।

Aditya Mishra
Published on: 25 Nov 2018 2:07 PM IST
यूपी के इस जिले में अब भी नहीं पहुंच रहा दिल्ली से चला एक रुपया, जानें क्यों!
X

प्रयागराज: देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी अक्सर एक बात कहा करते थे। वो ये थी कि अगर दिल्ली से एक रुपया चलता है तो गरीब के पास सिर्फ 15 पैसे पहुंचते हैं। कुछ उसी तर्ज पर पीएम नरेंद्र मोदी भी ये बात अपनी सभाओं में कहते आए है कि उनकी सरकार में अगर दिल्ली से एक रुपया चलता है तो हर गरीब के घर में पूरे 100 पैसे ही पहुंचते हैं। हालांकि यूपी के प्रयागराज के करीब 350 गांवों के लोगों पीएम मोदी कि बात से सहमत नहीं है। यहीं वजह है कि वे अपने –अपने ग्राम सचिवालय के सामने कर अपना हक मांग रहे हैं।

बिना किसी नेतृत्व के आगे बढ़ रही मुहिम

जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक़ दो माह पहले जिले की मेजा-कोरांव तहसील के चार- पांच गावों से शुरू हुआ यह सिलसिला तेजी से एक से दूसरे गांव में फैल रहा है। वह भी बिना किसी राजनीतिक या परोक्ष नेतृत्व के। यही वजह है कि वंचित ग्रामीण परिवार इसे अपनी मुहिम मान इसमें स्वत: जुड़ते जा रहे हैं।

वे अपनी-अपनी ग्राम पंचायत के सामने हर रोज जुटते हैं और अपनी-अपनी अनसुनी शिकायतें दोहराते हैं। पांती गांव की ग्राम-सत्याग्रही विमला देवी बताती हैं- हम लोग राशन, आवास, मनरेगा भुगतान, विधवा-निराश्रिता-दिव्यांगता पेंशन जैसी विभिन्न बुनियादी सुविधाओं से वंचित बने हुए हैं। कोटेदार से लेकर प्रधान और ग्राम सचिव तक, सभी ने हमारा हक हड़पा। हर योजना के लिए पैसों की उगाही तक की, लेकिन फिर भी हक नहीं दिया।

सींकीकला गांव की ग्राम-सत्याग्रही गीता देवी बताती हैं- प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लाभ दिलाने के एवज में मुझसे पहली किश्त की उगाही कर ली गई। प्रधान ने 40 हजार रुपये मेरे खाते से अपने खाते में डलवा लिए। मैंने स्वयंसेवी संस्था की मदद से लड़ाई लड़ी तो प्रधान सहित आठ लोगों पर एफआइआर दर्ज हुई, लेकिन बावजूद इसके मुझे मेरा पैसा आज तक नहीं मिला।

दुघरा गांव के हरिशंकर आदिवासी, रोहित कुमार और विनोद कुमार हरिजन बताते हैं- तहसील दिवसों पर हम लोग निवेदन देते देते थक गए, पर अफसरों ने भी एक न सुनी। प्रधान, ग्राम सचिव और अफसर सब मिलीभगत कर हमारा हक हड़प जाते हैं। हम सैकड़ों परिवार सूखे तालाबों पर झोपड़ियां बना जीवन जी रहे हैं। कहां है प्रधानमंत्री आवास योजना।

ये भी पढ़ें...अरे जनाब ! 16 पॉइंट्स में जानिए इलाहाबाद से प्रयागराज का 160 साल का सफर

जागते रहो नारे के साथ अनवरत चलेगी मुहिम

हरगढ़ गांव की ग्राम-सत्याग्रही नचका देवी ने बताया कि करीब ढाई साल पहले स्वयंसेवी संस्था जनसुनवाई फाउंडेशन ने क्षेत्र के गांवों में जनपंचायतें लगाकर वंचित परिवारों को उनके अधिकारों से अवगत कराना शुरू किया। हमारी विभिन्न समस्याओं का दस्तावेजीकरण कर प्रशासन तक पहुंचाया जाने लगा। अधिकारी कर्मचारी भी इन बैठकों में उपस्थित रहते।

उम्मीद जगी थी कि अब हमें हमारा हक मिल जाएगा। लेकिन इससे बात और बिगड़ गई। पोल खुलती देख प्रधान और अधिकारी-कर्मचारी बुरी तरह बिफर गए। तब आंदोलन के सिवा कोई चारा नहीं बचा। जागते रहो... हमारा नारा है। इसी तर्ज पर यह मुहिम अनवरत चलेगी, ताकि कोई हमारा हक न चुरा सके ।

रंग ला रही मुहिम

मुहिम रंग लाते दिख रही है। ममोली गांव की सुमन देवी बताती हैं- प्रधान और ग्राम सचिव से लेकर अधिकारी तक हड़बड़ा गए हैं। उन्हें अपनी पोल खुलने का भय सताने लगा है। हमने किसी भी काम के लिए एक भी पैसा देने से इंकार कर दिया है।

साथ ही, इससे पहले जो पैसा लिया गया था, उसका भी हलफनामा बना रहे हैं। यही वजह है कि दो दिन पहले आपूर्ति विभाग के अधिकारी-कर्मचारी लैपटॉप लेकर गांव पहुंचे और राशन पात्रता सूची को दुरुस्त कर वंचित परिवारों का ऑनलाइन पंजीकरण किया।

ये भी पढ़ें...जब नाम बदला प्रयागराज, अखिलेश के निशाने पर आया योगीराज

पंचायत की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण

स्वयंसेवी संस्था जनसुनवाई फाउंडेशन के राज्य प्रभारी अधिवक्ता कमलेश प्रसाद मिश्र बताते हैं कि संस्था द्वारा प्रशासन को एक-एक गांव के एक-एक वंचित परिवार का लिखित निवेदन हस्ताक्षरित प्रारूप में सौंपा गया था। अधिकारियों-कर्मचारियों ने जनपंचायतों में पहुंच निवेदनों की पुष्टि भी की थी।

जिलाधकिारी ने प्रत्येक तहसील के एसडीएम को और जिला स्तर पर एडीएम को इस पूरी प्रक्रिया का नोडल अधिकारी नियुक्त किया था। लेकिन यह सब दिखावा साबित हुआ। प्रशासन ने ऑनलाइन सिस्टम पर सभी शिकायतों को निराकृत दर्शा दिया।

तब ग्रामीणों ने स्वत: आंदोलन का निर्णय लिया। अच्छी बात यह है कि वे एकजुट हो भ्रष्टाचार के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं और पंचायत की अहम भूमिका के प्रति जागरूक हो रहे हैं, जो इससे पहले कभी नहीं हुआ था। उन्होंने इस आंदोलन की न तो कोई समय सीमा रखी है, न किसी से कोई अपेक्षा की है। वे तो बस अपनी पंचायत से मुखातिब हैं और बने रहेंगे।

ये भी पढ़ें...प्रयागराज : राज्यपाल राम नाईक ने नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश को दिलायी शपथ



Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story