गोरखपुर: उर्दू बाजार का प्रसिद्ध घंटाघर भी हुआ 'भगवामय', अल्पसंख्यक खुश

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By aman
Published on: 26 Nov 2017 8:46 AM GMT
गोरखपुर: उर्दू बाजार का प्रसिद्ध घंटाघर भी हुआ भगवामय, अल्पसंख्यक खुश
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गोरखपुर: उर्दू बाजार का प्रसिद्ध घंटाघर हुआ 'भगवामय', अल्पसंख्यक खुश

गोरखपुर: यहां का प्रसिद्ध घंटाघर भगवा हो रहा है। पहले बिल्कुल पीले रंग में नजर आने वाला वाली इस इमारत पर भगवा रंग चढ़ाने का काम पिछले एक हफ्ते से चल रहा है। जहां एक तरफ ये घंटाघर है उस बाजार का नाम उर्दू बाजार है। यहां की ज्यादातर दुकानें अल्पसंख्यक समुदाय की है। बावजूद इसके यहां के व्यापारियों में इस रंग को देखकर काफी जोश और उत्साह है।

गौरतलब है, कि इससे पहले गोरखपुर विकास भवन में पंचायती राज विभाग और रेलवे स्टेशन पर पोर्टिको के पर्दे को भी केसरिया रंग में रंगा देखा जा चुका है। घंटाघर को भगवा रंग देने में करीब करीब आधा दर्जन मजदूर लगे हुए हैं। बताया जा रहा है कि इस पर करीब 57,000 रुपए खर्च होने का अनुमान है। पिछली बार यानि 4 साल पहले घंटाघर का रंग रोगन कराया गया था। इससे पहले घंटाघर की दीवारें हल्के पीले रंग से रंगी थी, जिसका बॉर्डर गुलाबी रंग का था।

सरकारों का रंग प्रेम नया नहीं

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने के बाद सरकार का 'भगवा प्रेम' बढ़ा है। रोडवेज बसों से लेकर सरकारी कार्यालयों के पंडालों तक में भगवा का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। दफ्तरों में इस्तेमाल होने वाले पर्दों और तौलिए तक को केसरिया रंग में रंगा जा रहा है। यूं तो, बदलती सरकारों में पर्दे, पंडाल और इमारतें मनमाफिक रंग से रंगने की परंपरा नई नहीं है। इससे पहले भी सरकार में होने वाली पार्टी के पसंदीदा रंग से सार्वजनिक स्थल रंगे नजर जाते रहे हैं।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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