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अगर बनना है छोरा गंगा-गोमती किनारे वाला तो पहले लेना होगा टिकट
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन पर फिल्माया मशहूर गाना छोरा गंगा किनारे वाला आज भी उतना ही पॉपुलर है जितना पहले था। लेकिन लखनऊ नगर निगम के अधिकारीयों ने अब इसमें एक ट्विस्ट ला दिया है। ट्विस्ट ये की यदि आप यूपी की नदियों के किनारे पर्यटन का
मनोज द्विवेदी
लखनऊ: सदी के महानायक अमिताभ बच्चन पर फिल्माया मशहूर गाना छोरा गंगा किनारे वाला आज भी उतना ही पॉपुलर है जितना पहले था। लेकिन लखनऊ नगर निगम के अधिकारीयों ने अब इसमें एक ट्विस्ट ला दिया है। ट्विस्ट ये की यदि आप यूपी की नदियों के किनारे पर्यटन का आनंद लेने जाएंगे तो आपको पहले पर्यटन टिकट लेना होगा। फ़िलहाल यह योजना गोमती किनारे लागू होगी फिर इसे गंगा, यमुना, सोन, बेतवा और केन जैसी नदियों के किनारे खूबसूरत नज़ारे देखने वालों लागू किया जाएगा।
गोमती रिवर फ्रंट से होगी शुरुआत
जानकारी के अनुसार लखनऊ विकास प्राधिकरण गोमती रिवर फ्रंट के तहत विकसित पार्कों और पर्यटन स्थलों पर टिकट लगाने की योजना से इसकी शुरुआत करेगा। यह प्रोपोजल तैयार कर स्वीकृति के लिए शासन के पास भेजा गया है और अनुमति मिलते ही इसे लागू किया जाएगा। इसके लिए जो रुपरेखा बनाई गयी है उसके अनुसार यह वसूली निजी कंपनी से टोल रोड और पब्लिक पार्कों की तर्ज पर करवायी जायेगी। एलडीए के अधिकारीयों की माने तो मौजूदा वित्तीय वर्ष में इसके लागू होने की पूरी सम्भावना है।
यमुना रिवर फ्रंट और गंगा रिवर फ्रंट भी योजना में
सूत्रों की माने तो प्रदेश में यह अपनी तरह की पहली योजना होगी। इसलिए यमुना रिवर फ्रंट और गंगा रिवर फ्रंट की मांग के सक्रीय लोगों के लिये यह महत्वपूर्ण है कि शासन नदी तट का सौदर्यीकरण करने के साथ ही उस पर आम जनता से टिकट लगाकर वसूली का इरादा रखता है।
वर्तमान में प्रदेश में जहां जहां रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट संचालित हैं उनमें मथुरा, आगरा, इलहाबाद और वाराणसी, सोनभद्र और बुंदेलखंड मुख्य हैं। अधिकारीयों का कहना है कि नदियों के किनारे पर्यटन स्थल विकसित करने और संचालित करने के लिए विदेशी फंडिंग की व्यवस्था की जाती है अब वही कर्ज अदायगी जनता के टिकट से होने वाली आमदनी से की जायेगी।
हरकी पौड़ी है पहला रिवर फ्रंट
जहा तक पहले योजनाबद्ध रिवर फ्रंट की बात है तो हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी पहला प्लांड रिवर फ्रंट है जिसे बनवाने में आगरा के राजवाड़ा परिवार और जमींदारों ने धन खर्च किया था लेकिन आज तक जनता से इसका कोई किराया नहीं वसूल किया जाता। वही आजादी के बाद चम्बल नदी और लखीमपुर खीरी में शारदा नदी के किनारे विकसित किये गए वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के नाम जनता से वसूली की जाती है. कुछ अधिकारीयों का मनना है भविष्य में नदियों के किनारे इसी तरह छोटे छोटे स्पॉट बनाकर निजी कंपनियां कमाई का एक और जरिया बना सकती हैं. इसलिए सभी पहलुओं पर ध्यान देकर ही ऐसे प्रोजेक्ट को अनुमति दी जानी चाहिए।
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