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RLD: अब राष्ट्रीय लोकदल राजनीति में रुचि रखने वाले पढ़े-लिखे युवाओं को पढाएगी राजनीति का ककहरा
Meerut: लोकतंत्र का उत्सव आते ही चर्चा शुरु हो जाती है शुचिता की, अपराधियों और अक्षम लोगों को चुनाव और राजनीति से दूर रखने के लिए राष्ट्रीय लोकदल सारथी प्रोजेक्ट लाया है। इसके तहत राजनीति में रुचि रखने वाले पढ़े-लिखे युवाओं को प्रशिक्षण देकर छह माह के लिए रालोद विधायकों के साथ काम करने का मौका दिया जाएगा।
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महामंत्री एवं प्रदेश के पूर्व सिंचाई मंत्री डॉ.मैराजुद्दीन अहमद ने आज Newstrack को यह जानकारी देते हुए बताया कि चुनावों के मौकों पर अक्सर राजनीति को साफ सुथरा रखने के लिए कई सुझावों और प्रस्तावों पर बात की जाती है लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद यह सब ठंडे बस्ते में चला जाता है और सरकार ही नहीं आम जन के स्तर से भी यह बातें 'हवा' हो जाती हैं।
भारत के ऐतिहासिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक सहित विभिन्न आयामों के वृहद ज्ञान रखने वालों को राजनीति में आने की हिमायत हमेशा की जाती रही है। कमोबेश इसी सोच के चलते राजनीति क्षेत्र में आने के इच्छुक युवाओं को राजनीति का ककहरा पढ़ाने एवं रालोद से जोड़ने के मकसद से राष्ट्रीय लोकदल द्वारा राजनीति में रुचि रखने वाले पढ़े-लिखे युवाओं को प्रशिक्षण देकर छह माह के लिए रालोद विधायकों के साथ काम करने का मौका देने का निर्णय पार्टी रविवार को दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया है।
डॉ.मैराजुउद्दीन के अनुसार यह कोई कार्यक्रम नही बल्कि एक मुहिम है,जो कि रालोद ने शुरु की है। डॉ.मैराजुउद्दीन कहते हैं,हालांकि एक झटके में सब कुछ बदल जाने वाला नहीं है लेकिन हमारी ही नही बल्कि देश के बुद्धिजीवी वर्गं की मान्यता यह है कि इसके प्रयास शुरु कर दिए जाने चाहिएं क्योंकि यह 'सोच' बहुआयामी है। बकौल मैराजपउद्दीन अहमद,''राजनीति के अपराधीकरण और देश एवं समाज की मूल समस्याओं से अनभिज्ञ रहने वाले अशिक्षित-अल्पशिक्षित अथवा शिक्षित लोगों के मुख्य धारा में आने से समस्यायें घटने के बजाए बढ़ गयी हैं।
रालोद नेता कहते हैं कि यदि इस देश में इंजीनियर, डाक्टर और प्रबंधन के क्षेत्र में विशेषज्ञ पैदा करने के लिए आईआईटी, आईआईएम और चिकित्सा विश्वविद्यालय जैसे संस्थान खोले जा सकते हैं तो राजनीति में आने के बाद देश और समाज के लिए क्या करना है यह भी आना चाहिए और इसके लिए राजनीति में पढ़े-लिखे युवाओं को राजनीति का ककहरा पढाया जाना जरुरी है। बकौल,मैराजुउद्दीन ,मुझे इस बात का गर्व्र है कि हमारी पार्टी ने यह बीड़ा उठाया है।
यहां बता दें कि राजनीति को साफ सुथरा रखने के लिए देश के चर्चित पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त टी. एन. शेषन ने साल 2005-06 में महाराष्ट्र के पुणे में एक अकादमी भी स्थापना की थी, जिसमें इस क्षेत्र में आने के इच्छुक युवाओं को राजनीति का ककहरा पढ़ाया जा सके। सोच यह थी कि यदि इस पाठशाला से पढ़े युवा राजनीति में आयेंगे तो देश की दिशा और दशा बदल सकती है। साथ ही राजनीति से घृणा करने की प्रवृत्ति पर भी प्रभावी विराम लग सकेगा, लेकिन ऐसा हो न सका।