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अब मऊ जिला अस्पताल में हो पाएगा जन्मजात मुड़े हुए पैरों का उपचार

अब जिले में जन्मजात बच्चों के मुड़े हुए पैरों की बीमारी का उपचार कराने के लिए बड़े मेट्रो शहरों में जाकर भाग -दौड़ नहीं करनी पड़ेगी। जिला अस्पताल में ही इसका इलाज होगा।

Aditya Mishra
Published on: 24 July 2019 5:16 PM GMT
अब मऊ जिला अस्पताल में हो पाएगा जन्मजात मुड़े हुए पैरों का उपचार
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मऊ: अब जिले में जन्मजात बच्चों के मुड़े हुए पैरों की बीमारी का उपचार कराने के लिए बड़े मेट्रो शहरों में जाकर भाग -दौड़ नहीं करनी पड़ेगी। जिला अस्पताल में ही इसका इलाज होगा। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीशचन्द्र सिंह ने एक बैठक के दौरान दी।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत जिला अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में क्लब फुट क्लीनिक मिरेकल फीट इंडिया के सहयोग से 25 जुलाई बृहस्पतिवार से स्थापित होने जा रही है।

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प्रत्येक गुरुवार को खुलेगी क्लीनिक

यह क्लीनिक सप्ताह में केवल एक दिन प्रत्येक गुरुवार को चलेगी। इसको लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है। अधिकारियों ने बैठक कर पूरी तरह से इस कार्ययोजना को अंतिम रूप देने के लिए मंथन कर लिया है।

सीएमओ डॉ. सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि क्लब फुट बीमारी में बच्चों के पैर टेढ़े.- मेढ़े होने लगते हैं। सही समय पर इसका इलाज न हो तो जीवन भर के लिए दिव्यांग हो जाता है।

विशेषज्ञों की मानें तो मेडिकल साइंस में इस बीमारी के सही कारण का पता अबतक नहीं चल सका है। मानना है कि गर्भावस्था के समय गर्भस्थ शिशु की पोजिशन ठीक नहीं होने के कारण बच्चों के पैर खराब हो जाते हैं।

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गर्भ में जुड़वा शिशु होने की दशा में बीमारी का खतरा

सीएमओ ने आगे बताया कि आधुनिक खान.पान को इस बीमारी की वजह मानते हैं। वहीं गर्भ में जुड़वा शिशु होने की दशा में इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।

आनुवांशिक तौर पर बच्चों की हड्डियों में खराबी के कारण शिशु इस रोग की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे बच्चों के इलाज के लिए अब जिला अस्पताल में क्लब फुट क्लिनिक स्थापित की जाएगी जिससे ऐसे बच्चों का इलाज यहाँ पर संभव हो सके।

नोडल अधिकारी आरबीएसके डॉ. एम लाल ने बताया कि जन्म के समय स्क्रीनिंग के दौरान पता चलने पर इसका इलाज जितनी जल्दी शुरू हो जाए ठीक होने की संभावना उतनी ज्यादा होती है।

मुख्यतया जन्म से 2 वर्ष तक के बच्चों का इलाज प्लास्टर द्वारा तथा विशेष जूतों द्वारा ठीक किया जा सकता है जो पूर्णतया निःशुल्क है। उसके बाद की उम्र में पता चलने पर करेक्टिव सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डीईआईसी मैनेजर अरविंद वर्मा ने बताया कि वह सदर अस्पताल के सीएमएस डॉ. बृजकुमार से एवं वाराणसी से आए मिरेकल फीट के ब्रांच मैनेजर भूपेश सिंह तथा आजमगढ़ से आए प्रोग्राम असिस्टेंट सिरंजय सिंह के साथ मुलाकात की तथा सीएमओ से बात करके इस पूरी व्यवस्था की कार्य योजना की नींव रखी। क्लब फुट के नए केस मिलने पर आधिकारिक तौर पर उदघाटन किया जाएगा।

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