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आगरा की सुरक्षा से पुलिस बेखबर, शहर में बांग्लादेशी घुसपैठियों की भरमार

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Published on: 10 Aug 2017 11:45 AM IST
आगरा की सुरक्षा से पुलिस बेखबर, शहर में बांग्लादेशी घुसपैठियों की भरमार
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आगरा: मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार किए गए बांग्लादेशी आतंकवादी अब्दुल्ला से पूछताछ में मिले इनपुट्स के बाद आगरा एक बार फिर चर्चाओं में है। इनपुट्स के अनुसार अब्दुला अपने साथियों के साथ मुज्जफरनगर के साथ-साथ आगरा में भी बड़ी आतंकी वारदात की फिराक में था। प्रदेश में किसी बांग्लादेशी आतंकवादी के पकड़े जाने का यह पहला मामला नहीं है। ताजनगरी में पहले भी कई बार बांग्लादेशी घुसपैठ के सबूत मिल चुके हैं। आतंकी अब्दुल्लाह के पास मिले एक पेपर पर बांग्ला भाषा में आठ लोगों के नाम लिखे हुए मिले हैं।

इसमें आगरा को दहलाने की साजिश के बारे में भी लिखा है। इन आठ लोगों में आगरा के भी कुछ नाम हो सकते हैं। एटीएस अब आतंकी से उसकी साजिश और पेपर से मिले नामों के बारे में जानकारी कर रही है। ताजनगरी आगरा में बांग्लादेशी घुसपैठियों की भरमार है। कई दशक पहले से झोपड़ियों में रहने वाले इन परिवारों ने बोली सीखकर अब आधार कार्ड और राशन कार्ड बनवाकर यहीं की नागरिकता भी हासिल कर ली है। उसके बावजूद सुरक्षा एजेंसिया और पुलिस इस और से बेखबर है जो कि काफी चिंता का विषय बनता जा रहा है।

आगरा में जगह-जगह बनी हैं बस्तियां

एत्माद्दौला के यमुना ब्रिज के पास पांच दशक से इसी तरह की बस्ती बसी हुई है। 150 झोपड़ियों में रहने वाले इन लोगों का रहन-सहन बरसों पुराना है, लेकिन भाषा बदल गई है। गोपी झोंपड़ी, मारवाड़ी इंद्रा नगर के नाम से इस बस्ती को आधार कार्ड में पहचान मिल चुकी है। इनमें दो हजार से अधिक लोग रहते हैं। मगर, इनकी हकीकत कोई नहीं जानता। इसके बाद भी पुलिस और खूफिया एजेंसियों को इन पर कोई शक नहीं है। इनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड और बैंक पासबुक सब कुछ है। बस्ती की करीब 40 फीसद महिलाओं के पास अब आधार कार्ड हैं। गोपी झोपड़ी की तरह सिकंदरा, सदर और रकाबगंज के बिजलीघर में बस्तियां हैं।

इनमें हजारों लोग रहते हैं, जिनका पुलिस ने अभी तक वेरीफिकेशन नहीं किया है। इन बस्तियों में रहने वाले महिला और पुरुषों के साथ बच्चे कबाड़ बीनने में लगे रहते हैं। इससे ऊपर उठ चुके कुछ लोग अब फेरी लगाकर शहर के अलग-अलग इलाकों में सामान बेचते हैं। शहर के एत्माद्दौला, सदर, सिकंदरा और रकाबगंज थानों में घुसपैठियों की बस्ती हैं। मगर, पुलिस के रिकॉर्ड में कुछ नहीं है। न तो बीट सिपाही इनको देखता है न ही दारोगा। इनकी गतिविधियों पर भी कोई नजर नहीं रखी जा रही है। पुलिस की ढिलाई के चलते वे अब यहां के नागरिक बनते जा रहे हैं, जिससे उन्हें बांग्लादेशी प्रमाणित करना ही मुश्किल हो रहा है।

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नकली नोटों के रैकेट से जुड़ी फातिमा हुई थी गिरफ्तार

16 फरवरी 2017 को एत्माद्दौला के सुशील नगर से एनआइए ने फातिमा को गिरफ्तार किया। बांग्लादेशी फातिमा नकली नोटों के गिरोह से जुड़ी थी। मगर, न तो पुलिस को इसकी जानकारी थी न ही स्थानीय लोगों को। पकड़े जाने के बाद उसका यह राज खुल गया। तमाम बिंदु जांच करने वाले थे, लेकिन पुलिस ने अपने स्तर से कोई जांच नहीं की। अभी एनआइए मामले की जांच में लगी है।

वेद्नगर धर्मांतरण के दौरान खुला था मामला

दिसंबर 2014 में वेद नगर में इसी तरह की बस्ती में धर्म परिवर्तन मामला सुर्खियों में आया था। यहां रहने वालों ने खुद को पश्चिम बंगाल का बताया। उन के बताए हुए पते पर पुलिस पहुंची तो वहां कोई रिश्तेदार नहीं मिला। इसके बाद ये रातों-रात गायब हो गए। पुलिस ने उन्हें ट्रेस करना भी उचित नहीं समझा।

होटल में ठहरकर गए थे आईएम के आतंकी

इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी बरकत और साकिब डीआइजी आवास के पास स्थित एक होटल में वर्ष 2014 में ठहरे थे। 7 मार्च को वे यहां आए थे। इसके बाद उन्होंने पूरे शहर की रेकी की। दिल्ली में पकड़े जाने के बाद आतंकियों ने खुफिया एजेंसियों को इसकी जानकारी तब यहां खलबली मच गई। होटल का रिकार्ड चेक किया गया तो उनके पहचान पत्र भी मिले थे।

आगरा में पढ़ा था आतंकी सलीम

एटीएस द्वारा मुंबई से गिरफ्तार किया गया आतंकी सलीम आगरा में पढ़ा था। उसके पिता यहां नौकरी करते थे। प्राइमरी की पढ़ाई उसने मोती लाल नेहरू रोड स्थित मुफीद ए आम इंटर कॉलेज की मांटेसरी में की थी। एटीएस को पूछताछ में उसने यह जानकारी दी थी।

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एजाज भी कई बार आया था आगरा

आइएसआई एजेंट एजाज भी कई बार आगरा आया था। ताजमहल समेत अन्य एतिहासिक इमारतों की रेकी करने के बाद वह यहीं रुका। जानकारी होने के बाद खुफिया एजेंसियों ने उसके ठिकानों को खंगाला था।

9 फरवरी 2016 को खुफिया एजेंसियों ने सदर के बुंदू कटरा में एक डेरे पर छापा मारकर मोहम्मद जोयनल निवासी जिला बागरहट, बांग्लादेश और मेहताब विश्वास निवासी जिला गोपालगंज, बांग्लादेश को गिरफ्तार कर लिया। स्थानीय गुप्तचर इकाई (एलआइयू) की ओर से सदर थाने में बिना पासपोर्ट के यहां रहने और 14 विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया। ये फोन पर पाकिस्तान से संपर्क में थे। इसके बाद पुलिस उनके नेटवर्क को नहीं खोल सकी।

25 मार्च 2013 को सेना पुलिस ने एडीआरडीई कार्यालय की बाउंड्री के नजदीक एक संदिग्ध युवक को सेना पुलिस ने दबोच लिया। इंटेजीलेंस टीम की पूछताछ में उसने अपना नाम लुकपर पुत्र अदीम अली बताया। वह बांग्लादेश बटमल जिले में सुदपुर गांव का रहने वाला था। मुकदमा दर्ज होने के बाद इसे जेल भेज दिया गया। मगर, उसके संपर्क कहां तक थे? पुलिस पता नहीं कर सकी।

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