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UP Politics: सभी दलों में बढ़ेगा ओबीसी नेताओं का कद, राजभर और दारा सिंह बन सकते हैं मंत्री

OBC in UP Politics: जातिगत जनगणना का असर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर पडऩा तय

Raj Kumar Singh
Written By Raj Kumar Singh
Published on: 5 Oct 2023 7:22 AM GMT
UP Politics
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UP Politics (Photo: Social Media)

OBC in UP Politics: बिहार की जातिगत जनगणना का असर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर पड़ना तय है. प्रदेश में ओबीसी नेताओं का महत्व सभी दलों में बढ़ेगा. खासतौर से अति पिछड़ी जाति के नेताओं का. बीजेपी की बात करें तो यहां पहले से ही ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान को पार्टी में शामिल किया जा चुका है. बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद दोनों को मंत्री बनाया जा सकता है. इनमें से ओमप्रकाश राजभर के मंत्री बनने की चर्चा तो करीब इस साल की शुरुआत से ही चल रही है. लोकसभा चुनाव से पहले अब उनका मंत्री बनना तय माना जा सकता है. इसके साथ ही दारा सिंह चौहान भी मंत्री बनने की लाइन में हैं. चौहान हालांकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित हुए हैं लेकिन इसके बावजूद बीजेपी इन्हें मंत्री पद से नवाज सकती है. बीजेपी ऐसा करके ओबीसी वर्ग को साफ संदेश देगी कि वह उनके समाज को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए कोई भी कीमत चुका सकती है.

बीजेपी ने 2014 से ही ओबीसी नेताओं को प्रथम पंक्ति में रखा है

बीजेपी में पहले से ही कई ओबीसी नेताओं को पहली पंक्ति में जगह मिली हुई है. केशव प्रसाद मौर्य लगातार दूसरी बार उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं. यहां तक कि अपना चुनाव हारने के बाद भी उन्हें दोबारा उप मुख्यमंत्री बनाया गया. इनके अलावा स्वतंत्र देव सिंह भी पार्टी में महत्वपूर्ण पद पर हैं. बीजेपी में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे ओबीसी नेताओं की एक लंबी सूची है. इसका फायदा भी बीजेपी को लगातार मिल रहा है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव हों या फिर 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव सभी में ओबीसी वर्ग ने बीजेपी का साथ दिया है. और यही कारण है कि इन सभी चुनावों में बीजेपी ने जबर्दस्त कामयाबी हासिल की है. बीजेपी जानती है कि सिर्फ सवर्णों के भरोसे उसकी नैया पार नहीं लग सकती इसलिए ओबीसी वोटों को साधना ही होगा. पार्टी यह काम बखूबी कर भी रही है.

सपा में अखिलेश यादव पिछड़ा-दलित-आदिवासी एकता पर काम कर रहे हैं

उत्तर प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े दल समाजवादी पार्टी की बात करें तो वहां ओबीसी नेतृत्व ही प्रभावी रहा है. पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके बाद उनके पुत्र अखिलेश यादव ने पार्टी ने ओबीसी को पार्टी में महत्वपूर्ण स्थान देना जारी रखा. इस समय समाजवादी पार्टी में स्वामी प्रसाद मौर्य की स्थिति सबसे मजबूत है और आने वाले दिनों में उनको और अधिक तवज्जो मिलेगी इसमें कोई संदेह नहीं है. समाजवादी पार्टी ने तो उत्तर प्रदेश में भी जातिगत आधार पर जनगणना की मांग कर दी है. पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे लेकर काफी ट्वीट किए हैं. अखिलेश यादव पीडीए अर्थात पिछड़े, दलित और आदिवासी वर्गों को मिलाकर आगे बढ़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. हाल ही में पीडीए को लेकर असंतोष जताने वाले कुछ सवर्ण नेताओं को उन्होंने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाकर यह साफ कर दिया है इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा.

बीएसपी राजनीतिक असमंजस में

बहुजन समाज पार्टी फिलहाल राजनीतिक और रणनीतिक असमंजस के दौर से गुजर रही है. एक समय दलितों और ओबीसी की राजनीति को शिखर पर ले जाने वाली पार्टी अब इस मुद्दे पर काफी पीछे नजर आती है. बीएसपी के ज्यादतर बड़े ओबीसी नेताओं ने दूसरी पार्टियों का दामन थाम लिया है. हालांकि इस समय बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से आने वाले विश्वनाथ पाल हैं। लेकिन एक समय ओबीसी नेताओं से भरी रहने वाली पार्टी में फिलहाल ओबीसी के बड़े चेहरे कम ही नजर आते हैं। और बीएसपी इस समय इस मुद्दे पर सबसे पीछे खड़ी दिखती है.

कांग्रेस में राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना का समर्थन कर सब साफ कर दिया है

कांग्रेस की बात करें तो राहुल गांधी का रुख सब स्पष्ट कर देता है. राहुल गांधी ने महिला आरक्षण में ओबीसी महिलाओं को शामिल करने की मांग करके यह साफ कर दिया है कि वे किस तरफ खड़े हैं. इसके साथ ही राहुल गांधी ने पूरे देश में जातिगत जनगणना की मांग की है. वह इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करने का मन भी बना रहे हैं. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने हाल ही में अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. कांग्रेस के तेवर देखकर साफ है कि वह ओबीसी को साथ लेने के लिए जोरदार ढंग से काम करेगी.

Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During her career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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