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OBC-SC के छात्रों ने योगी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, लगाए कई गंभीर आरोप

आज लखनऊ में तड़के सुबह प्रदेश के DY CM keshav prasad maurya के कालिदास मार्ग स्थित आवास के सामने शिक्षक भर्ती में कथित तौर पर हुई अनियमितता को लेकर अभ्यार्थियों ने धरना-प्रदर्शन किया। अभ्यार्थियों का आरोप है कि राज्य में पिछले साल हुई शिक्षक भर्ती में आरक्षण प्रावधानों की आनदेखी की गई है। आंदोलनरत आभ्यार्थियों का कहना है की योगी सरकार ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से नहीं किया है और इसमें आररक्षण प्रावधानों को भी ठीक ढ़ंग से लागू नही किया है।

Deepak Raj
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Published on: 30 Jun 2021 2:37 PM GMT
OBC-SC के छात्रों ने योगी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, लगाए कई गंभीर आरोप
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लखनऊ न्यूज। आज लखनऊ में तड़के सुबह प्रदेश के DY CM keshav prasad maurya के कालिदास मार्ग स्थित आवास के सामने शिक्षक भर्ती में कथित तौर पर हुई अनियमितता को लेकर अभ्यार्थियों ने धरना-प्रदर्शन किया। अभ्यार्थियों का आरोप है कि राज्य में पिछले साल हुई शिक्षक भर्ती में आरक्षण प्रावधानों की आनदेखी की गई है। आंदोलनरत आभ्यार्थियों का कहना है की योगी सरकार ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से नहीं किया है और इसमें आरक्षण प्रावधानों को भी ठीक ढ़ंग से लागू नही किया है। इस प्रक्रिया में की गई घोर अनियमितता के कारण प्रदेश के विद्यार्थियों में रोष है और इसी का परिणाम है की आज वे सड़कों पर उतरे हुए हैं।

आपको बता दें की राज्य में पिछले साल योगी सरकार ने 69000 हजार शिक्षकों की भर्ती हुई थी जिसकी प्रकिया मई 2020 में ही पूरी कर ली गई थी। लेकिन विभिन्न अभ्यार्थियों का आरोप है की इस शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का पालन नहीं किया गया है जिसके कारण प्रदेश के 5844 अभ्यार्थियों कि हकमारी हुई है।

ओबीसी-एससी अभ्यार्थियों की हकमारी हुई


Teacher protest infront of Dy CM Residence in Lucknow



राजधानी लखनऊ की सड़कों पर और इको गार्डन में प्रदर्शन कर रहे ओबीसी- एससी अभ्यार्थियों का आरोप है कि, 69000 शिक्षक भर्ती में 5844 सीटों के आरक्षण में धांधली की गई है। जिसकी शिकायत उत्तर प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री से लेकर केंद्रीय ओबीसी आयोग तक की गई। सभी के द्वारा आश्वासन दिया जा रहा है।

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी जजमेंट नही कर पाई सरकार

अभी तक हमारे मामले में सुनवाई नहीं की गई। विभाग रोज आश्वासन देने का काम करता है। एक अभ्यर्थी ने बताया कि सरकार ने हम लोगों के साथ धांधली करके हमारे आरक्षण की सीटों को अन्य अभ्यर्थियों को दे दिया। इस मामले में हम लोग हाईकोर्ट भी गए। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी विभाग हम लोगों की सीट का जजमेंट नहीं कर रहा है।

बड़ी संख्या में अभ्यर्थी डिप्टी सीएम के आवास तक धरना देने के लिए पहुंच गए और चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिसकर्मियों को भनक तक नहीं लगी। यहां तक की LIU की टीम को भी इसकी जानकारी नहीं हो पाई। ये बड़ी चूक मानी जा रही है। बता दें कि भर्ती में घोटाले का आरोप लगाते हुए बड़ी संख्या में अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश की राजधानी में कई दिनों से अलग-अलग स्थानों पर धरना दे रहे हैं।

आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों ने अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया

शिकायतकर्ता ने उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षकों के चयन में, आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन का आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता ने बताया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018 में 69,000 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की अधिसूचना के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था। जिसमें राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 'उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन टीचर सर्विस रूल, 1981' के अनुसार, आरक्षण को राज्य में लागू कानूनों और प्रावधानों के अनुसार चयन प्रक्रिया पर लागू किया जाना था।

आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवंटित सीटें अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को दे दी गईं

इसके बाद भर्ती परीक्षा 6 जनवरी 2019 को आयोजित की जानी सुनिश्चित की गई थी, 1 मई 2020 को अंतिम चयन जारी की गई।शिकायतकर्ताओं के अनुसार अंतिम चयन सूची जो 1 मई 2020 को प्रकाशित की गई है उसमें आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवंटित सीटें, अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को दे दी गईं।

आरक्षण के नियमों का उल्लंघन किया गया था, जिसके बाद शिकायतकर्ता ने आयोग से संपर्क किया। इसके बाद पिछड़ा वर्ग आयोग ने जांच की, जिसमें आयोग को अनियमितताएं मिलीं, इसे लेकर पिछड़ा वर्ग आयोग ने यूपी सरकार को 29 मई 2021 को 15 दिन में जवाब देने को कहा था, लेकिन अभी तक सरकार ने जवाब नहीं दिया है।


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