TRENDING TAGS :
October Rain in UP: अक्टूबर में किसानों पर बारिश की आफत, तैयार फसल चौपट, मुख्यमंत्री ने दिए मदद के निर्देश
October Rain in UP: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर पीड़ित लोगों को तुरंत राहत पहुंचाएं।
October Rain in UP: उत्तर प्रदेश में अक्टूबर महीने में हो रही बारिश से किसानों के चेहरे पर मायूसी छा गई है पहले कम बारिश ने जहां धान की फसल को सुखा दिया जो बची खुची फसल है उसे बेमौसम बारिश तबाह करने पर तुली है. विजयादशमी की ओर से शुरू हुई बरसात गुरुवार शाम तक जारी रही जिससे किसानों की धान, ज्वार, बाजरा, सफेद तिल और सब्जी की खेती को भारी नुकसान हुआ है. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पिछले 24 घंटों में 73.4 मिलीमीटर बरसात हुई है जो इस सीजन मे रिकॉर्ड है. मौसम विभाग के मुताबिक 8 अक्टूबर तक बारिश के अनुमान है 9 अक्टूबर से राहत मिल सकती है.
राजधानी लखनऊ और आस-पास के इलाक़ों में तीन दिन से लगातार हो रही बारिश के चलते किसानों पर टूटा क़हर। धान और बाजरा की फसलें हुई बर्बाद, किसानों का कहना कि पूरी लागत डूब गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मदद की गुहार।
सीएम योगी ने दिए मदद के निर्देश
सूबे में पिछले दो दिनों में हुई भारी बारिश के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर पीड़ित लोगों को तुरंत राहत पहुंचाएं. इसके साथ ही किसानों को हुए नुकसान के आकलन के लिए कृषि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह मौके पर जाकर फसलों को हुए नुकसान का आकलन कर तुरंत शासन को रिपोर्ट भेजें. जिससे किसानों की मदद की जा सके. सीएम योगी ने पंचायती राज, ग्राम विकास, नगर विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग , पशुपालन एवं अन्य विभागों के अधिकारी को क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहकर मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं.
अक्टूबर में मुसीबत की बारिश
5-6 अक्टूबर को हुई बारिश किसानों के लिए मुसीबत से कम नहीं है. उनकी सारी मेहनत पर इंद्र देवता पानी फेर रहे हैं. राजधानी लखनऊ के मलिहाबाद इलाके के किसान राघव राम ने बताया कि उनकी धान की अगेती फसल एकदम तैयार है. वह उसे काटने के लिए इंतजाम कर रहे थे. इसी बीच दशहरे के दिन सुबह से हुई बारिश ने इस पर विराम लगा दिया. अब धान की फसल को सूखने का इंतजार करना पड़ेगा. उसके बाद इस की कटाई होगी. इसमें एक से दो हफ्ते की देरी होगी. दूसरे किसान मूलचंद ने बताया कि उनके ध्यान में फूल आ रहा था लेकिन बारिश और तेज हवा के चलते फूल नीचे गिर गए. जिससे अब पैदावार पर असर होगा और जो फसल पानी में नीचे गिर गई है उसमें अब दानों पर बुरा असर पड़ेगा. ज्वार, बाजरा, उड़द और सफेद तिल भी पानी की वजह से बर्बाद हो गए हैं. सब्जी की बुआई की तैयारी कर रहे किसानों के खेत में पानी भरने से गाजर, मूली, चुकंदर, धनिया,सोया,पालक, मेथी, गोभी के साथ सरसों की मोबाइल पर असर पड़ा है. बारिश का असर अगेती आलू की बुवाई पर पड़ेगा पानी भर जाने से आलू की फसल चौपट हो गई.
कृषि वैज्ञानिक का क्या है कहना
लखनऊ आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक जेपी गुप्ता के मुताबिक अक्टूबर की रिकॉर्ड तोड़ बारिश कम दबाव के क्षेत्र के सक्रिय होने पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता टर्फ लाइन के मध्य उत्तर प्रदेश से होकर गुजरने का नतीजा है. बरसात का असर तापमान पर भी पड़ा है. राजधानी का अधिकतम पारा सामान्य से 9.2 डिग्री गिरकर 24.4 डिग्री रिकॉर्ड किया गया.
चावल में होगी कमी
अक्टूबर में हुई बारिश का असर सीधे धान की खेती पर पड़ा है. जिससे उत्तर प्रदेश में भारी नुकसान का अंदेशा लगाया जा रहा है. धान की फसल खराब होने से इसका असर चावल की पैदावार पर होगा. कम पैदावार होने से चावल की किल्लत तय मानी जा रही है. जिससे दाम बढ़ने के भी आसार हैं.
अयोध्या से नाथ बख्श सिंह की रिपोर्ट
कृषि विश्वविद्यालय की किसानों को सलाह
अयोध्या जहां एक तरफ लगातार हो रही बारिश से मौसम ठंडा हो गया है तो वहीं दूसरी तरफ किसान भाईयों की मुश्किलें भी बढ़ने लगी हैं। किसानों को धान की फसल के नुकसान की चिंता सताने लगी है। इस बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान खड़ी फसलों को होगा। किसान भाईयों को खेतों से पानी निकासी की व्यवस्था शीघ्र करनी चाहिए।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कृषि मौसम वैज्ञानिक डा. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि धान की फसल को बचाने के लिए किसानों को पानी निकासी की व्यवस्था शीघ्र करनी चाहिए। धान में बाली लगने के बाद खेत में पानी नहीं जमा होने देना चाहिए, जिससे की धान की फसल पर मौसम का गलत प्रभाव न पड़े। खेत में पानी लगने से से बाली सड़ जाएगी। उन्होंने बताया कि आगे भी अगर ऐसे ही बारिश होती रही तो धान की फसल को नुकासान पहुंचेगा। अगले 15 दिनों के अंदर धान की बाली अब पकनी शुरू हो जाएगी।
डा. अनिल ने बताया कि लगातार हो रही बारिश से रबी की फसलों जैसे गेहूं, जौ, आलू, चना, मसूर, मटर, सरसो की फसल बोने में विलंब हो जाएगा क्योंकि खेतों में इसकी नमी लगभग 15 दिनों तक रहेगी और खेतों की जुताई भी नहीं हो पाएगी। रबी के फसलों की बुआई नवंबर माह के शुरुआत से शुरू हो जाती है। अगर किसान भाईयों को सब्जी की फसल भी लगानी है तो खेतों से पानी के निकासी की व्यवस्था करें।