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Oh My God! इस आईएएस को आफर हुआ तीन करोड का पैकेज
शासन के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार 1993 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव अग्रवाल ने वीआरएस मांगा है। यूपी काडर के अफसर राजीव अग्रवाल ने निजी कारणों से डीओपीटी को पत्र लिख कर वीआरएस मांगा है। इलाहाबाद और मुजफ्फरनगर के डीएम रह चुके राजीव अग्रवाल लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष भी रहे हैं और लखनऊ मेट्रो शुरू करने का श्रेय राजीव अग्रवाल को ही जाता है।
लखनऊ: आईएएस अधिकारी राजीव अग्रवाल जल्द ही वीआरएस लेकर प्राइवेट जाब में जा रहे हैं। कम्पनी कौन है यह तो नही पता लेकिन इन दिनों उनके वीआरएस को लेकर यूपी सचिवालय में खूब चर्चा है। कहा जा रहा है कि तीन करोड रुपए के पैकेज में उनकी किसी मल्टीनेशनल कम्पनी में बात हो चुकी है और जल्द ही वह नौकरी छोड देगें। आईएएस अधिकारी राजीव अग्रवाल 1993 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और फिलहाल अभी केन्द्र में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात हैं।
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राजीव अग्रवाल ने निजी कारणों से डीओपीटी को पत्र लिख कर वीआरएस मांगा
शासन के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार 1993 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव अग्रवाल ने वीआरएस मांगा है। यूपी काडर के अफसर राजीव अग्रवाल ने निजी कारणों से डीओपीटी को पत्र लिख कर वीआरएस मांगा है। इलाहाबाद और मुजफ्फरनगर के डीएम रह चुके राजीव अग्रवाल लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष भी रहे हैं और लखनऊ मेट्रो शुरू करने का श्रेय राजीव अग्रवाल को ही जाता है।
कहा जा रहा है कि राजीव अग्रवाल की मल्टीनेशनल कम्पनी से करार हो चुका है और कम्पनी की तरफ से उनको हरी झण्डी भी मिल गयी है। डीओपीटी से वीआरएस की मंजूरी के बाद वह इस बहुराष्ट्रीय कम्पनी में सीईओ के तौर पर अपना पद भार संभाल लेंगे।
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अखिलेश यादव के काफी विश्वासपात्र अधिकारी
अपने काम के प्रति बेहद ईमानदार राजीव अग्रवाल जब प्रदेश के मुख्यमंत्री थें तो उस समय राजीव अग्रवाल के पास मेट्रो का भी चार्ज था। समाजवादी पार्टी की सरकार में वह अखिलेश यादव के काफी विश्वासपात्र अधिकारी थे।
अखिलेश यादव कें उस समय करीबी आईएएस अधिकारियों में रहे राजीव अग्रवाल के पास वर्तमान में आवास एवं शहरी नियोजन के साथ गृह जैसा महत्वपूर्ण विभाग था।
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लेकिन किसी कारण से अखिलेश यादव उनसे नाराज हो गये थे जिसके बाद उन्हे उनके पद से हटाकर वेटिंग में डाल दिया गया था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नाराजगी का आलम यह हुआ कि राजीव अग्रवाल से एलडीए के सचिव पद से हटा दिया गया था। इसके बाद वह प्रतिनियुक्ति पर केन्द्र चले गए थें।