×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

पं. कमलापति त्रिपाठीः कभी बोलती थी तूती, चंदौली रही कर्मभूमि

चन्दौली के निवासियों के दर्द को पंडित जी ने समझा तथा किसानों को पानी की क़िल्लत से मुक्ति दिलाते हुए उस धरती पर नहरों की एक श्रृंखला का निर्माण करवाया तथा चन्दौली को " धान के कटोरे " के रूप में प्रसिद्ध होने का अद्भुत सौभाग्य प्राप्त हुआ।

Newstrack
Published on: 3 Sept 2020 6:29 PM IST
पं. कमलापति त्रिपाठीः कभी बोलती थी तूती, चंदौली रही कर्मभूमि
X
प.कमलापति त्रिपाठी जयंती पर विशेष

रौशन मिश्र

उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली के केन्द्र तक एक जमाने में पंडित कमलापति त्रिपाठी की तूती बोला करती थी। यह वो दौर था जहां समस्त भारतवर्ष में कांग्रेस का वर्चस्व देखा जा सकता था।

पंडित जी और चंदौली

पं. कमलापति त्रिपाठी को प्यार से जनता पंडित जी कहकर संबोधित किया करती थी। चन्दौली की धरती पंडित जी की कर्मभूमि हुआ करती थी।

पंडित जी का जन्म आज ही के दिन 3 सितम्बर 1905, को वाराणसी में हुआ था। ये एक कुशल एवं मशहूर राजनीतिज्ञ, तेजस्वी लेखक, पत्रकार एवं वक्ता तथा स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते थे।

इनके पूर्वज मूल रूप से देवरिया जिले के पिण्डी नामक गांव के रहने वाले थे, किन्तु बनारस में पंडित जी का परिवार औरंगजेब के शासनकाल में ही आकर बस गया था। कमलापति त्रिपाठी जी बचपन से ही एक प्रखर एवं अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी थे, ऐसा सुनने में आता है।

पंडित जी ने काशी विद्यापीठ से शास्त्री एवं डीलिट की उपाधि अर्जित की थी। इन्होंने बड़े ही निर्भीक पत्रकार के रूप में कुशलतापूर्वक हिन्दी दैनिक 'आज ' और 'संसार 'में अपनी सेवाएं प्रदान की थीं। संस्कृत भाषा पर इनका जबरदस्त अधिकार था। पंडित जी एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे जिसके कारण इन्हें बहुत बार जेल की यात्रा करना पड़ा था।

तमाम पदों पर रहे कमलापति

अगर पंडित जी की लोकप्रियता को देखना और समझना हो तो आज भी बनारस में औरंगाबाद स्थित इनके आलीशान मकान में देखा जा सकता है, जहां विशुद्ध राजनीतिज्ञों का जमावड़ा लगता है।

Kamlapati Tripathi image

पंडित जी एक वरिष्ठ एवं अनुभवी कांग्रेसी नेता थे। इन्होंने 1971-1973 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कीं।

1937 में प्रथम बार विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए, 1952 में सूचना तथा सिंचाई मंत्री, इसके अलावा भी 1969 में उप मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, कई बार विधान सभा एवं राज्य सभा में व लोक सभा में सदस्य बने, 1970 में यूपी विधान सभा में विरोधी दल के नेता सहित केन्द्रीय एवं राज्य की सरकारों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका सफलतापूर्वक निर्वाह करते रहे।

चन्दौली सहित पूरे पूर्वान्चल में पंडित जी को आज भी विकास पुरुष ही कहकर याद किया जाता है।

धान का कटोरा

पंडित जी वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के नेता, संविधान सभा के सदस्य, यूपी के मुख्यमंत्री, एवं रेल तथा स्वास्थ्य मंत्री सहित अन्य विशिष्ट पदों को ग्रहण करते हुए विकास के पर्याय के रूप में बड़ी ही कुशलता से राष्ट्र की सेवा करते रहे।

चन्दौली के लोगों को कृषि सहित तमाम तरह की परेशानियों से लगातार जूझना पड़ता था, उसी चन्दौली के निवासियों के दर्द को पंडित जी ने समझा तथा किसानों को पानी की क़िल्लत से मुक्ति दिलाते हुए उस धरती पर नहरों की एक श्रृंखला का निर्माण करवाया तथा चन्दौली को " धान के कटोरे " के रूप में प्रसिद्ध होने का अद्भुत सौभाग्य प्राप्त हुआ।

कमलापति ने चन्दौली सहित पूरे पूर्वान्चल में स्कूल, कालेज, अस्पताल एवं रेल की पटरियों सहित अन्य विकास संबंधित काम को पूरा किया। पंडित जी ने दीन दयाल उपाध्याय नगर (मुगलसराय) और बनारस के डीरेका के विकास में भी अद्भुत योगदान दिया था।

आज उनके जन्मदिन 3 सितम्बर, को चन्दौली, वाराणसी सहित अन्य जिलों में भी बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

ललितेशपति को मानते हैं लोग

पंडित जी के पपौत्र ललितेशपति त्रिपाठी जो कि सक्रिय कांग्रेसी कार्यकर्ता हैं एवं मिर्जापुर के मड़िहान विधान सभा से विधायक भी रह चुके हैं, वो पंडित जी की राजनैतिक विरासत को कुशलतापूर्वक संभालते हुए क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहते हैं।

जब न्यूजट्रैक की टीम ने चन्दौली में पंडित कमलापति त्रिपाठी के योगदान एवं भूमिका के बारे में लोगों से जानना चाहा तो अधिकतर लोगों की उम्मीद उनके पपौत्र ललितेशपति त्रिपाठी के साथ जुड़ी हुई दिखाई दिया।

30 साल के करीब हो गए हैं पंडित जी को गुज़रे हुए लेकिन चन्दौली में उनकी चमक, प्रभाव, योगदान एवं विशिष्टता आज के नयी पीढ़ी के अंदर भी देखी जा सकती है।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story