TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

ऑनलाइन पिंडदान: वाराणसी में पितृपक्ष पर सन्नाटा, ऐसा रहा माहौल

तर्पण के पर्व पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है। अगले पंद्रह दिनों तक लोग अपने पूर्वजों की याद में पूजापाठ करेंगे और पिंडदान करेंगे।

Newstrack
Published on: 2 Sept 2020 6:15 PM IST
ऑनलाइन पिंडदान: वाराणसी में पितृपक्ष पर सन्नाटा, ऐसा रहा माहौल
X
वाराणसी में पितृपक्ष पर सन्नाटा (social media)

वाराणसी: तर्पण के पर्व पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है। अगले पंद्रह दिनों तक लोग अपने पूर्वजों की याद में पूजापाठ करेंगे और पिंडदान करेंगे। पितृपक्ष में पिंडदान करने वाले लोगों के बीच काशीके पिशाचमोचन कुंड का एक विशेष महत्व है। लेकिन कोरोना काल में इस कुंड पर श्रद्धालुओं का टोटा दिखा। पितृपक्ष के पहले दिन इक्का-दुक्का ही श्रद्धालु पिंडदान के लिए पहुंचे।निराश दिखे पंडे-पुरोहित श्रद्धालुओं की कमी का असर कुंड पर जमे रहने वाले पंडे-पुरोहितों के चेहरे पर साफ देखने को मिला।

ये भी पढ़ें:शेयर बाजार में आई तेज़ी: सेंसेक्स 185 अंक ऊपर, पार किया 39000 का आंकड़ा

varanasi Online Pindadan पिशाच मोहन कुंड (file photo)

मंदिरों और कुंड के किनारे बैठे पंडे श्रद्धालुओं की राह देखते रहे

मंदिरों और कुंड के किनारे बैठे पंडे श्रद्धालुओं की राह देखते रहे। पिशाच मोहन कुंड पर रहने वालेपंडे-पुरोहितों को पूरे साल पितृपक्ष का बेसब्री से इंतजार रहता है। कहा जाता हैकि पूरे साल की कमाई इन पंद्रह में ही होती है। लेकिन कोरोना काल में पंडों को निराशा हाथ लगी है। हालांकि मुन्ना लाल उपाध्याय जैसे कुछ ऐसे भी पंडे हैं जिनका मानना है कि लॉकडाउन के दौरान लोग घर से ही पिंडदान करें। इससे न सिर्फ वो सुरक्षित रहेंगे बल्कि उनका परिवार भी सुरक्षित रहेगा।

ऑनलाइन पिंडदान बना ऑप्शन कोरोना काल में

ऑनलाइन पिंडदान बना ऑप्शन कोरोना काल में पिशाचमोचन कुंड ना पहुंचने वाले श्रदाधुओं के लिए यहां के पंडों ने विशेष व्यवस्था भी की है। श्रद्धालु ऑनलाइन पिंडदार भी कराते हुए देखे गए। पुरोहित रमापति पांडे बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते ट्रेन और बस की सुविधाएं बेहतर नहीं है। ऐसे में बहुत से लोग हैं जो काशी नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए ऑनलाइन पिंडदान की व्यवस्था की गई है। क्या है पिशाचमोचन में पिंडदान की मान्यता ? मान्यता है कि जो पूर्वज मृत्यु को प्राप्त हो चुके होते है, उनको पित्र पक्ष में काला तिल और जल का दान दिया जाता है। पितृ पक्ष 15 दिनों का होता है।

varanasi Online Pindadan वाराणसी में पितृपक्ष (file photo)

ये भी पढ़ें:दिल्ली हिंसा: दिल्ली पुलिस ने JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद से की पूछताछ

तिथि में उद्या (उदय) होने की वजह से पितृकर्म तो शुरू हो चुका है । इस पखवारे में हर इन्सान अपने पुरखो यानि पितृरों की आत्मिक शांति केलिए तिल और जल से तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं। मोक्ष की नगरी काशी में स्थित पिशाच मोचन कुंड पर पितृपक्ष के दिनों अपने पूर्वजो के लिए पिंड दान किया जाता है। साथ ही में यहाँ उन मृत आत्माओ के लिए भी श्राद्ध होता है जिनकी अकाल मृत्यु हुयी होती है। वहीं यहां पर एक ऐसा वृक्ष भी स्थित है जिसकी ऐसी मान्यता है कि इस वृक्ष में प्रेतों का वास होता है। इस वृक्ष में एक कील अपने नाम कागाड़ने से ऊपरी बाधा दूर हो जाती है। साथ ही अपना कोई भी एक प्रमाण पत्र भी लगाना पड़ता है।

आशुतोष सिंह

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story