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अभी थमा नहीं नेता विरोधी दल बनाए जाने का मामला, राज्यपाल बोले-जनतांत्रिक सिद्धांतों के विपरीत

नवगठित विधानसभा में निवर्तमान विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय द्वारा नेता विरोधी दल की घोषणा करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। राज्यपाल राम नाईक का मानना है कि इस तरह नेता विरोधी दल की घोषणा करना जनतांत्रिक सिद्धांतों के विरूद्ध है।

tiwarishalini
Published on: 20 May 2017 9:31 AM GMT
अभी थमा नहीं नेता विरोधी दल बनाए जाने का मामला, राज्यपाल बोले-जनतांत्रिक सिद्धांतों के विपरीत
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लखनऊ: नवगठित विधानसभा में निवर्तमान विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय द्वारा नेता विरोधी दल की घोषणा करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। राज्यपाल राम नाईक का मानना है कि इस तरह नेता विरोधी दल की घोषणा करना जनतांत्रिक सिद्धांतों के विरूद्ध है। इस सिलसिले में नाईक ने संसदीय प्रक्रिया के विशेषज्ञ एवं पूर्व महासचिव (लोक सभा) डाॅ सुभाष सी कश्यप से परामर्श भी लिया था।

उन्होंने कहा,'नवगठित विधान सभा में नेता विरोधी दल को पूर्व अथवा नवनिर्वाचित अध्यक्ष द्वारा चिन्हित किए जाने के बारे में अलग-अलग परिपाटी के स्थान पर एक लोकतांत्रिक परिपाटी स्थापित हो।

जैसा कि लोक सभा सहित देश के विभिन्न राज्यों की विधान सभाओं में भी अनवरत रूप से अपनाई जाती रही है। साल 1957 से अब तक चली आ रही भ्रमपूर्ण स्थिति और अपनायी गयी अलग-अलग परिपाटी पर विराम लग सके और इस संबंध में प्रदेश में भी एक सुस्पष्ट परिपाटी स्थापित की जा सके, जो लोकतंत्र और संविधान की भावना के अनुरूप हो।

डाॅ कश्यप के परामर्श के मुख्य बिन्दु

राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 175(2) के अंतर्गत राज्य के दोनों सदनों को समय-समय पर आवश्यकतानुसार अपना संदेश भेज सकते हैं। जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है। नव गठित विधा सभा का सदस्य भी न निर्वाचित हुआ हो, उसको नेता विरोधी दल के रूप में चिन्हित करने का निर्णय नए विधान सभा अध्यक्ष के लिए छोड़ देना चाहिए था।

राज्यपाल ने इस पर कल हुई संक्षिप्त चर्चा पर जताया संतोष। विधान सभा की नियम संबंधी समिति विचार-विमर्श करके इस विषय में उचित निर्णय लेगी। विधान सभा सचिवालय उत्तर प्रदेश (संसदीय अनुभाग) ने 27 मार्च को अधिसूचना जारी की थी।

17वीं विधान सभा के लिये राम गोविन्द चौधरी को नेता विरोधी दल घोषित किया गया था। राज्यपाल ने 16वीं विधान सभा के विधान सभा अध्यक्ष के 17वीं विधान सभा के नेता विरोधी दल को मान्यता दिए जाने को असंवैधानिक एवं अलोकतांत्रिक पाया था। संविधान के अनुच्छेद 175(2) का हवाला देते हुए 8 और 30 मार्च को संदेश भेजे थे।

6वीं विधान सभा के अंतिम कार्यदिवस 27 मार्च को नवगठित 17वीं विधान सभा के लिए राम गोविन्द चौधरी को नेता विरोधी दल घोषित करने पर सवाल उठाए थे।

यह भी कहा कि 1952 से अब तक गठित 17 विधान सभा में 1957, 1985 तथा 1997 में नेता विरोधी दल को अभिज्ञात करने का निर्णय नवगठित विधान सभा अध्यक्ष द्वारा ही लिया गया है। जबकि शेष 14 विधान सभा में ऐसा नहीं किया गया जो कि विधिसम्मत नहीं था।

17 मार्च को 16वीं विधान सभा का विघटन हो गया था। 22 मार्च को राज्यपाल ने 17वीं विधान सभा हेतु प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त किया था। नई विधान सभा की प्रथम बैठक 28 मार्च को होनी थी। इससे पहले 16वीं विधान सभा के अध्यक्ष ने 27 मार्च को विधान सभा सदस्य एवं नेता समाजवादी पार्टी रामगोविन्द चैधरी को नेता विरोधी दल के रूप में अभिज्ञात किया गया था।

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