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क्या विपक्ष की मांग होगी पूरी, आम बजट पर लग सकती है रोक?
vinod kapoor
लखनऊ: निर्वाचन आयोग ने देश के सबसे बडे राज्य यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव का ऐलान बुधवार (4 जनवरी) को कर दिया। पांचों राज्यों में चुनावी प्रक्रिया 20 जनवरी से शुरू हो 11 मार्च तक खत्म हो जाएगी।
इस बीच दिलचस्प स्थिति यह पैदा हो गई है कि इस साल बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। मोदी सरकार ने 31 जनवरी से बजट सत्र बुलाने का निर्णय लिया है। इसी दिन आर्थिक विश्लेषण पेश किया जाएगा जबकि अगले दिन बजट।
फरवरी के पहले हफ्ते में आ रहा बजट
आमतौर पर अब तक बजट फरवरी के अंत में पेश किया जाता रहा है लेकिन केंद्र सरकार ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि इसे फरवरी की शुरुआत में ही पेश किया जाएगा ताकि अप्रैल से योजनाओं को लागू करने में परेशानी नहीं हो और विकास काम सुचारू रूप से चलता रहे।
विपक्ष की राष्ट्रपति से गुहार
विधानसभा चुनाव के पहले बजट पेश करने के मोदी सरकार के फैसले से विपक्षी पार्टियां सहमी हुई हैं। इसके लिए उसने प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी ओर निर्वाचन आयोग से शिकायत की है कि केंद्र सरकार को बजट पेश करने से रोका जाए। विपक्षी पार्टियां यह मानती हैं कि जल्द बजट पेश करने का फायदा बीजेपी उठा सकती है। उनका आरोप है कि खासकर यूपी का चुनाव जीतने के लिए मोदी सरकार जल्द बजट ला रही है।
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भिड़ंत के दिख रहे आसार
इस सवाल पर केंद्र सरकार और विपक्ष में अब भिड़ंत के आसार दिखने लगे हैं। दरअसल, कांग्रेस सहित 16 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति और मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार तय समय से पहले बजट लाकर यूपी समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में फायदा उठाना चाहती है।
बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू
इससे पहले संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने मंगलवार को बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होने का फैसला लिया था। 1 फरवरी को वित्त मंत्री जेटली बजट पेश करेंगे। विपक्षी पार्टियों का मानना है कि इस बार बजट तय समय (अमूमन बजट फ़रवरी के आखिरी हफ्ते में पेश किया जाता रहा है) से लगभग तीन हफ्ते पहले लाया जा रहा है, जिसमें बीजेपी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर फायदा उठा सकती है।
पत्र में सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
विपक्षी पार्टियों ने यह पत्र पिछले हफ्ते भेजा था। इसमें केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाए गए हैं। विपक्षी पार्टियों का मानना है कि सरकार लोगों को रिझाने वाले स्कीम लाकर चुनावी फायदा लेना चाहती है। पत्र में कहा गया है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए सरकार को जल्दी बजट लाने से रोका जाना चाहिए। पत्र में साल 2012 का भी जिक्र करते हुए लिखा गया है कि तब भी यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव होने थे लेकिन यूपीए सरकार ने बजट को 16 मार्च तक के लिए आगे बढ़ा दिया था।
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बजट का आगामी चुनाव पर पड़ेगा असर
पत्र पर जिन लोगों के हस्ताक्षर हैं उनमें राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, सीताराम येचुरी, राम गोपाल यादव और शरद यादव शामिल हैं। सरकार के इस कदम पर एतराज जताते हुए कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, 'जल्दी बजट आने से चुनाव में होने वाले मतदान पर प्रभाव पड़ना तय है।' इसलिए केंद्र सरकार बजट सत्र पहले बुला रही है क्योंकि सरकार चाहती है कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए धन का आवंटन एक अप्रैल से हो जाए। इसी समय से वित्त वर्ष की शुरुआत होती है। बजट सत्र को लेकर हुए बैठक की अध्यक्षता गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने की। बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार सहित अन्य नेता मौजूद थे।
अरुण जेटली आज चार जनवरी को जीएसटी परिषद की बैठक समाप्त होने के बाद राज्यों के साथ बजट पूर्व विमर्श कर सकते हैं।
हो सकती है लोक लुभावन घोषणाएं
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नोटबंदी के बाद जिस तरह केंद्र सरकार का खजाना बढा है उससे वो लोक लुभावन या यों कहें जनता के हितों की योजनाओं की घोषणा जरूर करेगी। पीएम मोदी ने 31 दिसंबर को देश के नाम अपने संबोधन में सभी क्लास के लिए राहत की घोषणा की। घर बनाने के लिए ब्याज की दरें कम की गईं, तो वरिष्ठ नागरिकों के फिक्सड डिपोजिट पर ब्याज बढा दिया गया। आर्थिक और राजनीतिक विश्लेषक मान के चल रहे हैं कि इस बार आयकर छूट की सीमा भी बढेगी, इससे सैलरी क्लास को राहत मिलेगी ।
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विपक्ष बजट रोकने की कोशिश क्यों कर रहा?
विपक्ष इस बात से डरा है कि बीजेपी को चुनाव में फायदा मिलेगा, तो बीजेपी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिखाई देती है। यूपी बीजेपी के महासचिव विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि 'बजट तो एक प्रक्रिया है। विपक्ष इसे रोकने की कोशिश क्यों कर रहा है? विपक्ष के नेता अपनी बात से जनता को संतुष्ट करें । क्या चुनाव के चलते कोई सरकार जनता के लिए काम करना बंद कर देगी।'
निर्वाचन आयोग नहीं लगा सकते रोक
सपा के नेता और सांसद नरेश अग्रवाल कहते हैं कि 'केंद्र सरकार को बजट पेश करने से रोका जाना चाहिए।' बजट को प्रेसिडेंट ही रोक सकते हैं। नियमों के अनुसार निर्वाचन आयोग केंद्र सरकार को बजट पेश करने से नहीं रोक सकता। ये अधिकार सिर्फ प्रेसिडेंट को है लेकिन लगता नहीं कि प्रणब मुखर्जी इसमें रुकावट डालेंगे। क्योंकि केंद्र सरकार ने बजट 1 फरवरी को ही पेश करने की घोषणा पहले ही कर दी थी।