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आउट आॅफ टर्न प्रोन्नति आदेश के खिलाफ सरकार की अपील खारिज

Rishi
Published on: 31 Jan 2018 7:04 PM IST
आउट आॅफ टर्न प्रोन्नति आदेश के खिलाफ सरकार की अपील खारिज
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इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गौतमबुद्धनगर के दादरी थाना पुलिस हेमराज सिंह को आउट आॅफ टर्न प्रोन्नति देने के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की विशेष अपील खारिज कर दिया है। एकलपीठ ने याची को 10 अक्टूबर 2002 के आदेश से 1998 के शासनादेश के तहत आउट आॅफ टर्न प्रोन्नति देने का निर्देश दिया था। जिसे राज्य सरकार ने चुनौती दी थी।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खण्डपीठ ने मुख्य सचिव के मार्फत उ.प्र राज्य की विषेष अपील पर दिया है। अपील पर अधिवक्ता अश्विनी मिश्र ने प्रतिवाद किया। सरकार का कहना था कि शासनादेश जारी होने से याची की पांच साल की सेवा नहीं है। इसलिए उसे शासनादेश का लाभ नहीं मिल सकता। याची 16 दिसम्बर 1979 को कांस्टेबल नियुक्त हुआ, शासनादेश जारी होने के बाद प्रोन्नति की मांग की।

कोर्ट ने कहा कि पांच वर्ष की सेवा होना शर्त नहीं है। याची 19 साल की सेवा कर चुका था और कनिष्ठों को प्रोन्नति दी जा चुकी थी। कोर्ट ने सरकार को याची की नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया था। जिसका पालन न कर सरकार ने अपील दाखिल की थी।

पंजीकृत फ्लैट के बढ़े रेट के खिलाफ याचिका खारिज

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तुलसी नगर आवासीय योजना बांदा में आवंटित एलआईजी फ्लैट का मनमाना बढ़ा हुआ दाम वसूलने के खिलाफ याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। याची ने 2006 में आवंटन का पंजीकरण कराया था और उसे 2017 में आवंटित किया। 2017 के सर्किल रेट पर आवंटन शुल्क तय किया गया। कोर्ट ने कहा कि मूल्य निर्धारण के मुद्दे को याचिका में नहीं उठाया जा सकता। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने सतीश चंद्र साहू की याचिका पर दिया है। बांदा विकास प्राधिकरण बांदा के अधिवक्ता संत राम शर्मा का कहना था कि पंजीकरण के रेट को फ्लैट के अंतिम मूल्य निर्धारण का आधार नहीं बनाया जा सकता। प्राधिकरण को फ्लैटों के मूल्य के निर्धारण का पूरा अधिकार है। मूल्य निर्धारण सर्किल रेट या बाजारी मूल्य के आधार पर तय किया जायेगा। जब कि याची अधिवक्ता धर्मेन्द्र सिंह का कहना था कि कम आय वर्ग के लोगों के लिए नियत दर पर याची ने 2006 में पंजीकरण कराया। इसलिए उसी समय के रेट पर ही किश्तों का निर्धारण किया जाय। दस फीसदी पंजीकरण व तीस फीसदी मूल्य का भुगतान कर चुका है। ऐसे में 2017 की दर से कीमत मांगना उचित नहीं है।

प्राइमरी स्कूलों में सहायक टीचरों की भर्ती के लिए संशोधित कानून को चुनौती

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में 68500 टीचरों की भर्ती की राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी गाइडलाइन व संशोधित नियमों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्यसरकार से जानकारी तलब की है। कोर्ट कल एक फरवरी को इस मामले को सुनेगी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने विद्याचरण शुक्ला की याचिका पर दिया है।

याची के अधिवक्ता का कहना है कि अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 की धारा 23 के तहत केन्द्र सरकार की एकेडमी अथारिटी को ही टीचरों की योग्यता व गाइडलाइन तय करने का अधिकार है। राज्य सरकार को गाइड लाइन बनाने व आवश्यक अर्हता तय करने का अधिकार नहीं है। कहा गया कि बिना अधिकार के राज्य सरकार ने टीचरों की भर्ती के लिए नियमावली में संशोधन किया है जो कानूनन गलत है। एनसीटीई द्वारा निर्धारित गाइडलाइन व न्यूनतम अर्हता का पालन करना सभी राज्यों के लिए अनिवार्य है।

याची का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने न्यूनतम अर्हता न रखने के कारण शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द करते हुए लगातार दो वर्षाें में टीईटी परीक्षा पास करने का समय दिया है। कहा गया है कि सरकार द्वारा टीचरों की भर्ती विज्ञापन से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी होगी।

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सीआईएस सिस्टम से मुकदमों की सुनवाई में आ रही है दिक्कतें

सीआईएस सिस्टम लागू होने से हाईकोर्ट में मुकदमों के नये दाखिले व पुराने मुकदमों की तारीखों की जानकारी न हो सकने से नाराज वकीलों को कल चीफ जस्टिस हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में आकर इस सिस्टम की परेशानियों से वकीलों को अवगत करायेंगे। उनके साथ कुछ सीनियर जज भी होंगे। सीआईएस सिस्टम को लेकर होने वाली दिक्कतों पर बार एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि मण्डल बुधवार शाम चीफ जस्टिस से मिला।

प्रतिनिधि मण्डल में अध्यक्ष आई.के.चतुर्वेदी, सचिव ए.सी.तिवारी, वरि. अधिवक्ता टी.पी.सिंह, एन.सी.राजवंशी व ओ.पी.सिंह शामिल थे। प्रतिनिधि मण्डल ने चीफ जस्टिस को अवगत कराया कि सीआईएस सिस्टम से वकीलों को काफी परेशानी हो रही है। मुकदमें कब लिस्ट होंगे और कब सुनवाई इसका पता नहीं चलता है। इसकी वजह से उनके मुकदमें खारिज हो जा रहे हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने प्रतिनिधि मण्डल को आवश्स्त किया कि ऐसी व्यवस्था की गयी है कि हर नया मुकदमा पांचवें दिन कोर्ट मेें सुनवाई पर आयेगा। यदि वकील सुनवाई पर हाजिर नहीं है तो मुकदमा खारिज नहीं होगा। उस केस में डेट लगायी जायेगी। बताया गया कि फ्रेश लिस्ट रिवाइज होगी।

बेल के मामले में भी चीफ जस्टिस ने पांच दिन का समय शिथिल करने का आश्वासन दिया है। बार के अध्यक्ष ने बताया कि चीफ जस्टिस ने आश्वासन दिया है कि इसके बाद भी यदि कोई समस्या आती है तो बार उनको सूचित करें वह स्वयं इस मामले को देखेंगे। चीफ जस्टिस ने बताया कि सभी जजों से बार का सहयोग करने का आग्रह किया गया है। वकीलों को सीआईएस सिस्टम की जानकारी देने के लिए कल लंच में लाइब्रेरी हाल में आयेंगे।

राजेन्द्रा स्टील कंपनी मामले की सुनवाई अब 5 फरवरी को

इलाहाबाद हाईकोर्ट में राजेंद्रा स्टील कम्पनी कानपुर मामले की सुनवाई 5 फरवरी को होगी। सी.बी.आई. ने इस मामले में जांच रिपोर्ट दाखिल की है। सीबीआई अधिवक्ता बदलने के चलते सुनवाई नहीं हो सकी। सती राम यादव व अन्य श्रमिकों की अर्जी की सुनवाई के दौरान आफिशयल लिक्विडेटर के अधिवक्ता अर्णव बनर्जी ने कोर्ट को बताया कि ज्ञान प्रकाश सीबीआई के नए अधिवक्ता है।

इस पर मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने सीबीआई के अधिवक्ता को मुकदमे की सुनवाई की सुचना देने को कहा है। सीबीआई कम्पनी की सम्पत्तियों को पूर्व डायरेक्टरों द्वारा अवैध रूप से हड़पने की जांच कर रही है और कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट पेश की है। याची अधिवक्ता कृष्ण जी शुक्ल ने बताया कम्पनी की सम्पत्तियों को बेचकर देनदारों का भुगतान किया जा रहा है।

याची की अर्जी पर आफिशयल लिक्विडेटर ने रिपोर्ट दाखिल कर 75 श्रमिकों को 9 लाख रूपये वितरित करने की कोर्ट से अनुमति मांगी है। जिस पर सीबीआई रिपोर्ट पर विचार करने के बाद कोर्ट आदेश देगी। सीबीआई ने रिपोर्ट में कहा है कि डायरेक्टर्स विदेश में है। पूछताछ के लिए भारत सरकार से अनुमति ली जा रही है। इसके बाद अन्य सम्पत्तियांे का भी खुलासा होगा। फिलहाल कोर्ट ने मुंबई, लखनऊ, कानपूर की करोड़ों की कम्पनी की सम्पत्तियों को लिक्विडेटर के कब्जे में सांैप दिया है। सुनवाई 5 फरवरी को होगी।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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