TRENDING TAGS :
चार साल में जहरीली शराब ने 300 से अधिक जानें लीं, फिर भी माफिया बेलगाम
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद से अबतक तीन सौ से अधिक जानें जहरीली शराब के चलते जा चुकी हैं।
लखनऊ: प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद से अबतक तीन सौ से अधिक जानें जहरीली शराब के चलते जा चुकी हैं। इस तरह की त्रासदी होने के बाद कुछ दिनों तक हो हल्ला मचता है उसके बाद फिर सब कुछ पहले की तरह यथावत चलने लगता है। जिसके चलते जहरीली शराब पर मृत्युदंड तक का कानून कागजी बनकर रह गया है। क्योंकि कड़े कानून के बावजूद मौत के सौदागरों और शराब के अवैध कारोबारियों के हौसले पस्त नहीं पड़े और जहरीली शराब से होने वाली मौतों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा।
अगर ताजा जहरीली शराब कांड से देखें तो 12 मई 2021 आंबेडकर नगर में 16 लोगों की मौत हुई, आजमगढ़ में छह लोगों की जान गई, बदायूं में भी दो युवकों की मौत हुई, 28 अप्रैल 2021 को हाथरस में 5 लोगों की मौत, 2 अप्रैल 2021 को बदायूं में 4 लोगों की मौत, 31 मार्च 2021 को प्रतापगढ़ में 6 लोगों की मौत, 16 मार्च 2021 को प्रयागराज में 9 लोगों की मौत, 8 जनवरी 2021 को बुलन्दशहर में 5 लोगों की मौत, दिसम्बर 2020 में फिरोजाबाद में दो मजदूरों की मौत, 21 नवंबर 2020 को प्रयागराज में 6 लोगों की मौत, 24 नवम्बर 2020 को लखनऊ में 6 लोगों की मौत, 2019 में अकेले सहारनपुर में 38 लोगों की मौत, फरवरी 2019 में ही सहारनपुर में 100 से अधिक लोगों की मौत, मेरठ में 18 लोगों की मौत और कुशीनगर में 8 लोगों की मौत, 2018 में कानपुर नगर और देहात में 16 लोगों की मौत, बाराबंकी में 12 लोगों की मौत और 20 मई 2018 को कानपुर के रूरा में 9 लोगों की मौत। मौत के आंकड़े भयावह है लेकिन सजा के नाम पर मामला सिफर है। इसके अलावा नवंबर से लेकर मार्च तक पांच महिने में प्रयागराज में 26 लोगों की मौतें, जिसमें नौ लोगों की पिछले वर्ष नवंबर माह में फूलपुर में हुई थी मौत, हंडिया में मार्च 2021 में 16 लोगों ने एक-एक कर दम तोड़ा, 1 अप्रैल को नवाबगंज में तीन लोगों की मौत हो गई थी।
ऐसा नहीं है योगी सरकार की मंशा गलत है। मार्च, 2017 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद जुलाई, 2017 में आजमगढ़ में जहरीली शराब पीने से 12 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अंग्रेजों के जमाने के आबकारी अधिनियम-1910 में संशोधन का फैसला लिया था। इसके बाद सितंबर, 2017 में इस अधिनियम में धारा 60 (क) जोड़ते हुए जहरीली शराब से होने वाली मौत पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया। इसी धारा में मृत्यु दंड का भी प्रावधान किया गया। लेकिन इतनी सख्ती के बावजूद आबकारी विभाग और शराब माफिया का गठजोड़ हावी रहा। शराब के अवैध कारोबारियों के हौसल पस्त नहीं हुए। प्रदेश के विभिन्न इलाकों में जहरीली शराब से होने वाली मौतों का सिलसिला जारी रहा।
देशी शराब के माफियाओं का नेटवर्क तोडऩे में नाकाम रही सरकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ शराब माफियाओं का नेटवर्क तोड़ने का आदेश अधिकारियों को देते रहे लेकिन अधिकारी लगातार अनसुनी करते रहे। भाजपा सरकार ने सपा और बसपा की सरकारों में अंग्रेजी शराब के कारोबार में एकाधिकार रखने वालों का नेटवर्क तो खत्म किया, लेकिन सचाई यह है कि सरकार कच्ची और देशी शराब के स्थानीय माफियाओं का नेटवर्क तोडऩे में बुरी तरह नाकाम रही है।
उदाहरण के लिए बिहार का मामला फिर भी ठीक है। गोपालगंज में जहरीली शराब की बरामदगी के मामले में अदालत ने 9 अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। इस मामले में दोषी चार महिलाओं को आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई थी। चारों महिलाओं पर दस-दस लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। यहां 2016 में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस ने घटना के बाद छापेमारी में भारी मात्रा में शराब बरामद की थी। जहरीली शराब के इस कांड में दो लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई थी।
लेकिन दूसरा पहलू यह है कि इस कांड में जिसमें 19 लोगों की मौत हुई थी घटना के तीन दिन बाद (19 अगस्त, 2016 को) नगर थाना के थानेदार सहित 25 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था। निलंबित पुलिसकर्मी हाई कोर्ट गए। जहां से इस साल फरवरी में हाई कोर्ट ने सभी 25 पुलिसकर्मियों को निलंबन से मुक्त करते हुए उन्हें बहाल करने का आदेश दिया।
अब इन हालात में योगी सरकार जहरीली शराब कांड को कैसे रोकेगी। जबकि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी का आरोप है कि सूबे में भाजपा के शासन में 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। सरकार जहरीली शराब की त्रासदी रोकने में नाकाम है।