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छलका ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियों का दर्द, नहीं होता समय पर पेमेंट
कानपुर: गोरखपुर के बीआरडी हास्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से 60 बच्चों की मौत हो गई। मौत की असल वजह हॉस्पिटल में गैस की कमी बताई जा रही है। वहीं इस संबंध में कानपुर के मेडिकल कॉलेज से संबद्ध लाला लाजपत राय चिकित्सालय (हैलट) को उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा हॉस्पिटल माना जाता है।
हैलट हॉस्पिटल को ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी को GST लागू होने के बाद से पेमेंट नहीं हुआ है। इन सरकारी अस्पतालों को दो कंपनियां ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करती हैं। दोनों कंपनियों का आरोप है कि कभी भी टाइम पर पेमेंट नहीं होता है।
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कानपुर के हैलट हॉस्पिटल में सुमित ऑक्सीजन कंपनी सिलेंडर की सप्लाई करती है। इस कंपनी के मालिक सुमित बब्बर के मुताबिक हैलट हॉस्पिटल में एक महीने में 5 हजार सिलेंडर की खपत है। उन्होंने कहा कि मुझे हैलट हॉस्पिटल का इस बार टेंडर मिला है। जब अस्पताल प्रशासन के पास फंड होता है तो आसानी से हमें पेमेंट मिल जाता है। लेकिन जब से GST लगा है, हमारा पेमेंट रुका हुआ है। लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है हमारा पेमेंट हो जाएगा।
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उन्होंने बताया कि एक सिलेंडर 120 रुपए का पड़ता है। जब एक महीने में 5 हजार सिलेंडर की खपत है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक माह की पेमेंट क्या बनेगी? लेकिन बरसात के दिन में या फिर जब मौसम बदलता है तो इन सिलेंडरो की संख्या बढ़ती और घटती भी रहती है।
वहीं हदय रोग संस्थान (कार्डियोलोजी) व उर्सला हॉस्पिटल में मोरारी इन्द्रास्ट्रियल गैस कंपनी गैस सिलेंडर की सप्लाई करती है। कंपनी के मालिक अजय मिश्रा के मुताबिक हमारी कंपनी से हदय रोग संस्थान में प्रतिमाह लगभग साढ़े पाच हजार सिलेंडर की खपत है।
वहीं उर्सला हॉस्पिटल में रोजाना 50 सिलेंडर जाते हैं। उन्होंने बताया कि बड़ी मुश्किल से हमारा पेमेंट हो पाता है। लेकिन हमें व्यापार करना है तो उधारी और लेट लतीफी चलती रहती है। जब बीच-बीच में कुछ पेमेंट हो जाता है तो राहत मिल जाती है।
उन्होंने बताया कि पेमेंट का प्रोसेज बहुत लंबा है। हमें पेमेंट लेने के लिए बिल बनाना पड़ता है। इसके बाद बिल अस्पताल प्रशासन के पास जाता है, इसके बाद वह पास होता, तब जाकर पेमेंट बनकर आती है। फिर हमें चेक मिलती है। इस काम में 15 से 20 दिन लग जाते हैं।