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चित्रकारी से दिया कोरोना से जंग का संदेश...
अगर पेंटिंग से जुड़ी एक विशेष विधा 'वाॅश कला' की बात की जाए तो पूरे देश में इस विधा के अब कुछ ही जानकार बचे हैं इन्हीं नामों में से एक नाम शिखा पांडे का है।
लखनऊ। कलाकार का शरीर भले ही लाॅकडाउन के पिंजरे में कै़द हो लेकिन कला उपासक के मन को बंधन में बांधना किसी के बस में नही, ऐसे ही एक कलाकार की कला इन दिनों घटते प्रदूषण और बढ़ती शान्ति में बिल्कुल किसी हरे भरे वृक्ष सी उभर रही है।
'वाॅश चित्रकारी और चित्रकला' के अन्य शाखाओं की सिद्धहस्त कलाकार शिखा पाण्डेय की नवीन कलाकृति ‘‘लाॅकडाउन में हो तन किन्तु स्वस्थ्य रहे मन’’ अब बनकर तैयार है।
वाॅश कला' के गिने चुने जानकारों में शिखा पांडे का नाम
अगर पेंटिंग से जुड़ी एक विशेष विधा 'वाॅश कला' की बात की जाए तो पूरे देश में इस विधा के अब कुछ ही जानकार बचे हैं इन्हीं नामों में से एक नाम शिखा पांडे का है। वे चित्र कला से जुड़ी इस खत्म होती विद्या को बचाने का कार्य भी कर रही है। जिस से आने वाली पीढ़ी इस कला को आगे बढ़ाएं और समय के साथ साथ वॉश कला भी प्रचलित विद्याओं में आ जाए। शिखा को समय-समय पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जाता रहा है।
विभिन्न संस्थाओं ने किया शिखा पांडे को सम्मानित
राज्य ललित कला अकादमी पूरे देश भर में विभिन्न कला प्रदर्शनी एवं कार्यशाला का आयोजन करती रहती हैं। इन्हीं आयोजित कार्यशाला एवं कला प्रदर्शनी यों में शिखा पांडे को कई बार सर्वश्रेष्ठ कलाकार तथा वाश कला विशेषज्ञ के रूप में भी सम्मानित किया गया है। शिखा पांडे को सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी), कपड़ा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा, उनकी बनाई वाश चित्रकला के लिए फेलोशिप से भी सम्मानित किया जा चुका है। हाल ही में क्षेत्रीय कला प्रदर्शनी लखनऊ एवं प्रयागराज द्वारा 2019 की सर्वश्रेष्ठ कलाकार का सम्मान भी शिखा को प्राप्त हुआ।
गोयल इन्सटिट्यूशन में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत
शिखा पाण्डेय ने कला की शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय के कला एवं शिल्प महाविद्यालय से ग्रहण की और कला एवं शिल्प महाविद्यालय में ही विषय विशेषज्ञ के रूप में नौ वर्षों तक कार्यरत भी रहीं। काॅलेज के दौरान चांसलर्स मेडल की विजेता शिखा को कला सेविका के रूप में कई बार विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। वर्तमान में शिखा गोयल ग्रुप आफ इन्सटिट्यूशन के ललित कला संभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।
लाॅकडाउन पर शिखा ने की चित्रकारी
हर काम फायदे के लिए नही किया जाता ये एक कलाकार से बेहतर कौन समझेगा! कभी कभी कलाकारों को सरकार और अन्य समाजसेवी संस्थाओं की आवाज़ और अभिव्यक्ति बनकर सामने आना पड़ता है। करोना के चलते हुए लाॅकडाउन पर बनी शिखा की ये कृति मानव मन में चल रहे भावनाओं और भवुकताओं की उलझी शिराओं की एक सुलझी अभिव्यक्ति है।
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शिखा की ये चित्रकारी ग़ौर से देखने पर साफ संदेश मिल जाता है कि करोना नाम की इस वैश्विक महामारी या दैवी प्रकोप के चलते शक्तिशाली से शक्तिशाली मनुष्य का शरीर भी कांच से ज़्यादा मज़बूत नही रह गया है। ऐसे में जब शरीर बंधनों में बंधा हो तो क्यूं न मन की उड़ान को जिजीविषा का संबल बना लिया जाए। यही तो समय है जब केवल मन के पंछियों को उड़ने दिया जाए और शरीर को स्थिर कर घर की दहलीज़ के भीतर ही रोक दिया जाए और जैसे नियमों का पालन करने का अनुरोध शासन, प्रशासन और अन्य संस्थाओं द्वारा किया जा रहा है, उनका हम पूरी ईमानदारी से पालन करें। जिससे हम, हमारा परिवार और सारा समाज सुरक्षित रहे।
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