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कानून से नहीं अफसरों की मनमर्जी से चलता है पंचायतीराज

raghvendra
Published on: 27 Oct 2017 12:17 PM GMT
कानून से नहीं अफसरों की मनमर्जी से चलता है पंचायतीराज
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लखनऊ। पंचायतीराज महकमा कायदे कानून से नहीं बल्कि अफसरों की मनमर्जी से चलता है। भ्रष्टाचार पर वार कर कागजों में हीरो बनने वाले इन अफसरों ने जिस अफसर को बलि का बकरा बनाया उसी ने पलटकर आला अफसरों से अपने प्रकरण से जुड़े दस्तावेज मांग लिए। इससे मुख्यालय में हडक़म्प मच गया, मुखिया सकपका उठे क्योंकि जिस प्रकरण में अफसर को दोषी ठहराया गया उस फाइल पर आरोपी अफसर के दस्तखत ही नहीं थे। प्रकरण चौदहवें वित्त आयोग के तहत परफार्फेंस ग्रांट के 107 करोड़ रुपये के घपले से जुड़ा है। इसकी जांच में पलीता लगाने वाले अफसरों की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की गयी है।

बीते दिनों 14वें वित्त आयोग से आई परफार्मेंस ग्रांट की 699.75 करोड़ की धनराशि में से 107 करोड़ रुपये का गोलमाल उजागर हुआ। इसके आरोप में विभाग के चार अफसरों को निलंबित कर दिया गया। अब इसमें एक बड़ा खुलासा हुआ है। ग्रांट के आवंटन के लिए जिन 1798 ग्राम पंचायतों का चयन कर मार्च के अंतिम सप्ताह में धनराशि भेजी गयी थी उस चयन सूची पर निलंबित अपर निदेशक एस.के.पटेल (पं.) के हस्ताक्षर नही हैं। उन दस्तावेजों पर सिर्फ तत्कालीन पंचायतीराज निदेशक अनिल कुमार दमेले और योजना के नोडल अधिकारी गिरीश चन्द्र रजक, तत्कालीन उपनिदेशक (पं.) मुख्यालय के ही दस्तखत हैं।

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यह खुलासा तब हुआ जब निलंबित अफसर को चार्जशीट सौंपी गयी और उसके जवाब में उन्होंने विभाग से ग्राम पंचायतों के चयन और उन्हें भेजी गयी धनराशि से जुड़े दस्तावेज लिखित तौर पर मांग लिए तो वरिष्ठ अफसरों के होश उड़ गए। अब चूंकि उन कागजातों पर आरोपी अफसर के हस्ताक्षर नही हैं, ऐसे में यदि घपले से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं तो भ्रष्टाचार पर वार के नाम पर वाहवाही लूटने वाले अफसरों का गला जांच के फंदे में फंस सकता है।

दोषी अफसरों पर कार्रवाई की मांग

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजी गयी शिकायत में कहा गया है कि यदि परफार्फेंस ग्रांट के लिए चयनित 1798 ग्राम पंचायतों की मूल सूची तलब कर देखी जाए तो यह सच सामने आ जाएगा। तथ्यों को तोड़-मरोडक़र पेश किया गया और शासन को गलत आख्या दी गयी। ऐसे अफसरों पर कार्रवाई हो।

प्रकरण एक ही पर जांच का नजरिया अलग

परफार्मेंस ग्रांट की 699.75 करोड़ की धनराशि जिलों में भेजने के आरोप में तत्कालीन निदेशक आईएएस अनिल कुमार दमेले (सेवानिवृत्त मार्च 2017) के खिलाफ जांच का आदेश हुआ। पर वर्तमान निदेशक विजय किरन आनन्द के खिलाफ किसी ने आवाज नहीं उठाई जबकि बीते तीन मई को परफार्मेंस ग्रांट के तहत उन्होंने खुद जिलों में ई-पेमेंट के जरिए 394 करोड़ रुपये की धनराशि भेजी। धनराशि भेजने से पहले उन्होंने भी ग्राम पंचायतों के पात्रता की जांच नहीं कराई।

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क्या है पूरा मामला

वर्ष 2016-217 में परफार्मेंस ग्रांट की धनराशि का आवंटन उन ग्राम पंचायतों को किया जाना था जिनके 2013-14 और 2014-15 के आडिट पूरे हों और इन दो वर्षों में उसकी आय में बढ़ोत्तरी हुई हो पर ग्राम पंचायतों के चयन में सिर्फ औपचारिकताएं पूरी की गईं। 31 जिलों की जिन 1798 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया, जांच में उनमें से 1123 ग्राम पंचायतें अपात्र मिलीं जिन्हें अनियमित तरीके से धन आवंटित करने की पुष्टि हुई। नतीजतन ऐसी ग्राम पंचायतों के चयन के लिए गठित कमेटी में सदस्य के तौर पर शामिल रहे चार अफसरों को निलंबित कर दिया गया। उनमें अपर निदेशक (प्रशासन) राजेन्द्र सिंह, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी केशव सिंह, अपर निदेशक एस.के.पटेल (पं.) और उपनिदेशक गिरीश चन्द्र रजक (पं.) शामिल हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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