पंचनद स्थल की मिट्टी भूमिपूजन के लिए रवाना, जानिए क्या है महत्व

आगामी 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि का पूजन होना है। जिसके लिए विभिन्न देव स्थलों की भूमि की मिट्टी व जल का संग्रहण किया जा रहा है।

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Published on: 1 Aug 2020 6:19 PM GMT
पंचनद स्थल की मिट्टी भूमिपूजन के लिए रवाना, जानिए क्या है महत्व
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औरैया: जनपद कई धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ा हुआ है। जिसमें एक पहलू पंचनद का भी प्रकाश में आया। शुक्रवार की देर शाम विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों ने पंचनद स्थल की मिट्टी व जल को लेकर अयोध्या में होने वाले भूमि पूजन के दौरान वहां पर देने का मन बनाया है। इसमें सबसे खास बात यह है कि अयोध्या में विभिन्न धार्मिक स्थल जो प्राचीन है कि मिट्टी व जल को मंगाया गया है। जिसमें पंचनद धाम एक ऐसा स्थान है जहां पर सिर्फ पूरे भारत में पांच नदियों का संगम होता है।

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जनपद में च॓बल घाटी के नाम से प्रसिद्ध विश्व का इकलौता तीर्थ प॓चनद धाम है। यहां पर पांच नदियों का संगम है जो विश्व में कहीं भी देखने को नहीं मिलता है। यहां पर चंबल, सेंचुरी, यमुना, क्यारी, सिंधु व पहुंच का ऐसा संगम स्थल है। जहां पर पहली बार पांच नदियों का संगम हुआ था। तब से इसे पंचनद नाम से जाना जाने लगा है।

देवताओं की शरण स्थली

यहां खास बात यह है कि आगामी 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि का पूजन होना है। जिसके लिए विभिन्न देव स्थलों की भूमि की मिट्टी व जल का संग्रहण किया जा रहा है। जिसके तहत जनपद औरैया के पंचनद की मिट्टी व जल को लेकर विहिप कार्यकर्ता अयोध्या के लिए रवाना हुए हैं। जनपद औरैया की भूमि देवताओं की शरण स्थली के रूप में जानी जाती रही है। यहां पर तक्षक नाग के श्राप से मुक्त होने के लिए भी एक हवन का आयोजन किया गया था। मगर देवताओं द्वारा प्रार्थना करने के उपरांत राजा के पुत्र ने देवताओं की बात मानी और अपने यज्ञ को रोक दिया। जिससे धरती पर सांपों का वंश तबाह होने से बच गया।

बताते चलें कि इस स्थान पर 800 ईसा पूर्व अज्ञातवास के समय भीमसेन ने कालेश्वर मंदिर की स्थापना की थी। इसके अलावा 1636 में रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने रामायण के कुछ अंश यहां पर लिखे। इस पवित्र भूमि की मिट्टी हर-हर महादेव और जय श्रीराम के उद्घोष के साथ बहुत ही पवित्र मानी जाती है।

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विहिप जालोंन के जिलाध्यक्ष डॉ. भास्कर अवस्थी ने बताया कि यहां से मिट्टी कानपुर भेजी जा रही है। जहां से अयोध्या के लिए रवाना की जाएगी। कोरोना काल के कारण संगठन के कई नेता और कार्यकर्ताओं न चाहते हुए भी अयोध्या नहीं पहुंच पा रहे हैं।

भूमि पूजन में 21 जिलों के धार्मिक स्थलों की मिट्टी प्रयोग में लाई जाएगी

बताते चलें कि आगामी पांच अगस्त को अयोध्या में राममंदिर के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम तय है। इसके बाद मंदिर निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। भूमि पूजन में 21 जिलों के धार्मिक स्थलों की मिट्टी प्रयोग में लाई जाएगी। इसी के अंतर्गत शुक्रवार की शाम को विहिप कार्यकर्ताओं ने जालौनी माता, दोहर मंदिर, ठड़ेश्वरी मंदिर, पचनद और कालपी के वनखंडी देवी मंदिरों से वहां की पवित्र माटी एकत्र की। सभी मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मिट्टी निकालकर उसे कलश में डाला गया। सभी मंदिरों की मिट्टी को फिर उरई के ठड़ेश्वरी मंदिर परिसर में लाया गया। जहां से विहिप कार्यकर्ता मिट्टी का कलश लेकर कानपुर के लिए रवाना हुए।

रिपोर्ट: प्रवेश चतुर्वेदी, औरैया

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