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सांसद का रिपोर्ट कार्ड : सांसद महोदय से मत पूछिए विकास के काम

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Published on: 26 April 2019 12:34 PM IST
सांसद का रिपोर्ट कार्ड : सांसद महोदय से मत पूछिए विकास के काम
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सांसद का रिपोर्ट कार्ड : सांसद महोदय से मत पूछिए विकास के काम

पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर। दूर से बैठकर जब यह आंकड़ा दिखे कि कोई ऐसा उम्मीदवार है जो एक ही क्षेत्र से पांच बार का सांसद है तो जेहन में विकास पुरुष की छवि बनती है। उम्मीद जगती है कि सांसद ने क्षेत्र का विकास किया होगा, लोगों के लिए रोजगार के अवसर मुहैया कराएं होंगे। सेहत, शिक्षा और सुरक्षा के मसले पर बेहतर पहल की होगी लेकिन भारत-नेपाल सीमा से सटे महराजगंज लोकसभा क्षेत्र में विकास की पड़ताल करें तो ऐसा कुछ नहीं दिखता कि जिस पर सांसद पंकज चौधरी की पांच जीत को वाजिब ठहराया जा सके। टूटी सड़कें, बंद चीनी मिल, उद्योग विहीन जिला, रेल विहीन मुख्यालय महराजगंज की पहचान है।

इस हकीकत को जानने के बाद भी भाजपा ने पंकज चौधरी पर भरोसा जताते हुए लगातार आठवीं बार टिकट दिया है। छठी बार संसद पहुंचने की आस में जनसंपर्क कर रहे पंकज के पास गिनाने को कुछ नहीं है, वह सिर्फ मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट की अपील कर रहे हैं। पांच बार के सांसद के पास विकास के नाम पर गिनाने को कुछ नहीं है। गांव की चौपाल में पंकज चौधरी सिर्फ मोदी का ही गुणगान कर रहे हैं। जनधन खाता, सौभाग्य योजना, प्रधानमंत्री आवास, उज्जवला योजना आदि केंद्रीय योजनाओं को गिनाकर अपनी जीत की पृष्ठिभूमि तैयार करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

गोरखपुर नगर निगम से पार्षद का चुनाव जीत कर डिप्टी मेयर की कुर्सी हासिल करने वाले पंकज चौधरी ने महराजगंज लोकसभा सीट से पहला चुनाव वर्ष 1991 में लड़ा। बीच चुनाव में ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति की की लहर में जहां तमाम दिग्गजों को सीट गंवानी पड़ी वहीं, वहीं पंकज विपरीत परिस्थितियों में जीत हासिल करने का करिश्मा दिखाने में कामयाब रहे। तबसे लगातार आठवीं बार वह चुनावी मैदान में हैं। 1999 और 2009 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो उन्हें हर बार जीत मिली। वर्ष 2009 में कर्जमाफी की आंधी में कांग्रेस के हर्षवर्धन से पटखनी खाने वाले पंकज 2014 के लोकसभा चुनाव में नई ऊर्जा के साथ मैदान में उतरे तो मुख्यालय तक रेल लाइन, फरेंदा की बंद चीनी मिल को चालू कराने और सड़कों के विकास का मुद्दा उनके वादों की पोटली में था।

पंकज एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं, और इन मुद्दों पर उनके पास बोलने के लिए कुछ नहीं है। पंकज न तो फरेंदा की बंद चीनी मिल चालू करा सके, न ही जिला मुख्यालय को रेल लाइन से जुड़वा सके। इसके उलट पिछले दिनों गड़ौरा चीनी मिल बंद होने से 50 हजार से अधिक गन्ना किसान प्रभावित हुए हैं। 20 हजार से अधिक किसानों का गन्ना अब भी खेतों में सूख रहा है। करीब 10 हजार गन्ना किसान पर्ची के लिए केन यूनियन से लेकर चीनी मिलों का चक्कर लगा रहे हैं। गुड़ बनाने वाले क्रशर मालिक किसानों से 120 से 130 रुपये कुंतल तक गन्ना खरीद रहे हैं।

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पंकज की संसद में सक्रियता ठीक रही है। उन्होंने 30 चर्चाओं में भाग लिया और उपस्थिति में मामले में भी वह अव्वल रअे। सांसद निधि खर्च करने में भी गोरखपुर-बस्ती मंडल के 9 सांसदों में आगे दिखते हैं। 56 महीने में पंकज ने 21 करोड़ के आसपास विकास कार्यों पर खर्च किया है।

पूर्व सांसद और सपा नेता कुंवर अखिलेश सिंह कहते हैं कि सांसद को किसानों की कोई फिक्र नहीं है। 1932 में स्थापित फरेंदा की चीनी मिल कुप्रबंधन के कारण 1994 में ही बंद हो चुकी है। 400 स्थाई और 1000 के आसपास अस्थाई कर्मचारियों का रोजगार छिन चुका है।

फरेंदा के सामाजिक कार्यकर्ता विजय सिंह कहते हैं कि पिछले पांच साल केन्द्र में बहुमत की सरकार रही और प्रदेश में भी भाजपा की प्रचंड बहुमत वाली सरकार है। जब मुंडेरवा और पिपराइच चीनी मिलें दोबारा चल सकती हैं तो फरेंदा की बंद चीनी मिल क्यों नहीं चल सकती है। इंजीनियरिंग और मेडिकल ही नहीं स्नातक की अच्छी पढ़ाई के लिए लोगों को जिला छोडऩा पड़ता है।

निजी क्षेत्र का इंजीनियरिंग कॉलेज और अस्पताल खोलने वाले सामाजिक कार्यकर्ता विनय श्रीवास्तव कहते हैं कि भारत-नेपाल सीमा से सटे जिले महराजगंज में पर्यटन की आपार संभावना है। रेल लाइन की सुविधा से तरक्की की राह खुलेगी।

यातायात की दृष्टि से पूर्वाचल के पिछड़े क्षेत्रों में रेल लाइन बिछाने के लिए रेल मंत्रालय ने महराजगंज आनंदनगर-घुघली (50 किमी) रेल लाइन को कागजों में मंजूरी दे दी है। चुनाव आचार संहिता लागू होने के 24 घंटे पहले शिलान्यास के लिए रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का कार्यक्रम भी तय हो गया लेकिन अफसरों द्वारा योजना की हकीकत बताए जाने के बाद ऐन मौके पर कार्यक्रम टालना पड़ा। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने सर्वे के बाद इसका डीपीआर रेल मंत्रालय और बोर्ड को भेज दिया था लेकिन रेट आफ रिटर्न सर्वे में घाटा दिखने के बाद मंत्रालय ने जनवरी 2018 में ही इस परियोजना से अपना हाथ खींच लिया था।

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गोद लिए गांव का हाल बदहाल

सांसद पंकज चौधरी ने अगस्त २०१४ में सदर ब्लॉक के बडहरामीर गांव को सांसद आदर्श ग्राम के रूप में चुना था। 56 महीने गुजरने के बाद भी गांव में अपेक्षाकृत विकास नहीं हुआ है। इस गांव का सर्वे सेटेलाइट तकनीक से कराया गया था लेकिन इसका कोई इफेक्ट विकास कार्यों में नहीं दिख रहा है। बडहरामीर गांव की आबादी 3500 है और 2250 वोटर हैं। गांव में लगे 35 इंडिया मार्का हैंडपंप में 10 का पानी पीने योग्य नहीं है। गांव को खुले में शौच से मुक्त कर दिया गया है कि कई धरों में शौचालय नहीं है। 25 से अधिक शौचालय अधूरे ही पड़े हुए हैं। वृद्धा पेंशन 200 लोगों को और विधवा पेंशन का लाभ 26 लाभार्थियों को मिल रहा है। सांसद ने 26 सोलर स्ट्रीट लाइट लगवाई थी लेकिन इनमें से पांच खराब हो चुकी हैं। ग्राम पंचायत की ओर से लगवाई गई 40 स्ट्रीट लाइट में आधी या तो खराब हैं या उनका बल्ब ही फ्यूज हो चुका है। गांव के कई हिस्सों में नाली टूटी पडी है। साफ सफाई का आभाव है। आरओ प्लांट लगा है लेकिन पानी पैसा देने पर ही मिलता है। पानी की टंकी के लिए खुदाई के आगे काम नहीं हो पाया है। बारात घर बनाने के लिए अभी तैयारी की जा रही है। गांव से करीब 8 किमी जिला मुख्यालय है। इलाज के लिए जिला अस्पताल और सदर सीएचसी है। सड़क की हालत ऐसी है कि हिचखोले खाते हुए अस्पताल तक जाना पड़ता है। इंसेफेलाइटिस से जिले में हर वर्ष दर्जनों मासूमों को जान गंवानी पड़ती है। इसके बाद भी जिला अस्पताल की सुविधा नदारद दिखती है। हल्के बुखार से पीडि़त बच्चों को भी गोरखपुर के मेडिकल कालेज रेफर कर दिया जाता है।

सड़कों का बुरा हाल

गोरखपुर से फरेंदा होते हुए सोनौली के फोरलेन को छोड़ दें तो पूरे जिले में सड़कों का हाल बुरा है। गोरखपुर से परतावल होते हुए महराजगंज तक फोरलेन का निर्माण अखिलेश सरकार से ही हो रहा है। निर्माणाधीन सड़क पर लोगों को घंटों जाम से जूझना पड़ता है। महराजगंज से निचलौल होते हुए ठूठीबारी जाने वाली सड़क नेपाल बार्डर को जोड़ती है। इसके बाद भी यह सड़क बमुश्किल 3 से 4 मीटर चौड़ी है। बस्ती-मेहदावल, कैम्पियरगंज होते हुए परतावल की तरफ जाने वाली सड़क को सरकार ने नेशनल हाईवे घोषित कर दिया गया है। महराजगंज में पडऩे वाले सड़क का हिस्सा गांव से भी बदतर है। परतावल से कप्तानगंज होते हुए कुशीनगर को जोडऩे वाली सड़क भी पूरी तरह जर्जर है। नौतनवा क्षेत्र के मध्यनगर, ठकुरापुर व गोपलापुर मजरे पर जाने के लिए आजादी के बाद अभी तक पक्की सड़क नहीं बन सकी है। पिछले दिनों गांव तब सुर्खियों में आया जब यहां के लोगों ने 'सड़क नहीं तो वोट नहींÓ के नारे के बीच चुनाव में वोट के बहिष्कार की घोषणा करते हुए सड़क पर उतर गए थे।

राय जनता की

1991 से अब तक दो कार्यकाल यानी 10 वर्ष छोड़ दें तो करीब 18 वर्ष पंकज ही सांसद की कुर्सी पर काबिज रहे हैं। उनके ही इशारे पर जिला पंचायत अध्यक्ष भी जीतते रहे हैं। यानी बजट के एक बड़े हिस्से पर उनका ही कब्जा है। जिले के 5 में से तीन विधायक पंकज के करीबी है। फरेंदा से बजरंग बहादुर, सदर से जयमंगल कन्नौजिया और पनियरा से ज्ञानेन्द्र सिंह पंकज के ही विधायक माने जाते हैं। इन सबके बाद भी पंकज के पास गिनाने को कुछ नहीं है। - राजेश त्रिपाठी, नौतनवा

फरेंदा में एनटीसी की चीनी मिल नीलाम हो गई, सांसद ने इसे चालू कराने का भरोसा दिलाया था। यहां कपड़ा मिल लगवाने का वादा किया मगर कुछ नहीं हुआ। - डा. आरएन सिंह

मैं महराजगंज छोड़कर तीन दशक पहले अमेरिका चला गया था। हर साल दो बार यहां आता हूं। पिछले 20 वर्षों में कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा है। गोरखपुर तो विकसित हो रहा है लेकिन महराजगंज में चलने के लिए अच्छी सड़कें तक नहीं हैं। सांसद को 10 में शून्य नंबर देंगे। - डा. इन्द्र, पिपरपाती

भारत-नेपाल बार्डर पर स्थित सोनौली को टाउन एरिया घोषित किया गया है। जहां तीन-चार घंटे भी बिजली नहीं मिलती थी, वहां गांव की सड़कों पर स्ट्रीट लाइट जल रही है। विकास सतत प्रक्रिया है। सांसद को 10 में 8 नंबर दूंगा। - दिनेश त्रिपाठी, सोनौली

पंकज चौधरी की सांसदी के १८ साल हो चुके हैं। रेल लाइन, बेहतर अस्पताल, सड़क की बात तो छोडि़ए सांसद अपने निधि का एक ऐसा कार्य भी नहीं दिखा सकते हैं, जो 10-20 हजार लोगों के लिए उपयोगी हो। सांसद को शून्य नंबर देंगे। प्रवीण उर्फ रानू सिंह, दवा कारोबारी

लंबे इंतजार के बाद परतावल से कप्तानगंज सड़क का निर्माण हुआ। सड़क तो जैसे तैसे बन गई लेकिन कस्बे में नाली निर्माण को अधूरा छोड़ दिया गया। जलनिकासी नहीं होने से सड़क फिर टूटेगी। सांसद को 4 नंबर दे सकते हैं। - पूनम वर्मा, परतावल

बार्डर का जिला होने के नाते यहां से विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में गुजरते हैं। साफ सुथरा जिला होगा तो वह बेहतर छवि लेकर जाएंगे। सोनौली से नौतनवां तक बदइंतजामी ही दिखती है। सांसद को इसे लेकर भी पहल करनी चाहिए। - अंजली त्रिपाठी, नौतनवां

केन्द्रीय योजनाओं के चलते गांव से लेकर कस्बों में स्थितियां सुधरी हैं। महराजगंज अन्य जिलों की अपेक्षा कुछ अधिक ही पिछड़ा है। ट्रेन की सुविधा जबतक नहीं होगी समग्र विकास संभव नहीं है। सांसद को 10 से 6 नंबर देंगे। - विजय श्रीवास्तव, नौतनवां



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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