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अस्पताल में पिछले 5 दिन से नहीं है पैरासिटामोल इंजेक्शन, तो ऐसे होगा मरीजों का इलाज

बुखार से बच्चों की हो रही मौतों से लगता है सरकार को कोई फर्क नही पड़ता। क्योंकि यूपी के शाहजहांपुर के जिला अस्पताल में पिछले 5 दिन से पैरासिटामोल इंजेक्शन नहीं है। जबकि इस वक्त हर दिन सैंकड़ो की तादाद में बुखार से पीड़ित लोग अस्पताल में दवा लेने आ रहे हैं।

priyankajoshi
Published on: 11 Sep 2017 12:11 PM GMT
अस्पताल में पिछले 5 दिन से नहीं है पैरासिटामोल इंजेक्शन, तो ऐसे होगा मरीजों का इलाज
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शाहजहांपुर: बुखार से बच्चों की हो रही मौतों से लगता है सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। यूपी के शाहजहांपुर के जिला अस्पताल में पिछले 5 दिन से पैरासिटामोल इंजेक्शन नहीं है। जबकि इस वक्त हर दिन सैंकड़ो की तादाद में बुखार से पीड़ित लोग अस्पताल में दवा लेने आ रहे हैं।

सबसे ज्यादा बच्चे इस जानलेवा बुखार की चपेट में आ रहे हैं। लेकिन लगता है इससे स्वास्थ्य विभाग को कोई फर्क नही पड़ रहा है। यही वजह है कि पिछले पांच दिन पैरासिटामोल इंजेक्शन लोगों को अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर से खरीदना पड़ रहा है।

सैंकड़ो बच्चे बुखार से पीड़ित

ये नजारा जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर का है। यहां प्रतिदिन सैंकड़ो की तादाद मे बुखार से पीड़ित बच्चें आ रहे हैं। लेकिन जब बुखार की दवा लेने जिला अस्पताल आते है तो उन्हें दवा बाहर के मेडिकल स्टोर से खरीदना पड़ता है, क्योंकि इस अस्पताल में पिछले 5 दिन से पैरासिटामोल इंजेक्शन नहीं है। जबकि डॉक्टरों से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पता होगा कि बुखार में सबसे पहले पैरासिटामोल इंजेक्शन लगाया जाता है, लेकिन यहां तो पिछले 5 दिन से ये इंजेक्शन है ही नहीं।

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क्या सरकार ने लिया सबक?

ऐसे में डॉक्टरों को मजबूरी में ये इंजेक्शन बाहर से खरीदने के लिए लिखना पड़ रहा है। अस्पताल के बाहर ये इंजेक्शन लोगों को 12 रुपए में खरीदना पड़ रहा है। ऐसे में सोच सकते है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग बुखार से मरने वाले बच्चों से कितना सबक लिया होगा। क्या सरकार वाकई इन मौतों के बाद गंभीर हुई है।

क्या कहा डॉक्टर ने?

डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पिछले कई दिनों से ट्रामा सेंटर मे पैरासिटामोल इंजेक्शन नहीं है। जबकि सैंकड़ों की तादाद में हर रोज बुखार से पीड़ित मरीज आ रहे हैं। ऐसे में इस इंजेक्शन को बाहर से मरीज को लिखना पड़ रहा है। ये इंजेक्शन अस्पताल के बाहर बने मेडिकल स्टोर पर 12 रुपए का मिलता है। ऐसे मे मरीज डॉक्टरों से विवाद करते है कि जिला अस्पताल मे दवाएं बाहर से लिखी जा रही है।

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क्या कहा प्रभारी लक्ष्मी नारायण ने?

वहीं जब रविवार को यूपी के प्रभारी मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी से अस्पताल में दवाओं की कमी पर बात की थी तो वह इस सवाल पर बौखला गए। उन्होंने कहा कि इसमे मेरा क्या दोष है। जिन्होंने 70 साल राज किया उन्होंने डॉक्टर पैदा नहीं किए, जो देश के काम आते। उन्होंने कहा कि ऐसी कौन सी मशीन है दुनिया मे जो पांच महीने मे डॉक्टर पैदा कर दें।

ऐसे मे सवाल ये उठता है कि क्या बीजेपी के मंत्री बीमारियों पर भी राजनीति करने लगे है जबकि प्रभारी मंत्री से ये भी कहा गया था कि शाहजहांपुर के जिला अस्पताल मे इस वक्त दवा की बेहद कमी है। मरीजो को दवाएं नहीं मिल पा रही है। ऐसे में अगर वाकई प्रभारी मंत्री बच्चों की मौत को गंभीरता से लेते तो वह फौरन कम दवा की शिकायत को लेकर सीएमओ से बात करते। ऐसा में नहीं लग रहा है कि सरकार को कोई सबक मिला होगा।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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