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UP Election 2022: बागपत में रालोद के सामने गढ़ बचाने की चुनौती, भाजपा की फिर ताकत दिखाने की तैयारी

UP Election 2022: बागपत विधानसभा सीट के अतीत को देखा जाए तो यह क्षेत्र रालोद का गढ़ माना जाता रहा है और इस सीट पर रालोद के नवाब कोकब हमीद ने पांच बार जीत हासिल की है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 23 Jan 2022 11:24 AM IST
UP Election 2022: बागपत में रालोद के सामने गढ़ बचाने की चुनौती, भाजपा की फिर ताकत दिखाने की तैयारी
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UP Election 2022: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बागपत विधानसभा सीट पर इस बार कड़े मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है। इस सीट पर भाजपा ने 2017 में जीत हासिल करने वाले योगेश धामा पर एक बार फिर भरोसा जताया है जबकि राष्ट्रीय लोकदल की ओर से 2017 में दूसरे नंबर पर रहने वाले नवाब अहमद हमीद को टिकट दिया गया है। हमीद 2017 में बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में थे मगर इस बार वे पाला बदलकर राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं।

कांग्रेस ने अनिल देव त्यागी को टिकट दिया है। बसपा मुखिया मायावती ने इस बार गुर्जर पर दांव खेलते हुए अरुण कसाना को पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया है। इस तरह बागपत विधानसभा सीट से दो गुर्जर,एक जाट और एक मुस्लिम प्रत्याशी के बीच इस बार रोमांचक मुकाबला होने की उम्मीद है।

रालोद का गढ़ रहा है यह क्षेत्र

यदि बागपत विधानसभा सीट के अतीत को देखा जाए तो यह क्षेत्र रालोद का गढ़ माना जाता रहा है और इस सीट पर रालोद के नवाब कोकब हमीद ने पांच बार जीत हासिल की है। 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के योगेश धामा ने जीत हासिल की थी।

उन्होंने बसपा के नवाब अहमद हबीब को 31 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। रालोद के करतार सिंह भड़ाना तीसरे नंबर पर रहे थे जबकि सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी कुलदीप उज्जवल को चौथा स्थान मिला था। नवाब अहमद हमीद इस बार पाला बदलते हुए राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं।

भाजपा प्रत्याशी ने तोड़ा था समीकरण

बागपत सीट से नवाब कोकब हमीद पांच बार और नवाब शहाब छह बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे। इन दोनों नेताओं की जीत का श्रेय जाट-मुस्लिम समीकरण को दिया जाता है मगर 2017 के विधानसभा चुनाव में यह समीकरण टूट गया और भाजपा के योगेश धामा ने जीत हासिल की थी। योगेश धामा 10 साल तक जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं और उनकी पत्नी रेणु धामा भी राजनीति में सक्रिय रही हैं।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्यामलाल कॉलेज से पढ़ाई करने वाले योगेश धामा की क्षेत्र पर मजबूत पकड़ मानी जाती है और इसी कारण भाजपा ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है। रालोद की ओर से एक बार फिर जाट मुस्लिम समीकरण पर भरोसा जताया गया है मगर यह देखने वाली बात होगी कि धामा इस समीकरण को एक बार फिर तोड़ पाते हैं या नहीं।

बागपत विधानसभा सीट बागपत क्षेत्र के अंतर्गत आती है और इस संसदीय सीट पर भाजपा के सत्यपाल सिंह ने जीत हासिल की थी। उन्होंने रालोद प्रत्याशी जयंत चौधरी को 23502 मतों से हराया था। इस तरह यह सीट जयंत चौधरी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है और उन्हें इस सीट पर रालोद को विजयी बनाकर अपनी हार का भी बदला लेना है।

फिर ताकत दिखाने में जुटी है भाजपा

बागपत विधानसभा सीट पर करीब सवा तीन लाख से अधिक मतदाता है। इस सीट पर मुस्लिम और जाट मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। ब्राह्मण मतदाताओं की भी यहां अच्छी खासी संख्या है। किसान आंदोलन के कारण नई संजीवनी हासिल करने वाले राष्ट्रीय लोकदल ने इस बार इस विधानसभा सीट पर पूरी ताकत लगा रखी है जबकि भाजपा एक बार फिर जीत हासिल करके रालोद को बड़ी चोट पहुंचाने की कोशिश में जुटी हुई है।

बसपा ने भी गुर्जर प्रत्याशी अरुण कसाना को चुनाव मैदान में उतार कर दोनों दलों की घेराबंदी करने की कोशिश की है। इस विधानसभा सीट पर पहले चरण में ही 10 फरवरी को मतदान होना है। इसलिए प्रत्याशियों के पास चुनाव प्रचार का काफी कम समय बचा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि कौन प्रत्याशी बढ़त हासिल करने में कामयाब होता है।

Vidushi Mishra

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