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बिजनौर क्राइम: रुपयों को लेकर पति ने पत्नी की गोली मारकर कर दी हत्या
बिजनौर में पति ने अपनी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है...
यूपी में महिलाओं को लेकर अपराध कम नहीं हो रहे हैं। आय दिन महिलाओं से संबंधित क्राइम की खबर सामने आती रहती हैं। ताजा मामला यूपी के बिजनौर से आया है। यहां पति ने अपनी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी। घटना के बाद आरोपी पति मौके से फरार हो गया है। घटना की सूचना पुलिस को दे दी गई है, जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।
दोनों की साथ साल की बेटी थी
पड़ोसियों के मुताबिक, दोनों की एक सात साल की बच्ची थी, जिसका रो रोकर बुरा हाल है। आरोपी पति ने दूसरी शादी कर ली, जिसके बाद से आरोपी, उसकी किन्नर पत्नी और दूसरी पत्नी के बीच आए दिन झगड़ा हो रहा था। झगड़े के साथ-साथ किन्नर पत्नी अपने पति सद्दू को दिए हुए 15 लाख रुपए भी मांग रहे थे।
रुपए को लेकर हुआ था विवाद
पुलिस पूछताछ में पता चला है कि 15 लाख रुपए सद्दू ने अपनी किन्नर पत्नी से ले रखा था, जिसको लेकर कल रात दोनों के बीच झगड़ा हुआ और इसी झगड़े से नाराज होकर आरोपी पति ने अपनी किन्नर पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी है।
मामले की जांच की जा रही है
पुलिस हत्या आरोपी को पकड़ने के लिए आसपास के सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाल रही है। साथ ही पुलिस आरोपी के रिश्तेदारों के यहां भी दबिश दे रही है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
नियमानुसार दाण्डिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी
अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट पंकज श्रीवास्तव की अदालत ने गुरुवार को आठ साल बाद भी डीएनए परीक्षण की आख्या न्यायालय में न भेजे जाने पर कड़ा रुख अपनाते हुए उपनिदेशक, डीएनए अनुभाग विधि विज्ञान प्रयोगशाला, महानगर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी करते हुए 25 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से अदालत में परीक्षण आख्या के साथ हाजिर होने का निर्देश दिया है। परीक्षण आख्या न लाने पर नियमानुसार दाण्डिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
दुष्कर्म कर उसकी हत्या 2013 में कर दी गई
बता दें कि विण्ढमगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत एक दलित नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या वर्ष 2013 में कर दी गई थी। राज्य बनाम शहजाद का यह प्रकरण वर्ष 2013 से इस न्यायालय में विचाराधीन है। लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम सम्बंधित आपराधिक वादों का निस्तारण शीघ्र-अति-शीघ्र एक वर्ष की अवधि के अंदर किया जाना अपेक्षित है। विधि विज्ञान प्रयोगशाला में पीड़िता के पहने कपड़े व अभियुक्त के रक्त नमूने डीएनए परीक्षण मिलान के लिए 14 फरवरी 2013 को ही प्राप्त कराया जा चुका है।
लगभग आठ वर्ष का समय व्यतीत हो जाने के उपरांत भी उपरोक्त मामले में परीक्षण आख्या न तो न्यायालय में अथवा पुलिस अधीक्षक सोनभद्र के यहां प्रेषित न करना यह दर्शित करता है कि मामले में जानबूझकर आख्या प्रेषित नहीं की जा रही है। अदालत ने कहा है कि 4 अगस्त 2021 को पुलिस अधीक्षक सोनभद्र द्वारा विशेष वाहक कॉ. आशीष कुमार यादव के जरिए आख्या उपलब्ध कराने की अपेक्षा की गई है।
परीक्षण कर आख्या नहीं भेजी जा सकी
बावजूद इसके आख्या नहीं प्रेषित की गई है, जो घोर लापरवाही का द्योतक है। अत: निर्देशित किया जाता है कि नियत तिथि 25 अगस्त 2021 को उपनिदेशक डीएनए अनुभाग विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ व्यक्तिगत रूप से न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर यह स्पष्ट करें कि किन परिस्थितियों में प्रदर्शों को प्राप्त करने के उपरांत लगभग आठ वर्ष तक परीक्षण कर आख्या नहीं भेजी जा सकी। साथ ही परीक्षण आख्या नियत तिथि को प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें। अन्यथा नियमानुसार आपके विरुद्ध दांडिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।