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UP Election 2022: भाजपा के लिए कठिन सीट है नजीबाबाद, दलित और मुस्लिम वोट बनेंगे निर्णायक

Bijnor News: यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए एक चुनौतीपूर्ण सीट बिजनौर जिले की नजीबाबाद की भी है जहां अब तक सिर्फ एक बार भाजपा को जीत मिल सकी है। नजीबाबाद सीट पर दूसरे चरण में 14 फरवरी को वोटिंग होगी।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Deepak Kumar
Published on: 29 Jan 2022 6:27 PM IST
UP Election 2022
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यूपी विधानसभा चुनाव की तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Bijnor News: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में भाजपा (BJP) के लिए एक चुनौतीपूर्ण सीट बिजनौर जिले की नजीबाबाद (Najibabad of Bijnor district) की भी है जहां अब तक सिर्फ एक बार भाजपा को जीत मिल सकी है। नजीबाबाद सीट (Najibabad Seat) पर दूसरे चरण में 14 फरवरी को वोटिंग होगी।

नजीबाबाद सीट (Najibabad Seat) के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो यहां सभी दलों को संघर्ष करना पड़ा है। यहां अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं लेकिन सिर्फ एक बार भाजपा (BJP) जीती है, वह भी राम मंदिर आंदोलन के दौरान। इस सीट पर मुस्लिम और दलित मतदाता जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं इसलिए इन पर सभी पार्टियों की नजरें टिकी हुई हैं।

नजीबाबाद सीट (Najibabad Seat) से इस बार भाजपा ने कुंवर भारतेंदु सिंह को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस ने हाजी मोहम्मद सलीम अंसारी पर अपना भरोसा जताया है। आप ने श्रवण राजपूत को उतारा है। बसपा के प्रत्याशी हैं शाहनवाज आलम जबकि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने तसलीम अहमद को टिकट दिया है।

1974 में नजीबाबाद सीट (Najibabad Seat) आरक्षित हुई और 2007 तक रही। अब ये सामान्य सीट है। इस बार सभी पार्टियां जीत का दावा कर रही हैं लेकिन सीट के इतिहास पर नजर डालें तो जीत के लिए सभी के सामने कड़ी चुनौती रहने वाली है। भाजपा ने यहां पूरी ताकत लगा रखी है। वहीं सपा 2017 में यहां मिली जीत को दोहराने का प्रयास में है। बसपा ने दलित और मुस्लिम वोटों पर उम्मीदें टिका रखी हैं। नजीबाबाद से अब तक सिर्फ चार बार मुस्लिम प्रत्याशी की जीत हुई है। 2017 में नजीबाबाद विधानसभा सीट (Najibabad Assembly Seat) से सपा के तसलीम अहमद ने भाजपा के राजीव कुमार अग्रवाल को हराया था। 2012 के विधानसभा चुनाव (2012 Assembly Election) में तसलीम अहमद बसपा के टिकट पर लड़े थे और उन्होंने भाजपा के राजीव कुमार अग्रवाल को ही हराया था।

2017 का वोट शेयर

2017 के चुनाव में विजयी रहे सपा से तस्लीम अहमद का वोट शेयर 37.55 प्रतिशत रहा। दूसरे नंबर पर भाजपा (BJP) के राजीव कुमार अग्रवाल रहे जिनका वोट शेयर 36.63 फीसदी रहा। बसपा (BSP) के जमील अहमद का वोट शेयर 20.88 फीसदी और रालोद प्रत्याशी लीना सिंघल का वोट शेयर मात्र 1.67 फीसदी रहा।

बदलते रहे हैं विधायक

नजीबाबाद विधानसभा सीट (Najibabad Assembly Seat) पर तीन लोगों ने ही लगातार दो बार जीत हासिल करने में सफलता पाई थी। 55 साल 1967 के चुनावी समर में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में साहनपुर स्टेट के राजा देवेंद्र सिंह ने जीत हासिल की थी। 1969 में बीकेडी के टिकट पर राजा देवेंद्र सिंह दोबारा विधानसभा पहुंचे। इनके अलावा मास्टर रामस्वरूप तीन बार विधायक बने -1993, 1996 और 2002 के चुनाव में। सपा से विधायक तसलीम अहमद भी दोबारा इसी सीट से विधायक हैं। इन तीनों के अलावा इस सीट पर लगातार दो बार कोई नहीं जीत पाया है। वैसे, कांग्रेस से सुक्खन सिंह दो बार विधायक रहे लेकिन वो भी लगातार नहीं जीत सके।

इतिहास

नजीबाबाद (Najibabad Assembly Seat) का नाम आमतौर पर सिर्फ चुनावों के समय सामने आता है। नजीबाबाद (Najibabad Assembly Seat) को मुग़ल सम्राट अहमदशाह के समकालीन नवाब नज़ीबुद्दौला ने 1750 में बसाया था। नज़ीबुद्दौला एक सफल कूटनीतिज्ञ था और मुग़ल साम्राज्य की तत्कालीन राजनीति में इसका काफ़ी दख़ल था। इसका मक़बरा नजीबाबाद में स्थित है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में नज़ीबुद्दौला के उत्तराधिकारी नवाब दुंदू खाँ ने अंग्रेजों के विरुद्ध बग़ावत की थी, जिसके कारण उसकी रियासत ज़ब्त कर ली गई और उसका एक भाग रामपुर रियासत को दे दिया गया। नजीबुद्दौला के नाम पर ही नजीबाबाद का नाम पड़ा है। कलात्मक नवाबी इमारतों के साथ-साथ लघु उद्योगों, खासकर कम्बल उद्योग से नजीबाबाद शहर की पहचान है।

रेडियो स्टेशन

नजीबाबाद (Najibabad Assembly Seat) में 27 जनवरी 1978 में आकाशवाणी केंद्र स्थापित हुआ था। उत्तराखंड और यूपी के बार्डर पर नजीबाबाद में स्थापित 200 किलो हटर्ज के आकाशवाणी केंद्र से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम आज भी बहुत लोकप्रिय हैं और सभी पड़ोसी राज्यों में सुने जाते हैं।

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