Bulandshahr Crime News: हत्यारे को मिली फांसी की सजा, दरिंदगी के बाद 2 साल की बच्ची की हुई थी मौत

Bulandshahr Crime News: पॉक्सो कोर्ट बुलंदशहर ने 2 साल की बच्ची की रेप के बाद हत्या मामले में दोषी को सुनाई फांसी की सजा

Sandeep Tayal
Published on: 10 Nov 2021 11:24 AM GMT (Updated on: 10 Nov 2021 2:13 PM GMT)
Prem Singh fansi ki saja
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रेप और हत्या का दोषी प्रेम सिंह (फोटो-न्यूजट्रैक)

Bulandshahr Crime News: एडीजे 2 विशेष पॉक्सो कोर्ट बुलंदशहर (POCSO Court Bulandshahr) की न्यायाधीश पल्लवी अग्रवाल ने 2 साल की मासूम बच्ची की रेप व हत्या (girl murdered after rape) के मामले में 40 साल के प्रेम सिंह को दोषी करार देते हुए फाँसी (Prem Singh fansi ki saja) व 1 लाख रुपये अर्थदण्ड की सजा मुकर्रर की है। ये सजा वारदात के बाद महज 16 महीने में सुनाई गई है।

क्या था पूरा मामला

एडीजे 2 विशेष पॉक्सो कोर्ट (POCSO Court Bulandshahr) के विशेष लोक अभियोजक भरत शर्मा ने बताया कि 10 जुलाई, 2020 को शिकारपुर कोतवाली में क्षेत्र के ही एक व्यक्ति ने दर्ज करायी रिपोर्ट में कहा था कि उसकी 2 साल की पुत्री घर के बाहर खेल रही थी, किसी व्यक्ति ने बच्ची के साथ दरिंदगी की और उसका शव (girl murdered after rape) गांव के पास तालाब में फेंक दिया। बच्ची के पिता की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर शव को पोस्टमार्टम के लिये भेज कर जांच शुरू कर दी थी।


एसएसपी बोले- पुलिस ने की सशक्त पैरवी

एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि बच्ची के साथ दरिंदगी का मामला बिल्कुल ब्लाइंड केस था, लेकिन मामले को लेकर पुलिस के समक्ष बच्ची के पिता ने पड़ोसी प्रेम सिंह (40) पर शक जताया, तो पुलिस ने जैसे ही प्रेम सिंह पुत्र वीर सिंह को (Prem Singh fansi ki saja) हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की, तो प्रेम सिंह ने वारदात को अंजाम देना कबूल कर लिया। प्रेम सिंह ने पूरी घटना पुलिस को बताई। पुलिस ने मामले में आरोपी को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया तथा तत्परता के साथ विधिक कार्यवाही करते हुए आरोप पत्र दाखिल किया।

प्रत्यक्षदर्शी का बयान कोर्ट ने किया कोड

एडीजे 2 विशेष पोक्सो कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक भरत शर्मा व महेश राघव ने बताया 10 जुलाई, 2020 को वारदात हुई थी। बीच में कोरोना काल रहा, इसके बावजूद न्यायालय के समक्ष 8 गवाह पेश किए गए, जिनमें से एक प्रत्यक्षदर्शी ने बच्ची को ले जाते हुए प्रेम सिंह (Prem Singh fansi ki saja) को देखा था। प्रत्यक्षदर्शी का यह बयान पूरे घटनाक्रम में अहम रहा था। न्यायधीश पल्लवी अग्रवाल ने महज 16 महीने में मामले में सजा मुकर्रर कर दी।

विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो भरत शर्मा ने बताया कि बच्ची के साथ की गई दरिंदगी की पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुई थी। साइंटिफिकली और मेडिकल रिपोर्ट में पुष्टि होने के बाद पुलिस ने तत्परता से कार्यवाही की, 16 महीने तक चली विधिक प्रक्रिया के दौरान एडीजे 2 विशेष पॉक्सो कोर्ट की न्यायधीश पल्लवी अग्रवाल ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत साक्ष्यों, गवाहों के बयानों और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद प्रेम सिंह पुत्र वीर सिंह निवासी हिरनौट थाना शिकारपुर को बच्ची के साथ दरिंदगी और उसकी हत्या का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा मुकर्रर की है साथ ही एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।

जल्द हो सजा, तो दरिंदगी पर अंकुश संभव

दरिंदे को दरिंदगी की सजा सुनाए जाने के बाद मृतक बच्ची के परिजनों ने न्यायपालिका के प्रति आस्था प्रकट किया है। बच्ची के पिता ने दो टूक कहा कि दरिंदों को ऐसे ही सजा कम समय में मिलती रहे, तो दरिंदगी की वारदातों पर रोक लग जाएगी। दरिंदे दरिंदगी करने से पहले सौ बार सोचेंगे।

Sonbhadra: 20 वर्ष पूर्व दलित महिला से किया था दुर्व्यवहार, अब भुगतेंगे 5-5 वर्ष की कैद

सोनभद्र। बीस वर्ष पूर्व घोरावल थाना क्षेत्र के सिद्धि गांव की दलित महिला के साथ हुए दुर्व्यवहार के मामले में चार दोषियों को पांच-पांच वर्ष के कैद की सजा सुनाई गई है। बुधवार को यह फैसला विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट खलीकुज्ज्मा की अदालत ने सुनाया। मामले की सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर बिहारी कुशवाहा, बिंदु उर्फ अरविंद कुमार, मुन्ना व बचाऊ को पांच-पांच वर्ष की कैद और 15-15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा दी गई। अर्थदंड अदा न करने की दशा में छह-छह माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी।

अभियोजन कथानक के मुताबिक घोरावल थाना क्षेत्र के सिद्धी गांव की निवासी शिव कुमारी ने 27 मार्च 2001 को एसपी सोनभद्र को शिकायती पत्र दिया था। उसमें आरोप लगाया था कि 23 मार्च 2001 की शाम 8 बजे बच्चों के कंकड़ फेंकने के विवाद उसी के गांव के रहने वाले बिहारी कुशवाहा, बिंदु उर्फ अरविंद कुमार, मुन्ना व बचाऊ ने जाति सूचक शब्दों से उसे अपमानित किया। उसकी बेरहमी से पिटाई भी की। शोरगुल पर लोग आ गए तो उसे जान से मारने की धमकी देते हुए चले गए। घोरावल पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, तब एसपी के यहां गुहार लगाने पहुंची। एसपी के निर्देश पर घोरावल थाने में मारपीट और एससी/एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज किया गया। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर चारों आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की। सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना। गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन किया। इसके आधार पर दोषसिद्ध पाकर बिहारी कुशवाहा, बिंदु उर्फ अरविंद कुमार, मुन्ना और बचाऊ को पांच-पांच वर्ष की कैद तथग 15 - 15 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अभियोजन पक्ष की तरफ से शासकीय अधिवक्ता सी. शशांक शेखर कात्यायन ने अभियोजन के पक्ष में दलीलें अदालत के सामने रखीं।

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Raghvendra Prasad Mishra

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