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Bulandshahr News: यूपी सरकार पर लगा 7 लाख का जुर्माना, छात्र के एनकाउंटर मामले में SC की बड़ी कार्रवाई
Bulandshahr Fake Encounter Case: 19 साल पहले वर्ष 2002 में NH-91 पर सिकंद्राबाद कोतवाली क्षेत्र में हुए फर्जी एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार पर 7 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
Bulandshahr Fake Encounter Case: 19 साल पहले वर्ष 2002 में NH-91 पर सिकंद्राबाद कोतवाली क्षेत्र में हुए फर्जी एनकाउंटर मामले (Bulandshahr Farji Encounter Case) में अब नया मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने छात्र के एनकाउंटर के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Sarkar) पर 7 लाख रुपये का जुर्माना (Fine) लगाया है तथा 1 सप्ताह में इसे जमा करने के आदेश भी दिए हैं।
बता दें कि न्यायालय के आदेश पर ही अब तक कई पुलिसकर्मी जेल जा चुके हैं जबकि उस समय के सिकंदराबाद के कोतवाली प्रभारी और सेवानिवृत्त सीओ फरार बताए जा रहे हैं, जिनकी यूपी पुलिस को सरगर्मी से तलाश है।
बुलंदशहर के सिकंदराबाद कोतवाली के गांव सहपानी में रहने वाले यशपाल सिंह (Yashpal Singh) ने बताया कि बेटे के एनकाउंटर की लड़ाई लड़ते-लड़ते 19 साल बीत गए अब सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को रिट पिटिशन संख्या 351/ 2021 यशपाल सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) व अन्य पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार पर 7 लाख रुपये का जुर्माना (Jurmana) लगाया है। आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने एक सप्ताह में जुर्माने की राशि (Jurmane KI Rashi) की जमा कराने की बात कही है। साथ ही मामले को लेकर अग्रिम सुनवाई की तिथि 20 अक्टूबर नियत की है।
जानिये क्या था पूरा मामला?
3 अगस्त 2002 की सुबह सिकंद्राबाद में फर्जी पुलिस मुठभेड़ (Fake Police Enconter) में मारे गये बीटेक के छात्र प्रदीप कुमार (Pradeep Kumar) के पिता यशपाल सिंह ने बताया कि 3 अगस्त 2002 को उस समय के सिकन्द्रबाद थाने के थाना प्रभारी निरीक्षक रणधीर सिंह (Randheer Singh) ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह देर रात को बुलंदशहर देहात कोतवाली बॉर्डर से टीम के साथ गश्त करते हुए वापस सिकंदराबाद की ओर लौट रहे थे। गांव आढ़ा मोड़ के निकट पहुंचे तो बिलसूरी की ओर से फायरिंग की आवाज सुनायी पड़ी। जिस पर वह हमराही पुलिसकर्मी कांस्टेबल जितेंद्र सिंह, मनोज, श्रीपाल जीप चालक , सतेंद्र, संजीव कुमार, तोताराम और रघुराज के साथ मौके पर पहुंचे। जहां एक रोडवेज बस से यात्रियों के चीखने की आवाज आ रही थी।
इसी दौरान बस से तीन बदमाश निकलकर आढ़ा गांव की ओर भागने लगे। पुलिस के रोकने पर जब नहीं रुके और बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग करनी शुरू कर दी तो पुलिस की जवाबी फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई। जिसकी शिनाख्त पुलिस ने प्रदीप कुमार (22) पुत्र यशपाल सिंह निवासी गांव सहपानी थाना सिकंदराबाद के रूप में की। पुलिस ने मृतक को लुटेरा बताया।
थाना प्रभारी नीरिक्षक रणधीर ने धारा 307 व 25 आर्म्स एक्ट (Arms Act) के तहत प्रदीप सहित 3 लोगों के खिलाफ सिकंद्राबाद कोतवाली में मामला दर्ज किया था। यही नहीं फर्जी एनकाउंटर के मामले में लोगों द्वारा शव को सड़क पर प्रदर्शन करने पर पुलिस ने मृतक छात्र के पिता सहित अनेक लोगों पर सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने व मार्ग अवरुद्ध करने के आरोप में मामला भी दर्ज कर दिया था।
CBCID भी दे रही थी आरोपी पुलिसकर्मियों का साथ
वहीं, पुलिस एनकाउंटर में मारे गए छात्र के पिता यशपाल सिंह ने बताया कि काफी जद्दोजहद के बाद सिकंद्राबाद के SHO रणधीर सहित 8 पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्रदीप की हत्या का मामला दर्ज कराया जा सका। मजिस्ट्रेट जाट से लेकर सीबीसीआईडी की जांच (CBCID Ki Janch) सब आरोपियों का समर्थन कर रहे थे और छात्र को लुटेरा बताने में जुटे थे।
मामले की जांच होने पर सीबीसीआईडी ने तो एफआर क्लोजर रिपोर्ट भी दाखिल कर दी थी। लेकिन उसी दौरान कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशन दायर की। जिसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने एफआर निरस्त कर दी और मामले में सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ वाद दायर कर जांच पड़ताल के निर्देश दिए। साथ ही बाद में आरोपियों के खिलाफ पहले वारंट जारी किए गए थे।
कई पुलिसकर्मी जा चुके हैं जेल
एनबीडब्ल्यू जारी होने के बाद वर्तमान में उपनिरीक्षक बन चुके पूर्व आरोपी सिपाही संजीव कुमार, कांस्टेबल मनोज कुमार, जितेंद्र सिंह, सतेन्द्र, कांस्टेबल तोताराम, रघुराज और जीप चालक कांस्टेबल श्रीपाल सहित 7 आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं लेकिन अभी तक मुख्य आरोपी पूर्व थाना प्रभारी नीरिक्षक व सेवानिवृत सीओ रणधीर सिंह अभी तक फरार है।
बेटे के हत्यारों को सजा दिलाने की 19 साल तक लड़ी कानूनी लड़ाई
फर्जी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए छात्र प्रदीप कुमार के पिता यशपाल सिंह ने बताया कि बेटे को न्याय दिलाने के लिए 19 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है। दबंग पुलिस कर्मियों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के दौरान बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। आज भी उन्हें जान का खतरा सताता है। यशपाल सिंह बताते हैं कि कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा, मगर उन्हें भारतीय न्यायालय पर आज भी पूरा भरोसा है।
19 साल तक लंबी लड़ाई लड़ने के लिए अपनी काफी जमीन भी बेच चुके हैं। अब न्यायालय ने सरकार व मामले में ढिलाई बरतने की बात कही है और उत्तर प्रदेश सरकार पर 7 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया है।
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