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Bulandshahr News: आरक्षण की मांग: निषादों ने खून से लिखा खत-'आरक्षण दो या मौत'

बुलंदशहर में निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने निषादों व उसकी उप जातियों को एससी में आरक्षण लागू किये जाने की मांग को लेकर खून से खत लिखा है।

Sandeep Tayal
Published on: 28 Aug 2021 6:02 PM GMT
Demand for reservation: Nishad wrote a letter with blood - Give reservation or die
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आरक्षण की मांग: निषादों ने खून से लिखा खत-'आरक्षण दो या मौत'

Bulandshahr News: बुलंदशहर में निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने निषादों व उसकी उप जातियों को एससी में आरक्षण लागू किये जाने की मांग को लेकर खून से खत लिखा है। खून से लिखे खतों में निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आरक्षण दो या मत दो, खून से लिखा और अब खून से लिखे खतों को निषाद पार्टी के कार्यकर्ता राष्ट्रपति प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को भेजेंगे ।

आपने प्रेम में प्रेमी ओर प्रेमिका को एक दूसरे को खत लिखते तो सुना होगा किन्तु ये पहली बार हो रहा है कि सत्ताधारी दल की सहयोगी पार्टी के कार्यकर्ता अपने खून से खत लिख सरकार से निषादों को अनुसूचित जाति जन जाति का आरक्षण लागू करने की मांग कर रहे है।

खून से पत्र लिखकर आरक्षण की गुहार

आज बुलंदशहर में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के कार्यकर्ता काला आम के निकट स्थित राजेश्वरी पब्लिक स्कूल में एकत्रित हुए। जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को कार्यकर्ताओं ने खून से पत्र लिखकर आरक्षण की गुहार लगाई।

निषाद पार्टी के प्रदेश महासचिव डॉ. शिखर अग्रवाल ने बताया कि पूरे उत्तर प्रदेश में खून से कार्यकर्ताओ ने पत्र लिखे है, जिनको एकत्रित करके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी मछुआ आरक्षण जल्दी से जल्दी लागू कराने की भी मांग कर रही है।


जिलाध्यक्ष नरेश कश्यप ने बताया कि निषाद पार्टी ने अब ठान लिया है कि चाहे जान ही देनी पड़ जाए किन्तु निषाद समाज को आरक्षण दिलाकर ही रहेंगे। इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष दलजीत कश्यप , जितेंद्र कश्यप, रवि लोधी, जीवन कश्यप, सुरेश कश्यप, उदयराज कश्यप, राजेश्वरी देवी, सुनीता कश्यप आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे

संविधान में लिखने के बावजूद नहीं किया जा रहा लागू-डॉ शिखर

निषाद पार्टी के प्रदेश महासचिव डॉ शिखर अग्रवाल ने बताया कि संविधान में अनुसूचित जातियों की सूची में 66वें क्रमांक पर निषाद आरक्षण लिखा हुआ है, निषादों व उसकी पर्यायवाची/ उपजातियों के लिये आरक्षण लागू नही किया जा रहा है। निषाद समाज गरीबी, भुखमरी, बेगारी, लाचारी का शिकार होता जा रहा है। निषादों के लिये संविधान के अनुसार अनुसूचित जाति का आरक्षण लागू किया जाना चाहिये।

Shashi kant gautam

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