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गोल्ड मेडलिस्ट का हाल देख रो देंगे आप, टायर में पंक्चर और रुई धुन रही बुलंदशहर में नेशनल बॉक्सर प्रियंका

Bulandshahr News: यूपी के बुलंदशहर (Bulandshahr) की रहने वाली प्रियंका लोधी बॉक्सिंग में राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी होने के बावजूद आज परिवार का भरण पोषण करने के लिये टायर में पंक्चर और रुई धुनने को मजबूर है।

Sandeep Tayal
Published on: 8 Nov 2021 3:36 PM GMT
Bulandshahr: Puncture in tyre, national boxer Priyanka has won gold medal.
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बुलंदशहर: नेशनल सब जूनियर बॉक्सर प्रियंका लोधी

Bulandshahr News: यूपी के बुलंदशहर (Bulandshahr) में बॉक्सिंग (boxing) के रिंग में प्रतिद्वदियों को मुक्के से धुनने वाली नेशनल सब जूनियर बॉक्सर प्रियंका लोधी (National Sub Junior Boxer Priyanka Lodhi) परिवार का भरण पोषण करने के लिये टायर में पंक्चर और रुई धुनने को मजबूर है, राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी होने के बावजूद उसे कोई सरकारी मदद नहीं मिल सकी। नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन (National Boxing Champion) प्रियंका लोधी ओलम्पिक (Olympics) खेलने की चाह रखती है और सरकार से परिवार को आर्थिक मदद व खुद को बेहतर कोचिंग की गुहार लगा रही है।

प्रियंका लोधी ( Priyanka Lodhi) बुलंदशहर के ही एक कन्या इंटर कॉलेज में कक्षा 11 की छात्रा है। प्रियंका लोधी ने बताया कि 11 अक्टूबर 2021 को बालिका सब जूनियर 50 किलो भार वर्ग में गोवा में आयोजित नेशनल बॉक्सिंग कंपटीशन में उत्तर प्रदेश की तरफ से प्रतिभाग किया था और तमिलनाडु की प्रतिद्वंद्वी को हराकर गोल्ड मेडल जीता था। इससे पूर्व प्रियंका मंडल और स्टेट लेवल पर भी मेडल जीत चुकी है।

बुलंदशहर के गांव मिर्जापुर में रहने वाली

प्रियंका व उसके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। प्रियंका भी अपने पिता बिजेंद्र सिंह (Bijendra Singh) के साथ उनके काम में हाथ बटाती है, बाइक में पंक्चर लगाती है, सर्दियों में रुई धुनने की मशीन में रुई धुनती है, तब जाकर दो वक्त की रोटी मयस्सर हो पाती है। प्रियंका ने बताया कि पांच बहनें एक छोटा भाई है, घर में आय के स्रोत नहीं है, ऐसे हालात में पिता का हाथ बटाकर पंक्चर लगाना उसकी मजबूरी है।



पंक्चर लगाकर प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग को जुटाये पैसे

आज जब हमारी टीम बुलंदशहर के गांव मिर्जापुर पहुंची तो वहां बालिका सब जूनियर 50 किलो भार वर्ग की गोल्ड मेडलिस्ट (gold medalist) को पंक्चर लगाते व रुई धुनते देख हतप्रभ रह गई, प्रियंका ने बताया कि यदि सरकार हमारी मदद करें, बेहतर कोचिंग दिलाए, तो वह ओलंपिक में भारत का नाम रोशन करने की क्षमता रखती है। प्रियंका बताती है कि अभी तक निजी स्तर पर कोचिंग की और मंडल राज्य में राष्ट्रीय स्तर पर बॉक्सिंग कंपटीशन में प्रतिभाग किया सभी में पंक्चर लगाकर खर्चे के लिए पैसे जुटाए।

प्रियंका बेटी नहीं बेटा है: बिजेंद्र सिंह

बिजेंद्र सिंह व उनकी पत्नी लज्जा की मानें तो प्रियंका उनकी बेटी नहीं बेटा है और बेटों की तरह ही पालन पोषण किया है। बेटी में बॉक्सिंग की प्रतिभा देख उसे बॉक्सिंग की कोचिंग कराई। ग्रामीणों का भी मानना है कि नेशनल चैंपियन सरकारी इमदाद से महरूम है यदि सरकारी मदद मिले तो गांव की बेटी देश का दुनिया में नाम रोशन कर सकती है।

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Shashi kant gautam

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