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Bulandshahr News: भारत के बाद अब दुनिया में बजेगा बुलंदशहर की विलायती गाजर के स्वाद का डंका
Bulandshahr News: सुभाष देशवाल ने कृषि की नवीन तकनीकों का इस्तेमाल कर विलायती गाजर का बुलंदशहर में एम्पायर खड़ा किया है।
Bulandshahr News: कर्नल से किसान बने सुभाष देशवाल (Subhash Deshwal) ने कृषि वैज्ञानिकों व कृषि की नवीन तकनीकों का इस्तेमाल कर विलायती गाजर (Carrot) का बुलंदशहर (Bulandshahr) में ऐसे एम्पायर खड़ा किया वो कैरट किंग ऑफ इंडिया (Carrot King of India) बन चुके है और अब सुभाष देशवाल प्रधानमंत्री संपदा योजना से मिलने वाली 26 करोड़ की राशि से लगने वाले प्रोजेक्ट के बाद बुलंदशहर की विलायती गाजर व सब्जियों के स्वाद का दुनिया भर में डंका बजायेंगे।
जानिए कर्नल से व्यवसायिक किसान बनने का सफर
कर्नल सुभाष देशवाल हरियाणा के रहने वाले है, परिवार जय जवान, जय किसान के नारे में विश्वास रखता है। प्रारंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल करनाल से प्राप्त करने के बाद एनडीए खण्डवाया और फिर आईएमए में की। बड़े भाई 1971 के युद्ध में शहीद हो गये थे, शिक्षा ग्रहण करने के बाद फ़ौज में गये, पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में हुई और वर्ष 2006 में रक्षा मंत्रालय से कर्नल के पद से सेवानिवृत्ति मिली। आज भी छोटा पुत्र कैप्टेन सौरभ देशवाल एनएसजी में तैनात है।
ऐसे शुरू किया कृषि व्यवसाय
कर्नल से व्यवसायिक किसान बने सुभाष देशवाल बताते है कि खेती सबसे फायदे का काम है, खेती को कारोबार के रूप में डेढ़ दशक पूर्व सिकंद्राबाद में रहने वाले अपने मित्र लाल कृष्ण यादव के साथ मिलकर शुरू किया था। वर्ष 2001 में कृषि वैज्ञानिकों से राय लेकर, नवीन कृषि तकनीकों का प्रयोग कर लगभग 2 एकड़ भूमि लीज पर लेकर सब्जियों के उत्पादन का कार्य शुरु किया था , अलग अलग तरह की सब्जियों का उत्पादन किया, मगर विलायती गाजर या Nantes carret में अच्छी आमदनी हुई, तो विलायती गाजर पर ध्यान केंद्रित कर दिया।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक जा रही विलायती गाजर
कैरट किंग ऑफ इंडिया सुभाष देशवाल ने बताया कि विलायती गाजर उपभोक्ताओं को पसंद आयी, भारत में कश्मीर से कन्या कुमारी तक हर शहर में बेचा जा रहा है, दूर दराज के इलाकों में रेफ्रिजरेटेड वाहनों से विलायती गाजर व सब्जियां भेजी जाती है, जिससे हौसला बढ़ा, अब 1000 एकड़ में विश्वास के आधार पर आधारित कॉन्टेक्ट फार्मिंग से 50 हज़ार टन विलायती गाजर का उत्पादन कर देश भर की बड़ी सब्जी व फल मंडियों, दवा, सॉस, बेबी फ़ूड, नूडल्स कंपनियों, फूड सप्लीमेंट निर्माता कंपनियों को बेचा जाता है।
1000 लोगों को मिल रहा रोजगार
बुलंदशहर के सिकंदराबाद में स्थित सन साइन वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में 250 किसानों के साथ काम कर रहे है, 500 किसान इंडिपेंडेंट काम कर रहे है। जब कि फार्मिंग लेबर, पल्लेदार, ट्रांसपोर्ट व कंपनी स्टाफ सहित लगभग 1000 लोगो को रोजगार भी मुहैया हो रहा है।
ऐसे करते है कॉन्टेक्ट फार्मिंग
सुभाष देशवाल ने बताया कि इलाके के लगभग 250 किसानों की भूमि विश्वास के आधार पर लीज पर लेकर कृषि व्यवसाय कर रहे है। सैकड़ो किसान अपनी फसल हमे देते है, अच्छी उत्पादकता के लिये कंपनी द्वारा ही उन्नत किस्म के बीज, खाद, निराई, गुड़ाई, आदि करायी जाती और फसल की प्रोसेसिंग के बाद फसल का मुनाफा लागत मूल्य काटकर सीधे जुड़े किसानों को उनके बैंक खातों में भेज दिया जाता है। आमंदनी बढ़ाने के लिये सबसे पहले नवीन तकनीकों व उन्नत बीजो से उत्पादन लागत कम की गयी फिर अच्छी दरों पर बिक्री के लिये सेलिंग सिस्टम को दुरुस्त किया और करोड़ो का कारोबार करके बिलायती गाजर का कारोबार स्थापित हुआ।
कैरट कैपिटल बना सिकंदराबाद
सिकंदराबाद देश में कैपिटल ऑफ कैरट के रूप में स्थापित हो रहा है यहां इलाके के लगभग 500 अन्य किसान भी गाजर का उत्पादन करने लगे हैं और क्षेत्र में लगभग एक लाख टन गाजर का उत्पादन होता है। विलायती गाजर को रखने के लिये 14000 मीट्रिक टन क्षमता का ओटोमेटिक कोल्ड स्टोर प्लांट है, दूर दराज के क्षेत्रों में रेफ्रिजरेटेड वाहनों मैं लोड कर गागरो को पहुंचाया जाता है।
विश्व में भारत की गाजर, सब्जियों के स्वाद का बजेगा डंका
इंफ्रास्ट्रक्चर नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड व अन्य वित्तीय संस्थानों से प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए वित्तीय सहायता मिली थी, अब प्रधानमंत्री संपदा योजना के तहत मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग से 26 करोड़ का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ है, जिसमे 8.43 करोड़ की सब्सिडी है। प्रोजेक्ट चालू होने के बाद 100 और लोगों को रोजगार मिलेगा, 100 टन गाजर का उत्पादन प्रति दिन बढ़ सकेगा, 20 टन अन्य सब्जियों का फ्रोजन किया जा जाएगा। बाकायदा विलायती गाजर के साथ साथ अन्य सब्जियां भी प्रोसेसिंग व पैकिंग के बाद दुनिया भर में भेजी जायेंगी और विश्व के अनेक देशों के लोग भारत के बुलंदशहर की गाजर व सब्जियों का स्वाद ले सकेंगें।