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BSP Mission 2022: यूपी चुनाव 2022 पर टिकी बसपा की उम्मीदें, पार्टी के सामने अस्तित्व का खतरा

BSP Mission Up Election 2022: सीटों के साथ ही बसपा का वोट प्रतिशत भी लगातार गिरता चला आ रहा है। मसलन,2007 में जहां बसपा का वोट प्रतिशत यूपी में 30.43 रहा। वहीं 2012 के चुनाव में घटकर 25.95 हो गया।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Shweta
Published on: 1 Dec 2021 3:42 PM IST
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कॉन्सेप्ट फोटो (फोटोः सोशल मीडिया)

BSP Mission Up Election 2022: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की मानन्द बसपा भी अपने बहुत ही बुरे दौर से गुजर रही है। 2022 का चुनाव बसपा (BSP UP Vidhan Sabha Election 2022) के अस्तित्व का फैसला करेगा। इस चुनाव में भी अगर बसपा को अपेक्षित कामयाबी नही मिल पाईं तो उसके लिए आगे की राह बहुत क‌ठिन होगी। दरअसल,साल 2007 में यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) का ग्राफ़ उसके बाद लगातार गिरता ही गया है। साल 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जहां 206 सीटें (Bahujan samaj party 2017 mein vidhan sabha seat) मिली थीं, वहीं साल 2012 में महज़ 80 सीटें मिलीं। साल 2017 में यह आंकड़ा 19 पर आ गया. यही नहीं, साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें राज्य में एक भी सीट हासिल नहीं हुई।

सीटों के साथ ही बसपा का वोट प्रतिशत भी लगातार गिरता चला आ रहा है। मसलन,2007 में जहां बसपा का वोट प्रतिशत यूपी में 30.43 रहा। वहीं 2012 के चुनाव में घटकर 25.95 हो गया। जो कि 2017 के चुनाव में घटकर 22.23 पर आ गया। इस दौरान बीएसपी का न सिर्फ़ राजनीतिक ग्राफ़ गिरता गया, बल्कि उसके कई ऐसे नेता तक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में चले गए जो न सिर्फ़ क़द्दावर माने जाते थे बल्कि पार्टी की स्थापना के समय से ही उससे जुड़े थे। जो बचे थे उनमें से कई को मायावती ने खुद निकाल दिया। लगातार टूट की शिकार हो रही बसपा की हालत यह है कि वर्ष 2017 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (bsp mission up election 2022) में 403 में से बसपा ने 19 सीटें जीती थीं।

निष्कासन और पार्टी छोड़ने की वजह से विधानसभा में बसपा के अब महज पांच विधायक ही बचे हैं, जिनमें से एक मुख्‍तार अंसारी (Mukhtar Ansari) जेल में हैं। जीते हुए 19 में विधायकों में से असलम राईनी, असलम अली चौधरी, मुज्तबा सिद्दिकी, हाकिल लाल बिंद, हरगोविंद भार्गव, सुषमा पटेल, वंदना सिंह, लालजी वर्मा, रामचल राजभर, रामवीर उपाध्याय, अनिल सिंह, शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली अब बसपा (Bahujan samaj party Up Election) में नहीं हैं। जबकि आजमगढ़ के दीदारगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे सुखदेव राजभर का इसी साल 18 अक्‍टूबर को लखनऊ में निधन हो गया था। इस तरह उत्‍तर प्रदेश की विधानसभा में बसपा (Bsp mein vidhayak) के अब मात्र पांच विधायक बचे हैं। इससे ज्‍यादा तो सांसद (10) है। विधायकों की वर्तमान संख्या के लिहाज से तो अब बसपा से अधिक विधायक अपना दल (एस) और कांग्रेस के हैं।

यही नही नकुल दुबे, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, लालजी वर्मा, रामवीर उपाध्याय, ठाकुर जयवीर सिंह, सुधीर गोयल, स्वामी प्रसाद मौर्य, वेदराम भाटी, चौधरी लक्ष्मी नारायण, राकेश धर त्रिपाठी, बाबू सिंह कुशवाहा, फागू चौहान, दद्दू प्रसाद, राम प्रसाद चौधरी, धर्म सिंह सैनी, राम अचल राजभर, सुखदेव राजभर और इंद्रजीत सरोज जैसे नेता जिन्होंने बसपा को आगे बढ़ाने में कभी बड़ी बड़ी भूमिका निभाई थी। इनमें से एक दर्जन से अधिक नेता दूसरे दलों में हैं। जैसा कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी अब कांग्रेस में हैं। ठाकुर जयवीर सिंह, वेदराम भाटी, स्वामी प्रसाद मौर्य, चौधरी लक्ष्मी नारायण, फागू चौहान और धर्म सिंह सैनी भारतीय जनता पार्टी में चले गये। बाबू सिंह कुशवाहा भी पहले भाजपा गये थे लेकिन अब वे उन्‍होंने जन अधिकार पार्टी के नाम से नई पार्टी बना ली है। इंद्रजीत सरोज और राम प्रसाद सैनी जैसे नेता अब सपा में हैं। बृजेश पाठक भी कभी बसपा के कद्दावर नेता जो अब भाजपा की सरकार में मंत्री हैं।

जाहिर है कि 2022 के चुनाव (UP Election 2022) में बीएसपी के सामने सबसे बड़ा संकट अस्तित्व बचाने का है। राजनीतिक विश्लेषकों का तो यहां तक कहना है कि बीएसपी अब वो (up vidhan sabha chunav 2022) पार्टी नही रही है जो कि जिसको चाहे दलित वोट ट्रांसफ़र करा दे। ऐसे चुनाव विश्लेषक 2019 के लोकसभा चुनाव का उदाहरण देते हैं। जिसमें सपा के साथ बसपा का गठबन्धन था। लेकिन इसके बावजूद सपा (Bsp Target up vidhan Sabha 2022) को अपेक्षिक सफलता नही मिल सकी थी। यही नही पिछले चुनाव यह साबित करते हैं कि दलित मतों में बीजेपी सेंध लगा चुकी है। बचा-खुचा दलित वोट जो है उस पर कांग्रेस पार्टी और भीम आर्मी की निगाह लगी हुई है।

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