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UP मे बिजली संकट: बढ़ती बिजली कटौती बन सकती है कानून व्यवस्था के लिए चुनौती
Coal Crisis In Meerut: बढ़ता बिजली संकट क्षेत्र की कानून व्यवस्था के लिए भी संकट खड़ा कर सकता है।
Coal Crisis In Meerut: कोयले की कमी से उत्तर प्रदेश में चल रहा बिजली संकट (UP Me Bijali Sankat) आने वाले दिनों में और भीषण हो सकता है। पावर कॉरपोरेशन (Power Corporation) के अधिकारियों के मुताबिक यदि जल्द ही कोयले (Coal Crisis) की सप्लाई में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में बिजली संकट (Bijli Sankat Today News) और अधिक बढने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है।
बिजली संकट से यूपी (Electricity Crisis in UP पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती
वहीं पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि कहीं बढ़ता बिजली संकट क्षेत्र की कानून व्यवस्था के लिए भी संकट खड़ा ना कर दे। क्योंकि बढ़ते बिजली संकट (Bijli Sankat ko lekar Logo main gussa) को लेकर लोंगो में आक्रोश व्याप्त होने लगा है। ऐसे में जबकि दीवाली व दशहरा (Festival seasons) के पर्व नजदीक हैं। लोंगो का आक्रोश कभी भी सड़क पर दिख सकता है। अगर ऐसा हुआ तो पुलिस और प्रशासन के लिए नई चुनौती खड़ी हो जाएगी जो कि पहले ही किसान आंदोलन (kisan andolan) व राजनैतिक दलों के धरना-प्रदर्शनों (dharna pradarshan) से जूझ रहा है। हालांकि, पीवीवीएनएल (PVVNL) मेरठ के एमडी अरविंद मल्लप्पा बंगारी दावा करते हैं कि पश्चिमांचल ( Paschimchal main bijli sankat) पर बिजली संकट का अभी ज्यादा असर नहीं है। अरविंद मल्लप्पा बंगारी (Arvind Mallappa Bangari) का यह भी कहना है कि यह जो बिजली संकट (Bijli sankat latest news) आया है , बहुत जल्द ही खत्म हो जाएगा। पश्चिमी क्षेत्र में वर्तमान बिजली सकंट के बारे में पूछने पर उनका कहना है कि मांग और उपलब्धता में पहले के मुकाबले थोड़ी कमी आने से ग्रामीण क्षेत्र की बिजली आपूर्ति का शेड्यूल थोड़ा प्रभावित हुआ है।
ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती (Bijali Katauti) बढ़ने लगी
पीवीवीएनएल मेरठ के एमडी कुछ भी कहें, लेकिन हकीकत यही है कि उमस और बिजली (Bijli ki mang) की मांग बढ़ने की वजह से मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Electricity Crisis in UP) के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी इलाकों में बिजली की कटौती बढ़ने लगी है। इसका सबसे ज्यादा असर सहारनपुर और मुरादाबाद जोन में देखा जा रहा है। नलकूपों की बिजली आपूर्ति को भी झटका लग रहा है। ग्रामीण इलाकों में घोषित रूप से 4 से 5 घंटे की कटौती हो रही है, तो शहरी उपभोक्ताओं को भी अघोषित रूप से घंटों तक बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है। हालात इसी तरह रहे तो शहरों में भी घोषित कटौती करनी पड़ सकती है। प्रदेश में मौजूदा समय में बिजली की मांग 20,000 से 21,000 मेगावॉट के बीच है। वहीं सप्लाई सिर्फ 17,000 मेगावॉट तक हो पा रही है। हालात इसी तरह रहे तो शहरों में भी घोषित कटौती करनी पड़ सकती है। सूत्रों के मुताबिक सबसे अधिक बिजली कटौती पूर्वांचल और मध्यांचल के ग्रामीण इलाकों में हो रही है।
18 घंटे के शेड्यूल से दो से तीन घंटे बिजली कटौती (Bijali Katauti)
पश्चिमी उत्तर प्रदेश( Uttar Pradesh Today News) की बात करें तो पीवीवीएनएल (PVVNL) के करीब 70 लाख बिजली उपभोक्ताओं की बिजली की मांग 6500 से 7000 मेगावाट तक है। लेकिन इन दिनों प्रदेश में चल रहे बिजली संकट (Electricity Crisis in UP) के चलते उपलब्धता में करीब दस फीसदी तक की कमी आ गई है। इस कमी का असर कंपनी के अंतर्गत आने वाले 14 जनपदों में से सात जनपदों पर पड़ना शुरू हो गया है। बिजली (Bijli ki kami) की कमी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के 18 घंटे के शेड्यूल से दो से तीन घंटे कटौती की जा रही है। बिजली संकट के चलते कंपनी के सात जनपदों सहारनपुर (Saharanpur) , मुरादाबाद (Moradabad) , संभल (Sambhal) , रामपुर (Rampur) , अमरोहा (District Amroha) और बिजनौर (Bijnor) में दो से तीन घंटे की रोस्टिंग शुरू हो गई है। इन जिलों के गांवों को 18 घंटे की बजाय 15 से 16 घंटे ही बिजली दी जा रही है। इसके अलावा नलकूपों को 10 घंटे तक ही बिजली दी जा रही है। विभागीय अफसरों के मुताबिक बिजली चोरी वाले इलाकों में बिजली कटौती अधिक की जा रही है। क्योंकि जितनी ज्यादा बिजली आपूर्ति होती है उतनी ही बिजली चोरी से कंपनी को राजस्व की चपत लगती है।