Maha Shivratri 2022: दो साल बाद कांवड़ यात्रा शुरु होने से कांवड़ियों में जोश, इस मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना होती है पूर्ण

Meerut: महाशिवरात्रि पर कोरोना का ग्रहण नहीं होने से भोलों में जबरदस्त उत्साह है। कल से हरिद्वार से लौट रहे भक्तों से हाई वे गुलजार दिखा।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Vidushi Mishra
Published on: 28 Feb 2022 2:44 PM GMT
augharnath temple
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औघडऩाथ मंदिर (फोटो-सोशल मीडिया)

Meerut: महाशिवरात्रि पर कोरोना का ग्रहण नहीं होने से भोलों में जबरदस्त उत्साह है। कल से हरिद्वार से लौट रहे भक्तों से हाई वे गुलजार दिखा। शहर के बेगमपुल चौराहे और जीरोमाइल पर विश्राम के लिए भक्त बैठे नजर आए। कई भोले भावातिरेक में नृत्य करते देखे गए। इनमें से अधिकांश जेवर, नोएडा और बुलंदशहर के हैं।

एक मार्च को सुबह अपने अपने क्षेत्र में जलाभिषेक के लिए भक्तों का रेला बढ़ता जा रहा है। कई भक्तों ने बताया कि वह सावन की शिवरात्रि में भी जल लेकर आते हैं। कोरोना के चलते अनुमति नहीं होने से नहीं जा सके थे। इस बार महाशिवरात्रि में भोले का गंगाजल से अभिषेक करेंगे।


शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़

खास बात यह है कि इस बार फाल्गुन महीने में भी कांवड़ियों की संख्या पिछले सालों की अपेक्षा काफी है। इसका कारण दो साल बाद कांवड़ का शुरु होना है। दरअसल,पिछले दो सालों में कोरोना मामारी के कारण कावंड़ यात्रा नही हो सकी थी। 2021 के सावन महीने में कोरोना के मामले घटे थे,मगर उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा कराने से साफ इंकार कर दिया था। इसलिए यात्रा नही हो सकी।

मेरठ की बात करें तो यहां यूं तो गोल मंदिर, बिल्वेश्वर महादेव, पांडवेश्वर मंदिर, भोलेश्वर मंदिर व अन्य शिव मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ रहती है। ,लेकिन सबसे अधिक भीड़ मेरठ के ऐतिहासिक औघड़नाथ काली पल्टन मंदिर में रहती है।

औघडऩाथ मंदिर (Augharnath Temple) समिति के महामंत्री सतीश सिंघल ने बताया कि एक मार्च को सुबह पांच बजे से मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खुल जाएंगे। प्रवेश हमेशा की तरह गरुड़ द्वार से और निकास नंदी द्वार से होगा। पुलिस प्रशासन द्वारा भी मंदिर में विशेष सुरक्षा के लिए इंतजाम कर दिए गए हैं। मंदिर में प्रवेश के लिए दो लाइन होंगी।विशेष बैरिकेडिंग के बीच भक्त भोले बाबा का जलाभिषेक कर सकेंगे। सुबह पांच बजे से जलाभिषेक की प्रक्रिया शुरू होगी जो रात्रि तक चलेगी।


बताते चलें कि औघड़नाथ मंदिर का इतिहास 10 मई 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2 जनवरी को औघड़नाथ मंदिर में भोले बाबा के दर्शन करने आये थे। वह मंदिर परिसर में 10 मिनट तक रुके थे।

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में पड़ी नींव


मेरठ छावनी में बना बाबा औघड़नाथ का मंदिर वेस्‍ट यूपी के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ब्रिटिश आर्मी में भारतीय सैनिकों को काली पल्टन कहा जाता था। इसी मंदिर के आसपास भारतीय सैनिक रहते थे। इसके चलते इस मंदिर को काली पल्टन मंदिर के नाम से पुकारा जाने लगा।


कहा जाता है कि सन 1857 के दौर में काली पल्टन के सैनिक औघड़नाथ मंदिर परिसर के कुएं का पानी पीने आते थे। मंदिर के मुख्य पंडित ने प्रतिबंधित कारतूस (जिसमें गोवंश की चर्बी होने का आरोप था) के इस्तेमाल का विरोध किया था। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने इन कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया था। यहीं से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की नींव पड़ी थी।

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। सोमवार को इस मंदिर में भक्‍तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर के मुख्य पुजारी श्रीधर त्रिपाठी ने बताया कि महाशिवरात्रि में रात्रि में भजन कीर्तन और जागरण करना चाहिए।

इसलिए मंदिर में रात्रि में चार प्रहर की आरती होगी और रातभर मंदिर के कपाट खुले रहेंगे। महामंत्री सतीश सिंघल ने बताया कि भोले की झांकी और भजनों का कार्यक्रम करने की योजना बनाई जा रही है, यह मंगलवार को शाम होगा।

Vidushi Mishra

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