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Meerut News: पूर्व सांसद शाहिद अखलाक, जायें तो जायें कहां

पूर्व सांसद शाहिद अखलाक ने सपा में जाने के दिए संकेत

Sushil Kumar
Published on: 19 Oct 2021 5:22 PM GMT
Shahid Akhlaq
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पूर्व सांसद शाहिद अखलाक (फोटो-न्यूजट्रैक)

Meerut News: पिछले कुछ दिनों से बसपा के पूर्व सांसद शाहिद अखलाक (Former MP Shahid Akhlaq) बहुत चर्चा में हैं। चर्चा उनकी 'बार्गेनिंग' को लेकर है। कभी वों अपने अधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर ओवैसी का फोटो लगाकर उनके प्रति निष्ठा दिखाकर ओवैसी की पार्टी में जाने की चर्चाओं को हवा देते दिखते हैं तो कभी सपा मुखिया अखिलेश यादव से हाथ मिलाते अपनी तस्वीर लगाकर सपा में जाने की चर्चाओं को हवा देने लगते हैं।

दरअसल, मेरठ के बसपा के इस पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक के शायद इतने बुरे दिन पहले कभी नहीं थे। बसपा के टिकट पर पहले वर्ष 2000 में मेरठ के महापौर फिर 2004 में सांसद का चुनाव जीतने वाले शाहिद अखलाक (Shahid Akhlaq) का मेरठ की मुस्लिम राजनीति में जलवा 2007 तक बरकरार रहा। लेकिन महापौर के बाद सांसद का चुनाव जीते के बाद शाहिद अखलाक (kaun hai shahid akhlaq) आ्रम जनता से कटने लगे। .यहंा तक कि उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से खासकर दलित कार्यकर्ताओं से दूरी बनानी शुरु कर दी। नतीजन,उनका असर धीरे-धीरे कम होता दिखने लगा।। 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे। लेकिन बसपा ने दलित कार्यकर्ताओं की शिकायत को मद्देनजर रखते हुए उनका टिकट काट दिया। शाहिद अखलाक ((Shahid Akhlaq)) को इस तरह अपमानित कर बसपा का टिकट काटना बहुत बुरा लगा।


बसपा नेतृत्व को अपनी ताकत दिखाने के लिए ही 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले शाहिद अखलाक (kaun hai shahid akhlaq) ने सेक्यूलर एकता पार्टी बनाई। शायद उन्हें यह लगता था कि मुस्लिम समाज में उनका अच्छा-खासा दबदबा है। इसी मुगालते में शाहिद अखलाक अपनी पार्टी के बैनर पर 2009 में लोकसभा का चुनाव लड़े। लेकिन उन्हें मात्र ४.६८ फीसदी वोट ही मिल सके। इस करारी हार के बाद शाहिद अखलाक को अपनी राजनीतिक हैसियत समझ में आ गई सो,एक बार फिर शाहिद अखलाक लौट के बुद्धु घर को आये की तर्ज पर बसपा लौट आये। 2014 के लोकसभा चुनाव में फिर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन भाजपा के राजेन्द्र अग्रवाल ने उन्हें लग भग दो लाख बत्तीस हजार वोट से हरा दिया।

इसके बाद 28 सितंबर 2016 को शाहिद अखलाक ((Shahid Akhlaq)) ने तत्कालीन दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री आशु मलिक के साथ लखनऊ जाकर सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। उनकी उस मीटिंग का फोटो व्हाट्सएप पर सार्वजनिक हुआ, तो बसपाइयों में हड़कंप मच गया। बसपा नेताओं ने यह फोटो सुप्रीमो मायावती के दरबार में पेश कर दी। इसके बाद शाहिद और उनके भाइयों को पार्टी से निकाल दिया गया। तर्क दिया गया कि शाहिद खुद को राज्यसभा भेजने की जिद कर रहे थे और दबाव बना रहे थे।

बसपा से निकाले जाने के बाद से शाहिद अखलाक राजनीतिक हाशिये पर चल रहे थे। हालांकि राजनीतिक हाशिये से बाहर निकलने के लिए शा‌हिद अखलाक ने अपनी पुरानी बसपा में वापिस लौटने की तो कई बार कोशिश की ही अन्य दलों यानी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल दलों से भी सम्पर्क साधा। सभी उन्हें दल में शामिल करने को तो तैयार हैं लेकिन उनकी शर्तो पर नही बल्कि अपनी शर्तो पर। बहरहाल,पिछले करीब एक दशक से राजनीतिक हाशिये पर पड़े तय नही कर पा रहे हैं वें आखिर जायें तो जायें कहां।

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Raghvendra Prasad Mishra

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