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Meerut News: कोयले के गंभीर संकट से जूझ रहे उद्योग, सरकार से लगाई मदद की गुहार

Meerut News: उद्योग संगठन एनसीआर पेपर मिल्स और इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारियों की मानें तो जिन औद्योगिक इकाइयों में पहले 20 दिन तक का कोयला स्टॉक में रहता था। वहां अब कोयले का स्टॉक सिमट कर एक दिन का रह गया है।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Shweta
Published on: 26 Oct 2021 6:06 PM IST
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कॉन्सेप्ट फोटो (फोटो साभारः सोशल मीडिया)

Meerut News: मेरठ (Meerut) समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश स्थित उद्योग कोयले के गंभीर संकट (uttar pradesh me koyla sankat) से जूझ रहे हैं। हालत यह है कि कोयला संकट (koyla sankat) के चलते पेपर मिलों के साथ अन्य लघु उद्योग धंधे बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं। उद्योग संगठन एनसीआर पेपर मिल्स और इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारियों की मानें तो जिन औद्योगिक इकाइयों में पहले 20 दिन तक का कोयला स्टॉक में रहता था। वहां अब कोयले का स्टॉक सिमट कर एक दिन का रह गया है। जाहिर है कि जिस दिन कोयला नही मिलेगा, उस दिन कोयले पर निर्भर फैक्ट्रियां (coal crisis factories closed) बंद हो जाएंगी।

एनसीआर पेपर मिल्स और इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (NCR Paper Mills and Indian Industries Association coal crisis) ने कोयले के इस संकट के बीच कोयला मंत्रालय (ministry of coal) को पत्र लिख कर मदद की गुहार लगाते हुए मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश स्थित उद्योगों को कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। कई इकाइयों के पास ईंधन का भंडार नहीं है। उद्यमियों का कहना है कि कोयले के घटते स्टॉक के चलते उत्पादन की रफ्तार धीमी करनी पड़ रही है।

पत्र में कहा गया है कि जहां छोटे और मझोले उद्योगों की परेशानी (medium industries trouble due to coal crisis) दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, वहीं पेपर मिलें, स्टील, एल्युमीनियम और अन्य बड़े उद्योग एक ऐसे स्तर पर काम कर रहे हैं, जहां यही स्थिति जारी रही, तो उनका परिचालन लाभप्रद नहीं रह जायेगा. चूंकि ये लघु और मझोले उद्योगों वाली ये इकाइयाँ लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं, इसलिए एसोसिएशन ने आशंका जताई है कि कोयले की कमी की स्थिति इन लोगों का रोजगार प्रभावित कर सकती है।

एनसीआर पेपर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविन्द अग्रवाल (NCR Paper Mills Association President Arvind Agarwal) कहते हैं मेरठ और मुजफ्फरनगर की 32 पेपर मिलों के सामने कोयले का संकट (Meerut and Muzaffarnagar 32 paper mills me koyla sankat) है। टरबाइन से बिजली पैदा की जाती है। ऐसे में कोयला अधिक लगता है। 20 दिन के बजाय अब कोयला का स्टॉक एक दिन पर सिमट कर रह गया है। जल्दी ही संकट दूर नही हुआ तो मिलों के सामने बंदी के अलावा और कोई चारा नही बचेगा। उन्होंने बताया कि एसोसिशन ने राज्य सरकार से स्थानीय उद्योगों को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए एमसीएल और सीआईएल को आवश्यक निर्देश देने के लिए कोयला मंत्रालय से बातचीत करने का अनुरोध किया है।

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