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Meerut News: सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने आज लोकसभा में की मेरठ में उच्च न्यायालय की खंडपीठ बनाये जाने की मांग

मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने आज लोकसभा में The High Court and Supreme Court Judges संशोधन बिल-2021 पर चर्चा के दौरान मेरठ में उच्च न्यायालय की खंडपीठ बनाये जाने की मांग की।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Deepak Kumar
Published on: 7 Dec 2021 11:56 PM IST (Updated on: 8 Dec 2021 12:06 AM IST)
Meerut News: सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने आज लोकसभा में की मेरठ में उच्च न्यायालय की खंडपीठ बनाये जाने की मांग
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Meerut: मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजेंद्र अग्रवाल (MP Rajendra Agarwal) ने आज लोकसभा में The High Court and Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) संशोधन बिल-2021 पर चर्चा के दौरान मेरठ में उच्च न्यायालय की खंडपीठ बनाये जाने की मांग की।

चर्चा के दौरान लोकसभा में बोलते हुए सांसद राजेंद्र अग्रवाल (MP Rajendra Agarwal) ने कहा कि विलम्ब के कारण न्याय से वंचित होने वालों की संख्या देश में बहुत अधिक है। कुल मिलाकर लगभग 4.5 करोड़ केस इस समय लंबित हैं जिनमें से 70 हजार सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में तथा लगभग 56 लाख वाद उच्च न्यायालयों (high Court) में तथा लगभग 4 करोड़ वाद अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित हैं। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों की यदि बात करें तो इनके 41 प्रतिशत केस ऐसे हैं जो 5 वर्ष से पुराने हैं तथा 21 प्रतिशत केस ऐसे हैं जो 10 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं। उन्होंने कहा कि न्याय शीघ्र मिले इसके लिए सरकारों ने उपाय किये हैं। ट्रिब्यूनल तथा विशेष न्यायालय बनाये गए हैं, फास्ट ट्रैक कोर्ट (fast track court) बनाये गए हैं परन्तु वहां भी बड़ी संख्या में केस लंबित हैं।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 8 लाख से अधिक मामले लंबित

सांसद राजेंद्र अग्रवाल (MP Rajendra Agarwal) ने कहा कि इन लंबित मामलों के कारण जहां अपराधी बचते रहते हैं। वहीं, अपराध की सजा पूरी होने के बाद भी लोग जेलों में रहने को मजबूर हैं। इस समय लगभग 5 लाख कैदी भारत की विभिन्न जेलों में हैं जिनमें दो तिहाई ऐसे हैं जिनका फैसला नहीं आया है और स्वाभाविक ही उनमे ऐसे बड़ी संख्या में हैं जो अपने अपराध की अधिकतम सजा से भी अधिक समय से जेल में हैं। उन्होंने कहा कि यदि केवल उत्तर प्रदेश तथा विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मैं बात की जाए तो उच्च न्यायालय के क्षेत्र तथा लंबित वादों की सर्वाधिक गंभीरता पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। सभी उच्च न्यायालयों के कुल लगभग 56 लाख लंबित मामलों में अकेले इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) में 8 लाख से अधिक मामले लंबित हैं।

सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य में सिर्फ इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक पीठ

सांसद राजेंद्र अग्रवाल (MP Rajendra Agarwal) ने कहा कि 24 करोड़ की जनसंख्या वाला उत्तर प्रदेश देश की सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है लेकिन यहां इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की केवल एक पीठ लखनऊ में है जिसके पास 12 जिलों का क्षेत्राधिकार है जबकि अन्य अनेक प्रदेशों में कम जनसंख्या पर भी उच्च न्यायालयों की बेंच विद्यमान है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रफल की द्रष्टि से भी बड़ा राज्य होने के कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट से पश्चिम उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों की दूरी 700 किलोमीटर से भी अधिक है, जबकि वहां से दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड सहित अन्य अनेक प्रदेशों के हाईकोर्ट अपेक्षाकृत निकट हैं।

सांसद राजेंद्र अग्रवाल (MP Rajendra Agarwal) ने कहा कि "सस्ता न्याय-सुलभ न्याय" ये सरकार की जिम्मेदारी भी है और पीड़ित वादी का अधिकार भी है। परन्तु जिन परिस्थितियों का मैंने संक्षेप में उल्लेख किया है उसमे यह संभव नहीं हो पा रहा है।

इन क्षेत्रों में बेंच स्थापित करने के लिए की गई मांग

सांसद राजेंद्र अग्रवाल (MP Rajendra Agarwal) ने निवेदन किया कि न्यायालयों की संख्या, उनका क्षेत्राधिकार इत्यादि को ध्यान में रखकर सम्पूर्ण परिस्थिति की समीक्षा किया जाना आवश्यक है। उत्तर प्रदेश के लिए तो तीन स्थानों-मेरठ, आगरा तथा गोरखपुर में बेंच स्थापित करने के लिए इनके स्थानीय माननीय सांसदों द्वारा निरंतर मांग की गई है। उन्होंने कहा कि इस द्रष्टि से उत्तर प्रदेश के मानचित्र में हाई कोर्ट तथा गोरखपुर, मेरठ सहित कुल पांच क्षेत्रों में संभावित क्षेत्राधिकार दर्शाते हुए मैंने भी एक पत्र भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू (Law and Justice Minister Kiren Rijiju) को दिया है।

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Deepak Kumar

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