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Meerut News: शहर ओडीएफ प्लस, लेकिन सार्वजनिक शौचालयों का हाल बुरा

Meerut News: मेरठ जनपद को पिछले वर्ष ओडीएफ प्लस-प्लस का प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है। लेकिन मेरठ शहर के सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव करने वाला कोई नही है।

Sushil Kumar
Published on: 26 Dec 2021 10:05 AM GMT
Meerut News: The city is ODF plus, but the condition of public toilets is bad
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मेरठ: सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों का हाल  

Meerut News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut News) में मेरठ नगर निगम (Meerut Municipal Corporation) द्वारा पिछले कुछ सालों में करोंड़ों रुपये खर्च कर 'स्वच्छ भारत मिशन' ('Clean India Mission') के तहत घरों से लेकर सार्वजनिक स्थानों पर शौचालयों तो बना दिए, लेकिन इन सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव करने वाला कोई नही है। खासबात यह है कि मेरठ नगर क्षेत्र को खुले में शौच मुक्त होने पर गत वर्ष ही ओडीएफ प्लस-प्लस का प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है।

मेरठ शहर के प्रमुख इलाकों जैसे मेडिकल कालेज, बच्चा पार्क, गढ़ रोड, हापुड़ अड्डा, दिल्ली रोड, गंगानगर आदि में बने शौचालय गंदगी से अटे पड़े हैं। हैरत और अफसोस की बात यह है कि यह सभी वें इलाके हैं जहां से पुलिस व प्रशासन के बड़े–बड़े अफसरों के साथ ही लालबत्त्ती वाले कई बड़े नेता कई-कई बार गुजरते हैं।

गंगानगर में आईआईएमटी यूनिवर्सिटी के पास स्थित सार्वजनिक शौचालय के आसपास रहने वाले लोंग कहते हैं कि जब से निर्माण हुआ है तब से कोई देखने वाला नही आया। जबकि इसके पास ही केन्द्रीय राज्यमंत्री लोकेश प्रजापति के अलावा प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री दिनेश खटीक समेत कई भाजपा नेताओं के आवास व कैंप ऑफिस हैं।

आबादी के हिसाब से सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों की संख्या पर्याप्त नहीं

यहां भी गौरतचलब है कि निगम क्षेत्र की आबादी के हिसाब से सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों (community and public toilets) की संख्या पर्याप्त नहीं है। बाजार और भीड़भाड़ वाले इलाकों में शौचालयों की मांग लगातार हो रही है। गौर करने वाली बात ये भी है कि जो सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय बनाए गए। उनमें से 50 फीसद का संचालन न के बराबर है।


नगर निगम अंतर्गत कुल 45 सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय हैं। जिनमें से 25 का संचालन प्राइवेट एजेसियों के हाथ में हैं। इनमें आठ पिक शौचालय हैं। लगभग 20 सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों का संचालन नगर निगम के पास है। लेकिन इनमें स्थायी रूप से कर्मचारियों की तैनाती न होने के कारण इनका संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है।


शौचालयों को प्राइवेट एजेंसियों को देने की तैयारी

नगर निगम अधिकारियों ने इन शौचालयों को भी प्राइवेट एजेंसियों को देने की तैयारी की है। हालांकि अभी यह कार्य योजना कागजों पर ही है। सहायक नगर आयुक्त ब्रजपाल सिंह नगर के बदहाल सार्वजनिक शौचालयों की बावत पूछने पर इतना ही कहते हैं कि पूर्व में बने जिन शौचालयों का संचालन निगम कर रहा है उन्हें जल्द पीपीपी माडल पर प्राइवेट एजेंसियों को टेंडर के माध्यम से दिया जाएगा। सहायक नगर के अनुसार बाजार और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में जगह चिह्नित करके नए शौचालय बनाए जाएंगे। पैसे की कोई कमी नहीं है।

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Shashi kant gautam

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