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UP Election 2022: धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए कुख्यात मेरठ शहर विधानसभा सीट पर भाजपा-सपा के बीच होगी रोचक जंग
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के जनपद मेरठ शहर में चुनावी आंकड़े बताते हैं कि जब जब मुस्लिम वोटों का बटवारा हुआ तब ही भाजपा ने इस सीट पर कब्जा किया है।
Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर (Meerut City) की सीट जिले की प्रतिष्ठित सीटों में से एक हैं। साथ ही मेरठ शहर की सीट उन सीटों में शामिल हैं जहां पर वोंटो के ध्रुवीकरण (polarization of votes) का काफी असर पड़ता है। इसलिए विधानसभा-2022 (UP Election 2022 ) के चुनाव में इस सीट पर भाजपा (BJP) और सपा (Samajwadi Party) के बीच रोचक जंग के पूरे आसार हैं। जातिगत समीकरण (caste equation) की बात करें तो यहां मुस्लिम करीब 1.40 लाख, वैश्य-जैन 50 हजार, जाटव 41 हजार, ब्राह्मण 35 हजार, गुर्जर 20 हजार, पंजाबी 10 हजार, वाल्मीकि 7 हजार, सैनी व प्रजापति 5-5 हजार एवं अन्य हैं।
वैसे, इस सीट को जीतना किसी भी दल के लिए आसान नहीं रहा है। मेरठ की शहर सीट 1989 तक कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। 1989 में इस सीट पर भाजपा के डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी (Dr. Laxmikant Bajpai) ने सबसे पहले कांग्रेस का वर्चस्व तोड़ा था। उसके बाद वह 1996, 2002 और 2012 में भाजपा से ही जीत हासिल करते रहे। वर्ष 2017 के चुनावों में मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण हो जाने से शहर सीट अकेली ऐसी सीट रही जहां समाजवादी पार्टी (सपा) के रफीक अंसारी ने जीत दर्ज करवाई। उन्होंने भाजपा के कद्दावर नेता डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेयी की चुनौती को समाप्त किया था।
मुस्लिम वोटों के बंटवारे से भाजपा को फायदा
भाजपा उत्तर प्रदेश के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे लक्ष्मीकांत वाजपेयी यहां से चार बार विधायक बन चुके हैं। आंकड़े बताते हैं कि जब जब मुस्लिम वोटों का बटवारा हुआ तब ही भाजपा ने इस सीट पर कब्जा बनाए रखा। फिलहाल किसी भी पार्टी ने अभी टिकट बंटवारे पर कोई निर्णय नहीं लिया है लेकिन दावेदार अपनी अपनी जीत दिखाकर समीकरण बैठाने में लग गये हैं। भाजपा और सपा दोनों के ही लिये यह सीट हासिल करना इस बार आसान नहीं होगा क्योंकि आखिरी समय में यहां धार्मिक ध्रुवीकरण अपना असर दिखाने के लिए कुख्यात है।
डॉ.लक्ष्मीकांत वाजपेयी हाल ही में चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं। हालांकि भाजपा में दावेदारों की लंबी लाइन है। लेकिन, भाजपा के लिए इस सीट के लिए लक्ष्मीकांत वाजपेयी जैसा मजबूत उम्मीदवार तलाशना बड़ी चुनौती बन चुका है। कमलदत्त शर्मा,सुनील भराला,विमल शर्मा,पीयूष शास्त्री ,अरुण वशिष्ठ आदि नेता बीजेपी का टिकट लेने की जी-तोड़ कोशिसों में जुटे हैं। माना जा रहा है कि टिकट उसी को मिलेगा जिसके सर पर संघ का हाथ होगा।
राजनीति में कब क्या हो जाए
मेरठ शहर में अलबत्ता, वाजपेयी के चुनाव लड़ने से इंकार के बाद सपा की राहें जरुर आसान हो गई हैं। यही वजह है कि सपा में शहर सीट के टिकट को लेकर सबसे अधिक दावेदार लाइन में हैं। सपा के वर्तमान विधायक रफीक अंसारी का दावा बेशक सबसे अधिक मजबूत माना जा रहा है। लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए और कौन किससे आगे निकल जाए कोई नही कह सकता है। रफीक अंसारी के अलावा इस सीट पर पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री अय्यूब अंसारी ,पूर्व शहर विधानसभा अध्यक्ष आदिल चौधरी प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं।
बसपा ने अपने पत्ते अभी नही खोले
बसपा की बात करें तो पूर्व को-ऑडिनेटर नूर सैफी, पूर्व उम्मीदवार कुंवर दिलशाद अली, मौहम्मद सलमान का नाम प्रमुख दावेदारों में माना जा रहा है। हालांकि मेरठ शहर को लेकर बसपा ने अपने पत्ते अभी नही खोले हैं। जहां तक कांग्रेस की बात है तो उसकी स्थिति इस सीट पर कमजोर मानी जा रही है। फिर भी कांग्रेस ने उम्मीद नही छोड़ी है। अनिल शर्मा,शहजाद युसूफ,नसीम कुरैशी,कृष्ण कुमार शर्मा किशनी कांग्रेस के प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं। सपा की सिटिंग सीट होने के कारण रालोद इस सीट को लेकर गंभीर नही है।
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