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UP Election 2022: मेरठ कैंट विधानसभा सीट पर मुकाबला हुआ दिलचस्प, भाजपा के 'छपरौली' में विपक्ष की चुनौती
UP Election 2022: 1989 से अब तक इस सीट पर भाजपा का लगातार कब्जा रहा है। इसी कारण मेरठ कैंट को भाजपा की 'छपरौली कहा जाता है।' 2007, 2012 और 2017 के चुनाव में भी जीत भाजपा के हाथ लगी, लेकिन दूसरे नंबर पर बसपा रही।
Meerut News: भाजपा (Bhartiya Janta Party) के लिए सुरक्षित समझे जाने वाली मेरठ कैंट विधानसभा सीट (Meerut Cantt Assembly seat) पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है। विपक्ष भाजपा को चुनौती (challenge to BJP) देने की कोशिश कर रहा है। भाजपा का मुकाबला मुख्य रूप से सपा-रालोद गठबंधन (SP-RLD alliance) के साथ होने की उम्मीद है। हालांकि बसपा (BSP), कांग्रेस (Congress), आप (Aam Admi Party) के प्रत्याशी भी मुकाबले में हैं।
मेरठ कैंट पर चुनावों के पहले चरण में 10 फरवरी को मतदान (Voting on February 10 in Meerut) होना है। 2017 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के सत्यप्रकाश अग्रवाल (BJP Candidate Satyaprakash Agarwal) ने बसपा के उम्मीदवार सतेंद्र सोलंकी को ज्यादा मतों के अंतर से पराजित किया था। उन चुनावों में सत्यप्रकाश अग्रवाल को 132518 वोट मिले थे जबकि सतेंद्र सोलंकी ( BSP Candidate Satendra Solanki) के लिए 55899 लोगों ने वोटों के जरिए अपना समर्थन दिया था। कांग्रेस के प्रत्याशी रमेश ढींगरा 39650 मतों के साथ तीसरे स्थान पर थे।
इस बार सत्यप्रकाश अग्रवाल की जगह अमित अग्रवाल बने बीजेपी प्रत्याशी
इस बार मेरठ कैंट से भारतीय जनता पार्टी ने सत्यप्रकाश अग्रवाल का टिकट काट कर अमित अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया है। वहीं गठबंधन की तरफ से रालोद की मनीषा अहलावत मैदान में हैं। बहुजन समाज पार्टी ने अमित शर्मा को मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस के टिकट पर अवनीश काजला ताल ठोक रहे हैं। खास बात यह है कि भाजपा के अमित अग्रवाल को छोड़कर रालोद,बसपा और कांग्रेस के उम्मीदवार युवा हैं।
सवा चार लाख से अधिक वोटर वाली मेरठ कैंट विधानसभा सीट पर वैश्य,जाटव और पंजाहबी-सिख मतदाता चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यहां 66 हजार वैश्य और 62 हजार जाटव मतदाता हैं। इसके अलावा 25 हजार गैर जाटव,55 हजार पंजाबी-सिख 45 हजार जाट,40 हजार मुस्लिम,20 हजार ब्राह्मण 10 हजार गुर्जर पांच हजार ठाकुर,चार हजार इसाई मतदाता हैं।
भाजपा की 'छपरौली'
1989 से अब तक इस सीट पर भाजपा का लगातार कब्जा रहा है। इसी कारण मेरठ कैंट को भाजपा की 'छपरौली कहा जाता है।' 2007, 2012 और 2017 के चुनाव में भी जीत भाजपा के हाथ लगी, लेकिन दूसरे नंबर पर बसपा रही। तीनों ही चुनावों में एक बार सपा और दो बार कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी रही। ऐसे में पिछले चुनाव में नंबर दो और तीन पर रहे बसपा एवं कांग्रेस के बीच गठबंधन को ऊपर आते हुए भाजपा को चुनौती देना रोचक रहेगा। पहली बार मैदान में आम आदमी पार्टी भी है। कुल मिलाकर इस सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला दिख रहा है।
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