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Meerut News: मेरठ में उद्यमियों की मांगे 20 साल बाद भी न हुई पूरी, कैसे उड़ान भरेगी इंडस्ट्री

देश की राजधानी दिल्ली के करीब होने के बावजूद मेरठ में पिछले 30 साल से जिले में कोई मदर यूनिट नहीं आ सकी।

Sushil Kumar
Published on: 20 Aug 2021 12:19 PM GMT
Rajendra Agarwal and Paras Anand
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भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल व एसजी के मार्केटिंग डायरेक्टर पारस आनंद की फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Meerut News: देश की राजधानी दिल्ली के करीब होने के बावजूद मेरठ में पिछले 30 साल से जिले में कोई मदर यूनिट नहीं आ सकी। वजह साफ है सरकार नए उद्योग खोलने को लोगों को ऋण देने की बात तो कर रही है, लेकिन जिन खेल उद्योगों के चलते मेरठ अव्वल है उन्हीं उद्यमियों की मांगे पिछले कई वर्षों से पूरी नहीं हो पा रही है।

स्थानीय उद्यमियों के अनुसार वर्षों पुरानी औद्योगिक जमीन की मांग पूरी नहीं होने के कारण दिल्ली व हरियाणा की कई इंडस्ट्री वापस लौट गईं। यही नहीं औद्योगिक सेक्टरों में सड़क नहीं। पेयजल एवं अन्य सुविधाओं का अभाव, बीमार इकाइयों को फिर से बसाने के लिए लोन मिलने में बेहद कठिनाइयों के अलावा उद्योग बंधुओं की मीटिंग सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है। इन मीटिंगों में उद्यमियों के मुद्दे हल नहीं होते। कोरोना काल में बैंकों से कोई सहूलियत नहीं मिली। हालांकि दिल्ली के करीब होने के कारण मेरठ में औद्योगिक विकास की असीम संभावनाएं हैं। खेलकूद उपकरण, ट्रांसफार्मर, कृषि संयंत्र, सिलेंडर, रसायन, इंसुलेटेड तार, ट्रेनों के एसी कोच में लगने वाले फिल्टर, कारपेट, और पेपर बनाने वाली दर्जनों इकाइयां मेरठ में संचालित हुईं, और मेरठ के उत्पादों का दुनियाभर में नाम हुआ।

करीब साढ़े तीन साल पहले लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट में इकाइयों ने मेरठ में 700 करोड़ के निवेश का अनुबंध किया, लेकिन जमीन न मिलने से कई औद्योगिक इकाइयों को अपने कदम वापस खींचने पड़े। यूपीएसआईडीसी पर औद्योगिक जमीन विकसित करने का जिम्मा है, लेकिन उद्योग मंत्री की कड़ी हिदायत के बावजूद यह विभाग उद्योगों के लिए एक इंच जमीन भी उपलब्ध नहीं करवा सका। करीब तीन दशक पहले खेल कांप्लेक्स और परतापुर में उद्योगपुरम सेक्टर बनाया गया था, जहां सैकड़ों इकाइयां संचालित हैं। बागपत एवं नई दिल्ली रोड पर कई उद्योग अपनी क्षमता पर चल रहे हैं, यहां कोई इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है।

हालांकि स्थानीय उद्यमियों ने अभी भी अपनी उम्मीदें नही छोड़ी है। एसजी के मार्केटिंग डायरेक्टर पारस आनंद कहते हैं, मोहिउद्दीनपुर में कंटेनर डिपो संचालित है। वहां से दुनिया के किसी कोने में सामान भेज सकते हैं। कंटेनर डिपो की समस्या काफी हद तक दूर हो गई, लेकिन एयरपोर्ट बनाकर और नई औद्योगिक नगरी बसाकर उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय ताकत दी जा सकती है। वहीं विश्वकर्मा इंडस्टियल एस्टेट के संस्थापक कमल ठाकुर कहते हैं। मेरठ में करीब 25 हजार एमएसएमई इकाइयां संचालित हैं। खेलकूद, कृषि यंत्र पेपर मिल इंडस्ट्री का बड़ा अंशदान है। नई दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे बन गया। इंडस्ट्रियल फ्रेट कॉरिडोर बन रहा है, यह उद्योगों के लिए वरदान है। हालांकि प्रशासन जब तक जिले के अंदर औद्योगिक जमीन नहीं देगा, तबतक नया निवेश नहीं आएगा। परतापुर कताई मिल की 89 एकड़ जमीन में भी औद्योगिक नगरी बसाने की मांग की गई है।

मेरठ-हापुड़ संसदीय क्षेत्र के भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल की मानें तो सरकार उद्यमियों की मांगों को लेकर गंभीर हैं। वे कहते हैं, औद्योगिक क्षेत्र की मांग को सरकार तक पहुंचाया जा चुका है। इस पर वार्ता चल रही है। उम्मीद है जल्द ही इस पर कोई निर्णय निकल कर आएगा।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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