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Meerut News: तीन महीने में मात्र 246 किसान पहुंचे धान क्रय केन्द्र, जानिए क्या है कारण
Meerut News: इसका नतीजा है कि जनपद में धान की सरकारी खरीद शुरू हुए करीब तीन महीने बीतने के बाद भी अभी तक मात्र 246 किसानों का पंजीकरण अभी तक हो सका है। इनमें से 227 किसान खरीद के लिए सत्यापित किये जा चुके हैं।
Meerut News: उत्तर प्रदेश में धान की ख़रीद को लेकर सरकार कुछ भी कहे लेकिन सच्चाई यही है कि प्रदेश की मंडियों में एमएसपी से कम पर बिक्री तो हो ही रही है, सरकारी ख़रीद भी काफी कम है। उत्तर प्रदेश में गन्ना बेल्ट के तौर पर मशहूर मेरठ जनपद की बात करें तो यहां किसानों को निजी मंडियों में धान के दाम समर्थन मूल्य से कहीं अधिक दाम मिल रहे हैं।
इसका नतीजा है कि जनपद में धान की सरकारी खरीद शुरू हुए करीब तीन महीने बीतने के बाद भी अभी तक मात्र 246 किसानों का पंजीकरण अभी तक हो सका है। इनमें से 227 किसान खरीद के लिए सत्यापित किये जा चुके हैं।
दरअसल,निजी मंडियों में सरकारी मूल्य समर्थन योजना से अधिक दाम मिलने पर किसान सरकारी क्रय केंद्र पर नहीं जा रहे हैं। मूल्य समर्थन योजना के तहत सरकारी दर 1940 रुपये, जबकि निजी मंडियों में 2400 से 3100 रुपये प्रति कुंतल की दर पर बिक रही है।
जिला खाद्य विपणन अधिकारी सतेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि जनपद में धान के लिए 13 क्रय केंद्र स्थापित हैं। उन्होंने बताया कि मेरठ को एक हजार मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य मिला है। इसके लिए एक अक्टूबर 2021 से 31 जनवरी 2022 तक का समय निर्धारित है
मूल्य समर्थन योजना के तहत खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 के अंतर्गत मेरठ समेत पश्चिमी उप्र के जनपदों में एक अक्टूबर को धान की सरकारी खरीद शुरू हुई थी। इसके लिए सरकार ने कामन धान के लिए 1940 रुपये व ग्रेड ए धान के लिए 1960 रुपये प्रति कुंतल का मूल्य घोषित किया था।
मेरठ में सरकारी धान खरीद के लिए केवल 29 किसानों ने पंजीकरण कराया है। मेरठ जनपद के मवाना खेड़ी निवासी किसान चंद्रवीर राणा ने बताया कि उन्होंने अपनी 100 कुंतल धान की फसल गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाली निजी मंडी में बेच दी। उन्होंने बताया कि उन्हें 3100 रुपये प्रति कुंतल की दर से धान की कीमत मिली। मशीन से कटाई वाली धान इससे 150 रुपये कम कीमत की दर पर बिकी है।
जिला खाद्य विपणन अधिकारी सतेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष 50 मीट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसमें 229 किसानों से 722 मीट्रिक टन धान खरीद हुई। इसके बदले किसानों को 1.72 करोड़ का भुगतान किया गया। मेरठ और प्रदेश में एमएसपी पर धान की खरीद को लेकर एक कार्यक्रम में सांसद राजेंद्र अग्रवाल और भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत आपस में भिड़ भी चुके हैं।
सांसद ने जोर देकर कहा कि मेरठ समेत प्रदेश में एमएसपी पर धान और अन्य फसलों की खरीद हो रही है। तीन दिन में भुगतान भी हो रहा है। इस पर राकेश टिकैत ने सांसद को चुनौती देते हुए कहा कि मेरठ में अब धान की कहीं खरीद न हुई तो एमपी साहब के घर धान पहुंचा देंगे।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 में धान की सामान्य श्रेणी के लिए 1940 रुपये और ग्रेड-ए के लिए 1960 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य (MSP) तय किया है।एमएसपी (MSP) यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस या न्यूनतम सर्मथन मूल्य होता है। सरकार की तरफ से किसानों की अनाज वाली कुछ फसलों के दाम की गारंटी होती है।
राशन सिस्टम के तहत जरूरतमंद लोगों को अनाज मुहैया कराने के लिए सरकार किसानों से उनकी फसल एमएसपी पर खरीदती है। आखिर किसान दिलचस्पी क्यों नही दिखा रहे है? संवाददाता के इस सवाल पर स्थानीय एक अफसर का दावा यही था कि प्रचार प्रसार बहुत हुआ है.किसानों से बात की वो मानते हैं कि जो कीमत इन धान क्रय केंद्रों पर निर्धारित है उससे बेहतर तो वे बाजार में अपनी फसल बिक्री कर ले रहे हैं, वहीं कुछ किसानों ने बताया कि उन्हें गन्ने पर ज्यादा भरोसा है।
विपणन निरीक्षक का कहना है कि एक वजह ये भी है कि जिले में किसान गन्ने की फसल पर अधिक भरोसा करते हैं। इस बारे में जिला विपणन अधिकारी सतेंद्र सिंह ने बताया कि पिछली बार 13 तौल केंद्रों में से 6 पर तो एक दाना भी किसान लेकर नहीं पहुंचे थे, विपणन निरीक्षक ने बताया कि पिछली बार भी खरखोदा क्षेत्र में एक भी किसान ने यहां एक भी दाना क्रय करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी।
वहीं कुछ किसान आरोप लगाते हैं कि उन्हें सरकारी कांटे स्थापना की जानकारी नहीं है, वहीं कुछ किसानों का कहना है कि अच्छी किस्म की वैराइटी का धान उगाते हैं, जिसका मूल्य अधिक तो उन्हें बाहर बाजार में मिल रहा है तो फिर वो आखिर औने-पौने दाम में सरकारी मूल्य पर खरीद क्यों भला करेंगे।
जिला खाद्य विपणन अधिकारी सतेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मेरठ जिले में धान की सरकारी खरीद के लिए 13 क्रय केंद्र स्थापित हैं। इसमें 12 खाद्य विभाग व एक एफसीआइ का है।