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Meerut News Toady: मेरठ में डीएपी की हो रही कालाबाजारी, किसान परेशान

Meerut News Toady: मेरठ जनपद के गांव सिवाया निवासी किसान जयवीर का कहना है कि सहकारी समितियों के गोदाम खाली पड़े हैं। जबकि डीएपी उर्वरक बाजार में कालाबाजारी हो रही है।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Chitra Singh
Published on: 6 Dec 2021 12:37 PM IST
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DAP ( File Photo- Social Media)

Meerut News Toady: उत्तर प्रदेश के मेरठ में उर्वरकों की उपलब्धता नहीं होने से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। किसान ऊंचे दामों पर खाद खरीदने को विवश हैं। डीएपी न मिलने से गेंहू और आलू की बुवाई भी पिछड़ती जा रही है।

जिले में किसान सहकारी समिति व गन्ना विकास सहकारी समिति के गोदामों में पिछले एक महीने से डीएपी खाद नहीं है। मेरठ जनपद के गांव सिवाया निवासी किसान जयवीर का कहना है कि सहकारी समितियों के गोदाम खाली पड़े हैं। जबकि डीएपी उर्वरक बाजार में कालाबाजारी (black marketing) हो रही है। प्रति बैग 1500 से 1700 रुपये में कृभकों कम्पनी का डीएपी बेचा जा रहा है। भाकियू ब्लाक अध्यक्ष हरेन्द्र राणा कहते हैं कि थोक विक्रेता एवं जिला कृषि पदाधिकारी के सांठ-गांठ के कारण यह स्थिति बनी हुई है। हरेन्द्र राणा के अनुसार हमने कई बार जनसुनवाई केन्द्र एप पर व अधिकारियों से शिकायत भी की । लेकिन कोई समाधान नही निकला। ऐसे में किसानों को परेशानी से जूझना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि जिले में डीएपी की हो रही कालाबाजारी से किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रीय किसानों का कहना है कि डीएपी कहीं—कहीं खुदरा विक्रेता के पास उपलब्ध भी है तो डीएपी की एक बोरा की कीमत 1200 रुपये सरकार के द्वारा निर्धारित मूल्य पर किसानों को बेची जानी चाहिए लेकिन खाद दुकानदार पहले डीएपी नहीं रहने की बात कहकर कालाबाजारी करते हुए 1700 रूपये में किसानों को दे रहे हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से पोटाश की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने की मांग की है।

यहां बता दें कि मई 2019 से पहले डीएपी की वास्तविक कीमत 1700 रुपए प्रति बोरी थी, जिस पर सरकार 500 प्रति बोरी की सब्सिडी देती थी और कंपनियां 1200 रुपये में बेच रही थी लेकिन वैश्विक बाजार में डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ने के बाद डीएपी की लागत बढ़ गई थी और प्रति बोरी की कीमत लगभग 2400 रुपए पहुंच गई थी, सरकार के 500 रुपए की सब्सिडी घटाने के बाद कंपनियां उसे 1900 रुपये में बेचने लगी थी, जिसके बाद सरकार ने सब्सिडी में 140 फीसदी का इजाफा करते किया था और प्रति बोरी डीएपी पर सब्सिडी बढ़कर 1200 रुपये हो गई थी। बीते अक्टूबर के फैसले के बाद डीएपी की एक बोरी पर सब्सिडी बढ़कर 1650 रुपए हो गई है। यानी किसानो को डीएपी 1200 रुपए की ही मिलेगी। लेकिन मिल नहीं पा रही है।

Chitra Singh

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