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Chaudhary Charan Singh : किसानों की राजनीति से इस परिवार ने बनाई है अपनी अलग पहचान
Former Pm Chaudhary Charan Singh : पूर्व प्रधानमंत्री स्व चौ चरण सिंह का मेरठ के छपरौली से गहरा नाता रहा है। 1937 में ही चौधरी चरण सिंह ने छपरौली पर जो वर्चस्व कायम किया, वह अब तक कायम है।
Former Pm Chaudhary Charan Singh: देश में राजनीति से जुडे़ न जाने कितने परिवार हैं, लेकिन यदि यूपी की बात की जाए तो किसानों की राजनीति करने वाला अकेला पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौ चरण सिंह (Former PM Chaudhary Charan Singh) का ही परिवार। इस परिवार के बेटे बेटियों से लेकर नाती पोतो तक ने राजनीति में अपने हाथ आजमाया है। आठ दशक पहले चौ. चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh Wikipedia) ने अपना जो राजनीति सफर (Chaudhary Charan Singh political career) शुरू किया, जो उस सफर को उनके परिवार के लोगों ने लगतार आगे बढाने का काम किया गया है।
चौ चरण सिंह छपरौली में हर चुनाव जीतते रहे
पूर्व प्रधानमंत्री स्व चौ चरण सिंह का मेरठ के छपरौली से गहरा नाता रहा है। 1937 में ही चौधरी चरण सिंह ने छपरौली पर जो वर्चस्व कायम किया, वह अब तक कायम है। तब से अब तक चौधरी चरण सिंह के परिवार का इस पूरे क्षेत्र पर कब्जा रहा है। 2017 की प्रचंड लहर में भी रालोद की छपरौली सीट से रालोद का एकमात्र विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचा। चौ चरण सिंह वो हैं जो छपरौली में 1937 से 1977 तक हर चुनाव जीतते रहे। चौधरी चरण देश के पांचवे प्रधानमंत्री बने। उन्होंने यह पद 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक संभाला था।
1970 को वह दोबारा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने
चौ चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद भी 3 अप्रैल 1967 को संभाला, लेकिन बाद में 1968 में इस पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद एक बार फिर 17 फरवरी 1970 को वह दोबारा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके अलावा वह गृह मंत्री वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री भी बने।
1986 में जब उनके बेटे चौ अजित सिंह राजनीति में आए तो वह सीधे राज्यसभा में दाखिल हो गए। इसके बाद उन्होंने लोकदल (अ) का गठन किया। 1988 में चौ अजित सिंह ने अपने दल का जनता पार्टी में विलय कर पार्टी के अध्यक्ष हो गए।
1996 में वह कांग्रेस से अलग हो गए
1989 में जब जनता दल बना तो उन्होंने अपनी पार्टी का इसमें विलय कर दिया और पार्टी महासचिव हो गए। जब इसी साल वीपी सिंह की सरकार बनी तो वह इसमें शामिल होकर केन्द्र में मंत्री बन गए। फिर जब कांग्रेस की सरकार बनी तो वह फिर केन्द्र में मंत्री बन गए। 1996 में कांग्रेसी विरोधी लहर देखकर वह कांग्रेस से अलग हो गए और उन्होंने भारतीय किसान कामगार पार्टी का गठन कर लिया, लेकिन 1998 में लोकसभा का चुनाव हारने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल का गठन कर लिया। चौ चरण सिंह की बेटी सरोज वर्मा भी 1985 में विधायक बनी। इसके बाद इस सीट पर चौ चरण सिंह के बेटे चौधरी अजित सिंह वर्ष 1991 में विधायक चुने गए।
1993 के विधानसभा चुनाव में छपरौली सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की बड़ी बेटी ज्ञानवती भी चुनाव मैदान में उतरी लेकिन अपनी जमानत भी नहीं बचा पाई थी। चौधरी चरण सिंह की पत्नी व चौधरी अजित सिंह की माता गायत्री देवी और चौधरी अजित सिंह की बहन ज्ञानवती भी विधायक रह चुकी हैं।
जयंत चौधरी को प्रदेश का डिप्टी सीएम बनाया जाएगा
इस विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से चौ अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी के हाथ में पार्टी की कमान है। उन्होंने समाजवादी पार्टी से गठबन्धन कर पष्चिमी यूपी की राजनीति को एक बार फिर बदलने का काम शुरू कर दिया है। वह अपने दादा चौ चरण सिंह की विरासत को आगे बढाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। रालोद समर्थकों का दावा है कि यदि सपा रालोद गठबन्धन की प्रदेष में सरकार बनती है तो जयंत चौधरी को प्रदेश का डिप्टी सीएम बनाया जाएगा।
हरेंद्र सिंह तेवतिया को प्रत्याशी बनाकर बडा दांव
इस बार भारतीय जनता पार्टी ने हापुड़ की गढ़मुक्तेश्वर सीट से पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह के पोते को दी है. गांव नूरपुर मढैया निवासी हरेंद्र सिंह तेवतिया का जन्म गांव नूरपुर मढैया में हुआ था जो पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह की जन्मस्थली है। हरेंद्र सिंह तेवतिया चौधरी चरण सिंह के रिश्ते में पोते लगते हैं। हरेंद्र सिंह तेवतिया को यहां पर प्रत्याशी बनाकर बडा दांव खेला है।