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UP Election 2022: पहले चरण के चुनाव में हाथी की सुस्त रफ्तार, हाशिये पर जाने का अंदेशा

UP Election 2022: अगले चरण के चुनावों में भी अगर बसपा का यही प्रदर्शन रहा तो इस चुनाव के बाद बसपा का हाशिये पर जाना तय माना जा रहा है।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Shreya
Published on: 12 Feb 2022 9:34 PM IST
Mayawati in Lucknow
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मायावती (फोटो- न्यूजट्रैक) 

UP Election 2022: पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) ने पीएम मोदी को प्रधानमंत्री (PM Narendra Modi) बनाने से लेकर योगी को सीएम बनाने में एक अहम भूमिका निभाई है। इस कारण उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunav) के पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिन 58 सीटों के लिए मतदान हुआ, उस पर पूरे प्रदेश की नजरें लगी थी।

मतदान के बाद के ताजा रुझानों ने पिछले चुनाव में इस क्षेत्र में 91 फीसदी विनिंग रेट के साथ 58 में 53 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा को तो विचलित कर ही दिया है। उससे कहीं अधिक विचलित बसपा को किया है, जो कि पिछले चुनाव में भाजपा के बाद पश्चिमी यूपी में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी।

इस इलाके में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के अलावा बहुजन समाज पार्टी की जड़ें भी गहरी रही हैं और पिछले विधान सभा चुनाव में मिले कुल मतों के आधार पर वही दूसरे नंबर की पार्टी थी। सपा बहुत कम अंतर से पिछड़कर तीसरे स्थान पर थी। यही नही 2012 के चुनाव में 20 सीटें लेकर बसपा पश्चिमी यूपी में टॉप पर रहीं थी।

53 सीटों पर जीत के साथ नंबर वन पार्टी बनी थी BJP

बता दें कि 2017 के चुनाव में भाजपा 53 सीटों पर जीत के साथ नंबर एक पार्टी बनी थी। सिर्फ़ चार ऐसी सीटें थीं, जहां बीजेपी दूसरे नंबर पर रही। 33 सीटों पर बीएसपी, बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती साबित हुई थी। वहीं समाजवादी पार्टी सिर्फ 15 सीटों और आरएलडी सिर्फ तीन सीटों पर ही रनर-अप की भूमिका में रही थी। 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था।

इन दोनों पार्टियों के खाते में सिर्फ़ तीन सीटें आई थीं, जबकि बसपा को दो सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। जबकि कांग्रेस खाता नही खोल सकी थी। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। 2017 में पहले चरण की 58 सीटों में से सिर्फ़ 23 सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। इस बार भाजपा को 2017 का इतिहास दोहराना आसान नही लग रहा है वहीं बसपा के लिए भी अपना पुराना प्रदर्शन बरकरार रखना मुश्किल दिख रहा है।

पहले चरण में जिन 58 सीटों पर वोटिंग हुई उसमें आगरा की 9, मेरठ की 7, अलीगढ़ की 7, हापुड़ की 3, बुलंदशहर की 7, मुजफ्फरनगर की 6, गाजियाबाद की 5, मथुरा की 5,शामली की 3, गौतमबुद्धनगर की 3 और बागपत की 3 सीटें थीं। यूपी के पहले चरण में 60.17% मतदान हुआ है। अब ये आंकड़ा 2017 की तुलना में कम रह गया है। पिछले विधानसभा चुनाव में पहले चरण की वोटिंग के दौरान 63.5% वोट पड़े थे।

इस क्षेत्र में मायावती ने नहीं की एक भी रैली

दरअसल, पिछले चुनाव में हार के बाद के इन पांच सालों में राज्य के सियासी माहौल पर लगभग मौन साधे रहने के साथ ही बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने इस बार चुनाव प्रचार भी विलंब से शुरु किया। हाल यह रहा कि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले तक सूबे की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने इस क्षेत्र में एक भी रैली नहीं की। मायावती की खामोशी को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाए रही,लेकिन बड़ा सवाल यह है कि बसपा का हाथी सुस्त क्यों दिखाई दिया। 2017 के चुनाव में तो मोदी लहर थी,लेकिन इस बार के चुनाव में तो सपा-रालोद की तरह बसपा के पास भी मौका था। लेकिन बसपा ने कोई सक्रियता नही दिखाई।

मेरठ जनपद की ही बात करें तो सभी सातों सीटों पर बसपा मुकाबले से बाहर बनी हुई है। ये उस बसपा का हाल है जिसने 2007 के विधान सभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में कुल 403 सीटों में से 206 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी। मेरठ की सात में से चार सीटों पर बसपा ने कब्जा जमाया था। 2012 में मायावती को हार मिली और उसके बाद से लगातार उनकी पार्टी का ग्राफ़ नीचे जा रहा है।

साल 2017 में बीजेपी ने पिछड़े वर्ग पर एकछत्र क़ब्ज़ा जमाते हुए उसके एनडीए गठबंधन ने 403 में से 306 विधानसभा सीटें जीती थीं. हालांकि बीएसपी को 22% वोट मिले थे लेकिन सिर्फ़ उसने 19 सीटें जीती थीं। बहरहाल, अगले चरण के चुनावों में भी अगर बसपा का यही प्रदर्शन रहा तो इस चुनाव के बाद बसपा का हाशिये पर जाना तय माना जा रहा है।

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