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UP Election 2022: यूपी की एक सीट ऐसी जिस पर है सबकी नजरें, जिसकी जीत, उसकी सरकार, क्या बरकरार रहेगा ट्रेंड?

UP Election 2022: हस्तिनापुर विधानसभा से एक खास बात जुड़ी है कि जिस पार्टी का विधायक हस्तिनापुर से चुनाव जीतता है उसी पार्टी की सरकार प्रदेश में बनती है चाहे वह पूर्ण बहुमत की सरकार हो या फिर गठबंधन की सरकार हो।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Shashi kant gautam
Published on: 5 Feb 2022 3:16 PM IST
UP Election 2022: Hastinapur - A seat in UP on which all eyes are on, whose victory, his government, will the trend continue?
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मेरठ: हस्तिनापुर विधानसभा सीट: Photo - Social Media

UP Election 2022: यूं तो मेरठ जनपद (Meerut District) में सात विधानसभा सीटें (seven assembly seats) हैं लेकिन इनमें एक सीट यानी हस्तिनापुर विधानसभा सीट (Hastinapur assembly seat) ऐसी है, जो न सिर्फ मेरठ में बल्कि उत्तर प्रदेश के राजनीतिक (Uttar Pradesh Political) गलियारों में चर्चा का विषय बनी है। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि महाभारत काल में कुरु वंश की राजधानी रहे हस्तिनापुर विधानसभा सीट का पुराना इतिहास है कि यहां जो पार्टी जीतेगी, लखनऊ में उसी की सरकार बनेगी।

आपको बता दें कि हस्तिनापुर से 2017 में बीजेपी (BJP) के दिनेश खटीक ने बाजी मारी थी, जिन्हें चुनाव से कुछ अर्सा पहले ही सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया है। पार्टी ने एक बार फिर इन पर भरोसा जताते हुए इस सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा है। वहीं सपा (Samajwadi Party) और आरएलडी (RLD) की ओर से संयुक्त प्रत्याशी के रूप में योगेश वर्मा (Yogesh Verma) ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस (Congress) अपने उम्मीदवार की वजह से काफी चर्चा में है। 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी ने ऐक्टर और मॉडल अर्चना गौतम को हस्तिनापुर से चुनावी मैदान में उतारा है।

2017 के विधानसभा चुनाव में दिनेश खटीक ने योगेश वर्मा को हराया था

2017 के विधानसभा चुनाव में खटीक ने बसपा के योगेश वर्मा को 36062 वोटों के अंतर से हराया था। दिनेश खटीक को 99436 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे बसपा के योगेश वर्मा को 63374 हासिल हुए थे. वहीं समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार प्रभु दयाल 48979 वोटों से संतोष करना पड़ा था। कहा जाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दो शहरों की घोषणा एक साथ की थी जिसमें एक चंडीगढ़ और दूसरा हस्तिनापुर था। लेकिन चंडीगढ़ विकास की दौड़ में हस्तिनापुर से बहुत बहुत आगे निकल गया। कहते हैं कि इस क्षेत्र में द्रौपदी का श्राप लगा हुआ है इसलिए यहां का यह हाल है।

महाभारत काल में हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र पांडवों की राजधानी कहलाती थी और यह भी कहा जाता है कि यहीं पर पांडवों का किला भी हुआ करता था। हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र गंगा के किनारे बसा हुआ है और लगभग हर साल विधानसभा का ज्यादातर क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ जाता है। जब भी पहाड़ों पर तेज बारिश होती है या ज्यादा बारिश होती है तो मेरठ की हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र का भी बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ जाता है जो इसकी एक सबसे बड़ी समस्या है।

मुस्लिम और गुर्जर वोट सबसे ज्यादा

इस सीट पर मतदाताओं की संख्या लगभग 3 लाख 25 हज़ार है, लेकिन जातीय और धार्मिक हिसाब से वोटों की बात करें तो एक अनुमान के मुताबिक यहां सबसे ज्यादा मुस्लिम और गुर्जर वोट हैं। जिनकी संख्या लगभग 90-75 हजार है. उसके बाद संख्या एससी वोटर्स की है, जिनकी संख्या 60 हजार के करीब है. 25 हजार के आसपास जाट वोट है और और 12 हजार के आसपास सिख वोट है और अन्य वोट हैं।

इस बार के चुनावी संग्राम की बात करें तो यहां भाजपा के दिनेश खटीक की सीधी टक्कर सीधे-सीधे सपा-रालोद गठबंधन के योगेश वर्मा से रहने की उम्मीद है। हालांकि बसपा भी यहां कांटे का संघर्ष देती है,लेकिन इस बार यहां बसपा उम्मीदवार संजीव कुमार जाटव मुकाबले से बाहर दिख रहा है। वहीं पिछले कई चुनावों में कमजोर रही कांग्रेस इस बार मुख्य मुकाबले में आने की कोशिश में पूरी जी-जान से जुटी है।

हस्तिनापुर से जो जीता सरकार उसकी पार्टी की

हस्तिनापुर विधानसभा से एक खास बात जुड़ी है कि जिस पार्टी का विधायक हस्तिनापुर से चुनाव जीतता है उसी पार्टी की सरकार प्रदेश में बनती है चाहे वह पूर्ण बहुमत की सरकार हो या फिर गठबंधन की सरकार हो। बात पिछले चुनाव की करें तो यहां से बीजेपी के दिनेश खटीक चुनाव जीते थे और प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी। पिछली बार सपा के प्रभु दयाल वाल्मीकि जीते तो प्रदेश में सपा की सरकार बनी। इससे पहले यहां से बीएसपी के योगेश वर्मा जीते तो प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनी। इस सीट पर जब तक कब्जा कांग्रेस के हाथों में रहा, तब तक प्रदेश की सत्ता कांग्रेस के हाथों में रही थी।

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Shashi kant gautam

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