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UP Election 2022: छाता सीट पर दो पुराने प्रतिद्वंद्वी फिर आमने-सामने, 24 साल से कायम है इन्हीं दोनों नेताओं का सियासी वर्चस्व

UP Election 2022: छाता विधानसभा सीट पर 2022 के चुनावी रण में एक बार फिर चौधरी लक्ष्मी नारायण (Chaudhary Laxmi Narayan) और ठाकुर तेजपाल सिंह (Thakur Tejpal Singh) के बीच कड़ा मुकाबला होने जा रहा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shashi kant gautam
Published on: 2 Feb 2022 1:20 PM GMT
UP Election 2022: छाता सीट पर दो पुराने प्रतिद्वंद्वी फिर आमने-सामने, 24 साल से कायम है इन्हीं दोनों नेताओं का सियासी वर्चस्व
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UP Election 2022: मथुरा जिले (Mathura District) की छाता विधानसभा सीट (Chhata assembly seat) पर एक बार फिर दो पुराने प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने हैं। 1993 से 2017 तक हुए छह चुनावों के दौरान इन्हीं दोनों नेताओं ने तीन-तीन बार जीत हासिल की है। 2022 के चुनावी रण में एक बार फिर चौधरी लक्ष्मी नारायण (Chaudhary Laxmi Narayan) और ठाकुर तेजपाल सिंह (Thakur Tejpal Singh) के बीच कड़ा मुकाबला होने जा रहा है। चौधरी लक्ष्मी नारायण भाजपा (BJP) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं जबकि ठाकुर तेजपाल सिंह को रालोद (RLD0 ने टिकट दिया है।

10 फरवरी को होने वाले पहले चरण के मतदान में एक बार फिर इन्हीं दोनों नेताओं के बीच सियासी वर्चस्व की जंग होगी। बहुजन समाज पार्टी ने छाता चुनाव क्षेत्र से पार्टी के पुराने नेता सोनपाल को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस से पूनम देवी किस्मत आजमाने के लिए चुनावी रण में कूदी हैं।

इस सीट का जातीय समीकरण (caste equation)

छाता विधानसभा सीट पर करीब साढ़े तीन लाख से ज्यादा मतदाता हैं और इनमें करीब 53 फीसदी पुरुष और 47 फ़ीसदी महिलाएं हैं। इस विधानसभा सीट पर ठाकुर और जाट मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है और वे किसी भी प्रत्याशी की जीत और हार में निर्णायक भूमिका अदा करते रहे हैं। दलित मतदाताओं की संख्या भी करीब 60 हजार है और वे भी इस चुनाव के फैसले में बड़ी भूमिका निभाएंगे। ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 45-45 हजार है। गुर्जर और बघेल मतदाता करीब 15-15 हजार हैं। सभी उम्मीदवारों की ओर से जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की जा रही है।

फिर बिछी सियासी संघर्ष (political struggle) की बिसात

इस विधानसभा सीट पर 1993 से 2017 के बीच हुए छह चुनावों के दौरान चौधरी लक्ष्मी नारायण और तेजपाल सिंह ने तीन-तीन बार जीत हासिल की है। हालांकि इस दौरान दोनों नेताओं ने कई बार पार्टी बदलने का खेल भी खेला है। 1993 से ही इन दोनों नेताओं का ही इस विधानसभा क्षेत्र में सियासी वर्चस्व रहा है। एक बार फिर इन दोनों नेताओं के बीच हुई जंग की बिसात बिछ गई है।

2017 की सियासी जंग

यदि 2017 के विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो पिछले चुनाव में चौधरी लक्ष्मी नारायण ने 1,17,537 मत हासिल किए थे। पिछले चुनाव में तेजपाल सिंह ने खुद चुनाव न लड़कर अपने बेटे अतुल सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था। वे सपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्होंने 55,699 वोट हासिल किए थे। इस तरह भाजपा के टिकट पर चौधरी लक्ष्मी नारायण ने 63,838 मतों से जीत हासिल की थी। बसपा के मनोज पाठक को 41,290 और रालोद के ऋषि राज को 9801 मत हासिल हुए थे। इस बार तेजपाल सिंह पिछले चुनाव में अपने बेटे को मिली करारी हार का बदला चुकाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं।

इस बार मिथक तोड़ने की कोशिश

भाजपा (BJP) उम्मीदवार चौधरी लक्ष्मी नारायण लगातार जीत हासिल न करने का मिथक तोड़ने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दूसरी ओर सपा और रालोद के बीच गठबंधन होने के बाद रालोद के टिकट पर उतरे तेजपाल सिंह के हौसले भी बुलंद है। उन्हें इस बर ठाकुर मतदाताओं के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं का भी बड़ा भरोसा है। इसके साथ ही ही वे दलित वोट बैंक में भी सेंधमारी करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। चौधरी लक्ष्मी नारायण को कद्दावर जाट नेता माना जाता रहा है और वे जाट मतों के साथ ही दलित और पिछड़े मतदाताओं के दम पर तेजपाल को हराने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

इन दो दिग्गजों में दीवारों के बीच सियासी वर्चस्व की जंग में बसपा (BSP) के सोनपाल और कांग्रेस (Congress) की पूनम देवी पिछड़ती दिख रही है। चौधरी लक्ष्मी नारायण ने 1985, 1996, 2007 और 2017 में इस विधानसभा सीट से जीत हासिल की है। उनकी वरिष्ठता को देखते हुए ही उन्हें योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था मगर इस बार वे कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं।

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