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UP Election 2022: मेरठ की सिवालखास सीट पर गुलाम मोहम्मद को मिला टिकट, जाट हुए नाराज

UP Election 2022 : सिवालखास सीट पर सपा के पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद को टिकट दे दिया गया है। गुलाम मोहम्मद राष्ट्रीय लोकदल के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Ragini Sinha
Published on: 18 Jan 2022 5:38 PM GMT
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Up Election 2022 : मेरठ की सिवालखास सीट पर गुलाम मोहम्मद को मिला टिकट

Up Election 2022 : उत्तर प्रदेश में की मेरठ जनपद की सिवालखास सीट पर सपा के पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद को टिकट दे दिया गया है। गुलाम मोहम्मद राष्ट्रीय लोकदल के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। गुलाम मोहम्मद को टिकट मिलने के बाद स्थानीय राष्ट्रीय लोकदल नेताओं में गहरा आक्रोश है। रालोद के इन नेताओं के अनुसार सिवालखास सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से पार्टी का परंपरागत जाट वोट उनसे दूर हो सकता है, जिसका असर मेरठ की बाकी छह सीटों पर भी पड़ेगा। इन सीटों पर भी जाट मतदाता गठबंधन से दूरी बना लेगा।

सात विधानसभा सीटों पर सपा रालोद गठबंधन ने अपने प्रतायशी उतरे

हालांकि, रालोद ने जाटों को संतुष्ट करने करने के लिए मेरठ कैंट सीट पर मनीषा अहलावत को टिकट दिया है,जो कि सरधना के पूर्व विधायक चौधरी चन्द्रवीर सिंह की पुत्री हैं। इस तरह मेरठ जिले की सभी सात विधानसभा सीटों पर सपा रालोद गठबंधन ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। इनमें कैंट को छोड़कर शेष सभी छह सीटें सपा के खाते में गई हैं। सपा के प्रत्याशियों को सिंबल मिले हैं। जो सात प्रत्याशी उतारे हैं उनमें 4 मुस्लिम, एक गुर्जर,ऐएक जाट और एक अनुसूचित जाति से है।

गुलाम मोहम्मद 2012 में सिवालखास से विधायक बने थे

समाजवादी पार्टी की तरफ से चुनावी मैदान में उतारे गए गुलाम मोहम्मद 2012 में सिवालखास से विधायक बने थे। विधायक रहते हुए 2014 में उन्हें सपा ने लोकसभा चुनाव में बागपत से प्रत्याशी बनाया लेकिन हार गए। 2017 में भी सिवालखास से विधानसभा चुनाव हार गए थे। इस सीट के लिए रालोद की तरफ से काफी दबाव था, लेकिन गुलाम मोहम्मद इस पर लड़ने के लिए अड़े हुए थे और लखनऊ में ही कई दिन से डेरा डाले हुए थे। आज दोपहर उन्हें कामयाबी मिल भी गई।

सीट सपा के खाते में जाने से उनके सपने टूट गए

इधर,जैसे ही मेरठ में गुलाम मोहम्मद को टिकट मिलने की जानकारी हुई जाट समुदाय में आक्रोश फैल गया। आक्रोसित जाट समुदाय के कई लोगों ने दिल्ली में रालोद कार्यालय पर प्रदर्शन भी किया। सिवालखास सीट से लड़ने के सपने चौधरी यशवीर सिंह,राजकुमार सांगवान समेत रालोद के कई बड़े नेताओं ने पाल रखे थे। लेकिन यह सीट सपा के खाते में जाने से उनके सपने टूट गए।

चौधरी अजित सिंह कई बार सांसद रहे

बता दें कि बागपत लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। यहां से रालोद प्रमुख चौधरी जयंत सिंह के दादा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और जयंत के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय चौधरी अजित सिंह कई बार सांसद रहे। पिछला लोकसभा चुनाव जयंत ने इसी सीट से लड़ा था, हालांकि वे कड़े मुकाबले में भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह से हार गए थे। जयंत इस सीट को हर हाल में अपने पास रखना चाहते थे। बहरहाल, माना जा रहा है कि गठबंधन का मुस्लिम उम्मीदवार घोषित होने का लाभ भाजपा को मिलेगा,जिसने इस सीट पर जाट उम्मीदवार मैदान में उतारा है।

वैसे,सीटों को लेकर सपा और रालोद में अनबन पहली बार नही हुई है। इससे पहले साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर ही सपा के साथ रालोद का गठबंधन टूट गया था। इसके बाद पूर्व मंत्री और तत्कालीन रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने अकेले चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया था। वरिष्ठ नेताओं ने कहना है कि फिर वैसे ही हालात बन रहे हैं। किसी भी समय गठबंधन टूट सकता है।

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Ragini Sinha

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